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Uttarakhand Forest Fire: फायर सीजन शुरू होने से पहले ही धधकने लगे जंगल, वन विभाग चिंतित

उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने में अभी वक्त है, लेकिन जंगल अभी से धधकने लगे हैं. सबसे ज्यादा चिंतित कुमाऊं मंडल का वन विभाग है. क्योंकि इस बार कुमाऊं में गढ़वाल से कम बारिश और बर्फबारी हुई है, जिस कारण यहां पर समय से पहले ही वनाग्नि की घटनाएं सामने आने लगी है.

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Published : Jan 28, 2023, 4:43 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में अभी फायर सीजन शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी है. हाल ही में कड़ाके की ठंड के बावजूद उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले के जंगलों में वनाग्नि के मामले सामने आए हैं. ऐसे में वन विभाग अभी से अलर्ट हो गया है. वन विभाग का मानना है कि इस बार बारिश और बर्फबारी बहुत कम हुई है, जिस कारण फायर सीजन की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है.

दरअसल, उत्तराखंड वन विभाग के लिए 15 फरवरी से 15 जून के बीच का समय काफी मुश्किल भरा रहता है. क्योंकि इस समय को फायर सीजन घोषित किया गया है और इस दौरान उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी ज्यादा देखने के मिलती हैं. फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने के लिए वन विभाग हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाता है, बावजूद इसके लिए जंगलों में लगी आग पर अंकुश नहीं लग पाता है.
पढ़ें- गर्मी बढ़ने पर वन विभाग भूला आग बुझाने की 'कला', शोपीस बना कंट्रोल रूम

इस बार को वन विभाग फायर सीजन से पहले ही परेशान नजर आ रहा है. क्योंकि बारिश और बर्फबारी बहुत कम होने की वजह से जंगलों में नमी कम है और ये स्थिति वनाग्नि के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होगी. इसीलिए वन विभाग अभी से अलर्ट हो गया है. मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं प्रसन्न कुमार पात्रो ने कहा कि कर्मचारियों को फरवरी की शुरुआत से ही अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि आग पर काबू पाने के लिए सभी प्रकार की तैयारियों में तेजी लाने और सूचना एकत्र करने के निर्देश भी जारी किए हैं. कुमाऊं में गढ़वाल की अपेक्षा बारिश और बर्फबारी बेहद कम हुई है, जिसको देखते उच्च हिमालई क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं सामने आने लगी हैं.

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं के मुताबिक यदि आने वाले दिनों में बारिश और और बर्फबारी की संभावना थोड़ा बढ़ती हैं तो जंगल में आग की घटनाओं से थोड़ा सा राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाएगा और फायर कंट्रोल से जुड़े सभी क्रू स्टेशन एक्टिव हो जाएंगे.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में अभी फायर सीजन शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी है. हाल ही में कड़ाके की ठंड के बावजूद उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले के जंगलों में वनाग्नि के मामले सामने आए हैं. ऐसे में वन विभाग अभी से अलर्ट हो गया है. वन विभाग का मानना है कि इस बार बारिश और बर्फबारी बहुत कम हुई है, जिस कारण फायर सीजन की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है.

दरअसल, उत्तराखंड वन विभाग के लिए 15 फरवरी से 15 जून के बीच का समय काफी मुश्किल भरा रहता है. क्योंकि इस समय को फायर सीजन घोषित किया गया है और इस दौरान उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी ज्यादा देखने के मिलती हैं. फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने के लिए वन विभाग हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाता है, बावजूद इसके लिए जंगलों में लगी आग पर अंकुश नहीं लग पाता है.
पढ़ें- गर्मी बढ़ने पर वन विभाग भूला आग बुझाने की 'कला', शोपीस बना कंट्रोल रूम

इस बार को वन विभाग फायर सीजन से पहले ही परेशान नजर आ रहा है. क्योंकि बारिश और बर्फबारी बहुत कम होने की वजह से जंगलों में नमी कम है और ये स्थिति वनाग्नि के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होगी. इसीलिए वन विभाग अभी से अलर्ट हो गया है. मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं प्रसन्न कुमार पात्रो ने कहा कि कर्मचारियों को फरवरी की शुरुआत से ही अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि आग पर काबू पाने के लिए सभी प्रकार की तैयारियों में तेजी लाने और सूचना एकत्र करने के निर्देश भी जारी किए हैं. कुमाऊं में गढ़वाल की अपेक्षा बारिश और बर्फबारी बेहद कम हुई है, जिसको देखते उच्च हिमालई क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं सामने आने लगी हैं.

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं के मुताबिक यदि आने वाले दिनों में बारिश और और बर्फबारी की संभावना थोड़ा बढ़ती हैं तो जंगल में आग की घटनाओं से थोड़ा सा राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाएगा और फायर कंट्रोल से जुड़े सभी क्रू स्टेशन एक्टिव हो जाएंगे.

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