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नैनीताल में मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज, जयकारों से गूंजी सरोवर नगरी

पर्यटन नगरी नैनीताल में ऐतिहासिक नंदा देवी महोत्सव का आगाज हो गया है.आज ब्रह्म मुहूर्त में मूर्ति स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा के साथ मेला शुरू हो जाएगा. हालांकि, कोरोना के चलते महोत्सव सादगी से मनाया जा रहा है.

nanda devi festival
मां नंदा देवी महोत्सव
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Published : Sep 14, 2021, 6:51 AM IST

Updated : Sep 14, 2021, 10:13 AM IST

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा देवी मेले का आगाज हो गया है. इस मौके पर श्रद्धालुओं ने मां के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कदली या केले के वृक्ष से किया जाता है. जिसके बाद आज ब्रह्म मुहूर्त में मां की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भक्त दर्शन कर सकेंगे.

ऐसे होता है मूर्ति का निर्माण: मूर्ति निर्माण करने वाली आरती सम्मल बताती है कि मां अपने स्वरूप का आकर खुद लेती है, कभी मां का हंसता हुआ चेहरा बनता है तो कभी दु:ख भरा जिससे आने वाले समय का भी आकलन किया जाता है कि आने वाला समय कैसा होगा. कई सालों से मां की मूर्ति को आकर दे रहे कलाकारों बताते हैं कि उनके द्वारा मां नंदा और सुनंदा की मूर्ति के निर्माण में जो भी रंग और सामान प्रयोग में लाए जाते हैं, वो पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होते हैं. वहीं, मां नंदा और सुनंदा की की मूर्ति बनाकर में करीब 24 घंटे का समय लगता है. जिसको बांस, कपड़ा, रूई, आदी से बनाया जाता है, जिसके बाद मां की मूर्ति को सोने चांदी के सुंदर गहनों से सजाया जाता है.

नैनीताल में मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज.

पढ़ें-रानीखेत में देश के सबसे बड़े फर्नरी का उद्घाटन, फर्न पौधों के संरक्षण में मिलेगी मदद

इसलिए होती है पूजा: मां नंदा और सुनंदा की मेले को लेकर कथा प्रचलित है कि एक बार मां नंदा और सुनंदा की अपने ससुराल जा रही थी. तभी राक्षस रूपी भैंस ने नंदा सुनंदा का पीछा किया, जिससे बचने के लिए मां नंदा और सुनंदा केले के पेड़ के पीछे छिप गई. तभी वहां खड़े बकरे ने उस केले के पेड़ के पत्तों को खा दिया, जिसके बाद राक्षण रूपी भैंस ने मां नंदा और सुनंदा को मार दिया. जिसके बाद से ही मां नंदा सुनंदा का ये मेला मनाया जाता है. वहीं, चंद राजाओं ने उनकी स्थापना कर देवी के रूप में उनकी पूजा शुरू की जो आज भी जारी है.

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा देवी मेले का आगाज हो गया है. इस मौके पर श्रद्धालुओं ने मां के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कदली या केले के वृक्ष से किया जाता है. जिसके बाद आज ब्रह्म मुहूर्त में मां की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भक्त दर्शन कर सकेंगे.

ऐसे होता है मूर्ति का निर्माण: मूर्ति निर्माण करने वाली आरती सम्मल बताती है कि मां अपने स्वरूप का आकर खुद लेती है, कभी मां का हंसता हुआ चेहरा बनता है तो कभी दु:ख भरा जिससे आने वाले समय का भी आकलन किया जाता है कि आने वाला समय कैसा होगा. कई सालों से मां की मूर्ति को आकर दे रहे कलाकारों बताते हैं कि उनके द्वारा मां नंदा और सुनंदा की मूर्ति के निर्माण में जो भी रंग और सामान प्रयोग में लाए जाते हैं, वो पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होते हैं. वहीं, मां नंदा और सुनंदा की की मूर्ति बनाकर में करीब 24 घंटे का समय लगता है. जिसको बांस, कपड़ा, रूई, आदी से बनाया जाता है, जिसके बाद मां की मूर्ति को सोने चांदी के सुंदर गहनों से सजाया जाता है.

नैनीताल में मां नंदा देवी महोत्सव का आगाज.

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इसलिए होती है पूजा: मां नंदा और सुनंदा की मेले को लेकर कथा प्रचलित है कि एक बार मां नंदा और सुनंदा की अपने ससुराल जा रही थी. तभी राक्षस रूपी भैंस ने नंदा सुनंदा का पीछा किया, जिससे बचने के लिए मां नंदा और सुनंदा केले के पेड़ के पीछे छिप गई. तभी वहां खड़े बकरे ने उस केले के पेड़ के पत्तों को खा दिया, जिसके बाद राक्षण रूपी भैंस ने मां नंदा और सुनंदा को मार दिया. जिसके बाद से ही मां नंदा सुनंदा का ये मेला मनाया जाता है. वहीं, चंद राजाओं ने उनकी स्थापना कर देवी के रूप में उनकी पूजा शुरू की जो आज भी जारी है.

Last Updated : Sep 14, 2021, 10:13 AM IST
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