नैनीताल: सरोवर नगरी का अस्तित्व धीरे-धीरे खतरे की जद में आ रहा है. 1970 के दशक से नैनीताल की बुनियाद के रूप में पहचान रखने वाला बलिया नाला में लगातार हो रहा भूस्खलन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. जिसके निरीक्षण के लिए देहरादून से IIRS की टीम ने नैनीताल पहुंची और ड्रोन की मदद से बलिया नाले का निरीक्षण किया.
नैनीताल में 1970 से हर साल बरसात के दौरान बलिया नाला में जबरदस्त भूस्खलन होता आ रहा है. लेकिन बीते 3 सालों से हो रहे भूस्खलन के कारण क्षेत्र की 30 फीट जगह इसकी जद में आ गई है. जिसकी वजह से यहां रह रहे स्थानीय लोगों पर भी खतरा मंडराने लगा है.
जिसको देखते हुए प्रशासन द्वारा करीब 30 परिवारों को यहां से विस्थापित किया जा चुका है. साथ ही कुछ परिवारों को विस्थापित होने का नोटिस भी दिया गया है. वहीं 100 साल पुराने जीआईसी स्कूल को भी खाली कराने की नोटिस दे दिया गया है, ताकि बरसात के दौरान किसी प्रकार का कोई बड़ा हादसा ना हो.
बता दें कि भूस्खलन के बाद हर साल टीमें नैनीताल के इस बलिया नाला क्षेत्र का दौरा करती रहती हैं. लेकिन हर साल सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिलता है. पिछले साल हुए जबरदस्त भूस्खलन के बाद प्रशासन को बलिया नाले के ट्रीटमेंट के लिए गंभीर होना पड़ा.
जिसको लेकर आज सोमवार को नैनीताल डीएम सविन बंसल द्वारा देहरादून की IIRS यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की टीम को निरीक्षण के लिए बुलाया. जहां टीम ने ड्रोन की मदद से बलिया नाले का निरीक्षण किया. साथ ही क्षेत्र में रह रहे लोगों के घरों का भी खाका तैयार किया गया, जो खतरे की जद में हैं.