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हिंदी दिवस विशेष: कवि ने किया कटाक्ष- 'राष्ट्रभाषा कब बनेगी, काज की भाषा'

हिंदी दिवस के मौके पर कवि वेदप्रकाश का कहना है कि कार्यालयों में हिंदी में काम करने का आदेश लिखा होता है, लेकिन जो आदेश लिखा होता है वो अंग्रेजी में होता है. ऐसे में कवि ने खुले मंच से सभी को हिंदी अपनाने का आग्रह किया है.

कवि ने किया कटाक्ष- 'राष्ट्रभाषा कब बनेगी, काज की भाषा'
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Published : Sep 14, 2019, 4:08 PM IST

हल्द्वानी: हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, लेकिन सवाल ये है कि व्यवहारिकता में यह कितनी हमारे दिनचर्या में शरीक हो पाई है. हिंदी दिवस पर देश भर में हिंदी भाषा को अपनाने की बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं, लेकिन सच्चाई इससे एकदम उलट है. ऐसे में कुमाऊं के एक कवि ने अपनी कविताओं में उपेक्षित हो रही हिंदी को बयां किया है.

कवि ने किया कटाक्ष- 'राष्ट्रभाषा कब बनेगी, काज की भाषा'

देश में सरकारी कार्यालय हो या बैंक इन सब जगहों पर हिंदी भाषा के बजाय अंग्रेजी को ही तरजीह दी जाती है. ऐसे में कवि वेद प्रकाश 'अंकुर' ने अपनी कविता में समाज में भाषा को लेकर वैचारिक मतभेदों के पिरोया है...

'गर्व हमें है हिंदी हमारी भाषा है, गर्व हमें हिंदी हमारी भाषा है'
हिंदी की फैली स्कृति अभी हमारी अभिलाषा है.
शर्म हमें कैसी हिंदी को अपनाने में, कहते हैं हिंदी राष्ट्रभाषा है.
हिंदी जीवन की परिभाषा है हिंदी जीवन की परिभाषा है.

उन्होंने आगे कटाक्ष करते हुए लिखा कि.....

सरकार से सभी विभागों में हिंदी में कार्य करने का आदेश हुआ, सरकार से सभी विभागों में हिंदी में कार्य करने का आदेश हुआ, किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था, किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था.

बता दें कि हल्द्वानी के रहने वाले कवि अंकुर ने अपनी कविताओं का लोहा बड़े-बड़े मंचों पर मनवा चुके हैं. अंकुर के द्वारा लिखित हिंदी की कवितायें अपने आप में अजूबा हैं. वहीं कवि का कहना है कि हिंदी कविता को संरक्षित करने और देश में हिंदी भाषा को अपनाने की जरूरत है. ऐसे में अब जरूरत है कि, हिंदी कविताओं का भी संरक्षण किया जाए तभी हिंदी को बढ़ावा मिलेगा.

वहीं, हिंदी दिवस के मौके पर कवि वेद प्रकाश का कहना है कि आज के दौर में हिंदी की कविताएं सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. अगर कविताएं जिंदा रहेंगी तो हमारी बोली, भाषा भी जिंदा रहेगी.

हल्द्वानी: हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, लेकिन सवाल ये है कि व्यवहारिकता में यह कितनी हमारे दिनचर्या में शरीक हो पाई है. हिंदी दिवस पर देश भर में हिंदी भाषा को अपनाने की बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं, लेकिन सच्चाई इससे एकदम उलट है. ऐसे में कुमाऊं के एक कवि ने अपनी कविताओं में उपेक्षित हो रही हिंदी को बयां किया है.

कवि ने किया कटाक्ष- 'राष्ट्रभाषा कब बनेगी, काज की भाषा'

देश में सरकारी कार्यालय हो या बैंक इन सब जगहों पर हिंदी भाषा के बजाय अंग्रेजी को ही तरजीह दी जाती है. ऐसे में कवि वेद प्रकाश 'अंकुर' ने अपनी कविता में समाज में भाषा को लेकर वैचारिक मतभेदों के पिरोया है...

