हल्द्वानी: जंगलों में चारे व पानी की कमी के चलते वन्यजीव पिछले काफी समय से आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. जिस कारण मानव और वन्यजीव संघर्ष की दुर्घटनाएं भी आम बात हो गई हैं. ऐसे में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में जहां वन्यजीवों को नुकसान पहुंच रहा है वहीं, इंसानी जान माल को भी क्षति पहुंच रही है. वन विभाग द्वारा जंगलों में वन्यजीवों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था करने की बात तो कहीं बार बोली गई है, लेकिन लगातार वन्यजीवों के साथ हो रही घटनाएं वन विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है.
हल्द्वानी के तराई पूर्वी वन प्रभाग में इन दिनों मानव वन्यजीव संघर्ष और वन्यजीवों की मौत की घटनाएं बढ़ रही हैं. बात पिछले 3 सालों के करें तो यहां पर 5 हाथियों की ट्रेन से कटने और करंट से लगने से मौत हो चुकी है. वहीं मानव वन्यजीव संघर्ष में कई लोगों की जान भी जा चुकी है. वर्ष 2017 में हल्दी के पास ट्रेन से कटने से दो हाथियों की मौत हुई थी तो वहीं 2018 में सीमैप के पास ट्रेन से कटकर एक हाथी की मौत हुई थी. जबकि पिछले साल दिसंबर माह में करंट लगने से एक हाथी की मौत हुई है. वहीं 2020 में हाथी और गुलदार के हमले में 5 लोगों की जान जा चुकी है. कई लोग घायल भी हो चुके हैं.
जानकार बताते हैं कि सिकुड़ते जंगल और जंगलों में वन्यजीवों के लिए चारा और पानी की व्यवस्था नहीं होना मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना का मुख्य कारण है. हाथी, बाघ और गुलदार जंगलों से निकाले भोजन पानी की तलाश में आबादी में पहुंच रहे हैं, जिसके चलते मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं.
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वन विभाग का दावा है कि जंगल में वन्यजीवों के लिए प्राप्त भोजन और पानी की व्यवस्था है. गर्मियों के दौरान थोड़ी पानी की दिक्कत होती है जहां पर वैकल्पिक तौर पर टैंकर से सूखे पोखरे और गड्ढों में पानी भरने का काम किया जाता है. मानव वन जीव टकराव को रोकने के लिए जंगलों में मिश्रित पेड़ पौधों को भी लगाने का काम किया जाता है.
प्रभागीय वन अधिकारी संदीप कुमार का कहना है कि सिकुड़ते जंगल मानव वन्यजीव संघर्ष का मुख्य कारण है. इसके अलावा एलिफेंट कॉरिडोर हाथियों का वर्षों पुराना आने जाने का रास्ता है. लेकिन इंसानी दखल के चलते हाथी कॉरिडोर बंद हो चुके हैं. जिसके चलते मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आए दिन बढ़ रही हैं.