हल्द्वानी: हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन ही देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था. हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा की स्थिति और विकास पर मंथन को ध्यान में रखना है. बता दें कि, देश में करीब 77 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं.
हिंदी भाषा को अपनाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती है. लेकिन सच्चाई उसके एकदम विपरीत हैं. क्योंकि बदलते दौर के साथ आज सभी लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा की ओर प्रेरित कर रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड के जाने-माने व्यंगकवि वेद प्रकाश (अंकुर) ने अपने कविताओं के माध्यम से हिंदी की हो रही उपेक्षा को बयां किया है.
कवि वेद प्रकाश (अंकुर) ने कहा कि हिंदी भाषा को संरक्षित करने के लिए हिंदी दिवस मनाना एकमात्र विकल्प नहीं है. सरकारों को चाहिए कि सभी स्कूलों और सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में हिंदी को अनिवार्य किया जाए. तभी हिंदी को संरक्षित किया जा सकता है.
हिंदी दिवस के मौके पर कवि वेद प्रकाश ने कुछ पंक्तियां ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए सुनाई है.
" सभी विभागों में कार्य हिंदी में किए जाने का आदेश हुआ,
मगर आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था, आदेश था जो हिंदी में लिखा हुआ था"
"वह बोले मित्रों मेरे प्रश्न का जवाब सुझाव, हिंदी पर जोर देने वालों का कोई बच्चा हिंदी स्कूल में पढ़ता हो तो बताएं" हिंदी पर जोर देने वाले का कोई बच्चा हिंदी स्कूल में पढ़ता हो तो बताएं"
उन्होंने आगे कटाक्ष करते हुए कहा है कि- "हिंदी दिवस पर सभी जगह चर्चा-परिचर्चा, गोष्ठी-संगोष्टी कविताएं के साथ-साथ उसको हिंदी अपनाने पर जोर दिया जाता " मगर हिंदी दिवस के पश्चात सब ढेर ही ढेर" सब ढेर ही ढेर"
कवि वेद प्रकाश (अंकुर) ने अभी तक अपनी कविताओं के जरिए कई उपलब्धियां हासिल की, हिंदी में उनकी गहरी रुचि होने के साथ-साथ कविताएं लिखने और पढ़ने का भी शौकिन है. उनकी लिखी हुई कविताएं आज भी कई जगहों पर प्रकाशित होती है. ऐसे में कवि वेद प्रकाश ने लोगों से हिंदी के संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की है. साथ ही अपनी मातृभाषा को देश दुनिया में पहुंचाने की अपील की है.
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस-
हिंदी दिवस के मौके पर देशभर के स्कूलों, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. हिंदी पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. वहीं, दूसरी ओर भारत में अन्य कई भाषाएं विलुप्त हो रही हैं. जो चिंतन का विषय है. ऐसे में हिंदी की महत्ता बताने और प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी दिवस को मनाया जाता है.
भारत की मुख्य भाषा हिंदी को कब मिली पहचान-
संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को देश की राजभाषा के बनाया था. हिंदी के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया. तभी से देश में प्रति साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया है. अनुच्छेद के अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है.