'गर्व हमें है हिंदी हमारी भाषा है, गर्व हमें हिंदी हमारी भाषा है'
हिंदी की फैली स्कृति अभी हमारी अभिलाषा है.
शर्म हमें कैसी हिंदी को अपनाने में, कहते हैं हिंदी राष्ट्रभाषा है.
हिंदी जीवन की परिभाषा है हिंदी जीवन की परिभाषा है.

उन्होंने आगे कटाक्ष करते हुए लिखा कि.....

सरकार से सभी विभागों में हिंदी में कार्य करने का आदेश हुआ, सरकार से सभी विभागों में हिंदी में कार्य करने का आदेश हुआ, किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था, किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था.

बता दें कि हल्द्वानी के रहने वाले कवि अंकुर ने अपनी कविताओं का लोहा बड़े-बड़े मंचों पर मनवा चुके हैं. अंकुर के द्वारा लिखित हिंदी की कवितायें अपने आप में अजूबा हैं. वहीं कवि का कहना है कि हिंदी कविता को संरक्षित करने और देश में हिंदी भाषा को अपनाने की जरूरत है. ऐसे में अब जरूरत है कि, हिंदी कविताओं का भी संरक्षण किया जाए तभी हिंदी को बढ़ावा मिलेगा.

वहीं, हिंदी दिवस के मौके पर कवि वेद प्रकाश का कहना है कि आज के दौर में हिंदी की कविताएं सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. अगर कविताएं जिंदा रहेंगी तो हमारी बोली, भाषा भी जिंदा रहेगी.

Intro:Sammry- हिंदी दिवस पर सुने डॉ वेदप्रकाश अंकुर की कविताएं, हिंदी जीवन की परिभाषा है शर्म हमें कैसी हिंदी को अपनाने में।

एंकर- आज हिंदी दिवस है हिंदी दिवस के मौके पर देश के चारों और हिंदी की बातें तो होती है। हिंदी बोली भाषा को संरक्षित करने के लिए हर साल दिवस के मौके पर बड़े-बड़े बातें तो की जाती है लेकिन सरकारी कार्यालय हो या बैंक उपकरण अभी भी हिंदी भाषा को लेकर बहस का विषय बना हुआ है। आइए सुनते हैं कुमाऊ के मशहूर कवि वेद प्रकाश (अंकुर)की कविताओं में......


Body:हल्द्वानी निवासी कवि वेद प्रकाश (अंकुर ) अपनी कविताओं का लोहा बड़े-बड़े मंचों पर मनवा चुके हैं। कभी अंकुर का कहना है कि हिंदी कविता अपने आप में अजूबा है हिंदी कविता को संरक्षित करने की जरूरत है। क्योंकि कविताओं में बड़ा आनंद होता है हिंदी कविताओं और हिंदी साहित्य में मनोरंजन होता है हिंदी एक ऐसा साहित्य है जिसको पढ़कर लोग बड़े-बड़े ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं ऐसे में अब जरूरत है कि हिंदी कविताओं का भी संरक्षण किया जाए तभी हिंदी को बढ़ावा मिलेगा।
कवि वेद प्रकाश अंकुर ने हिंदी रचनाओं में एक रचना है

गर्व हमें है हिंदी हमारी भाषा है, गर्व हमें हिंदी हमारी भाषा है
हिंदी की फैली स्कृति अभी हमारी अभिलाषा है।
शर्म हमें कैसी हिंदी को अपनाने में कहते हैं हिंदी राष्ट्रभाषा है।
हिंदी जीवन की परिभाषा है हिंदी जीवन की परिभाषा है।

व्यंगकार वेद प्रकाश अंकुर ने अपनी कविताओं में लिखा है कि

सरकार से सभी विभागों में हिंदी में कार्य करने का आदेश हुआ,
सरकार से सभी विभागों में हिंदी मैं कार्य करने का आदेश हुआ किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था ,किंतु आदेश था जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था।


Conclusion:कवि वेद प्रकाश का कहना है कि आज के दौर में हिंदी कविताएं हिंदी बोली भाषा के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर कविताएं जिंदा रहेंगी तो हमारी बोली भाषा भी जिंदा रहेगी।

बाइट- कवि वेद प्रकाश (अंकुर)
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