देहारदून: नैनीताल में काठगोदाम से 10 किलोमीटर अपस्ट्रीम में गौला नदी पर प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना के निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है. इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल किए जाने पर स्वीकृति प्रदान की गई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है.
सिंचाई सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को केंद्रीय सचिव जल संसाधन की अध्यक्षता एवं नीति आयोग व केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक हुई. स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक तय किया गया कि परियोजना के धन आवंटन के लिए जल शक्ति मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय केंद्र सरकार प्रस्ताव भेजा जाएगा.
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में काठगोदाम से 10 किलोमीटर अपस्ट्रीम में गौला नदी पर जमरानी बांध (150.6 मीटर ऊंचाई) का निर्माण प्रस्तावित है. परियोजना से डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी, इसके साथ ही हल्द्वानी शहर को वर्षभर 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा.
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परियोजना से 63 मिलियन यूनिट का उत्पादन हो सकेगा. सचिव ने कहा कि निवेश की मंजूरी मिलने के बाद जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र पुनर्वास सहित निर्माण कार्यों को शुरू किया जाएगा. 10 जून, 2022 को जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जमरानी बांध परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 2584.10 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी.
राज्य को इसमें 10 प्रतिशत अंशदान देना होगा और केंद्र सरकार 90 प्रतिशत धनराशि खर्च करेगी. परियोजना को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 57065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है. परियोजना से हर साल 63 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी.
बता दें कि उत्तराखंड गठन के बाद भी लगातार बांध निर्माण के समर्थन में आवाज उठती रही. पिछले तीन साल में सर्वे और प्रस्ताव से जुड़े कामों में कुछ तेजी भी देखने को मिली थी. जनवरी की शुरूआत में प्रस्तावित बांध की जद में आने वाले इलाकों में भूमि अधिग्रहण की धारा-11 भी लागू कर दी गई. इस धारा के लागू होने पर जमीन संबंधी खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लग जाता है. क्योंकि, जमीन का इस्तेमाल जनहित से जुड़े एक अहम प्रोजेक्ट के लिए होना है.
जमरानी बांध का मामला: हल्द्वानी व आसपास के इलाके में पेयजल संकट दूर करने के लिए 1975 से इस बांध की कवायद चल रही है. बिजली उत्पादन के साथ-साथ इसे खेतों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा. जमरानी बांध के निर्माण के लिए 400 एकड़ जमीन की जरूरत है. इसमें फॉरेस्ट लैंड के अलावा निजी भूमि भी आ रही है. ग्रामीण विस्थापन के लिए सहमति दे चुके हैं. उनकी मांग किच्छा के प्राग फार्म में बसाने की है. तिलवाड़ी, मुरकुडिया, गंदराद, पनियाबोर, उदुवा और पस्तोला गांव के लोगों का विस्थापन होना है. परियोजना का काम शुरू होने से 5 साल के भीतर काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
पर्यटन के क्षेत्र में होगा लाभ जमरानी बांध के निर्माण से उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी. इस बांध से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है, जबकि उत्तराखंड को 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बंटेगा. उम्मीद है की इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी, लेकिन इन सब के बीच देखने वाली बात ये है इतने लंबे इंतजार के बाद जमरानी बांध कागजों से उतरकर जमीन पर कब बनना शुरू होगा.