नैनीतालः रामनगर (मोहान) की इंडियन मेडिसन फार्मास्यूटिकल कंपनी लिमिटेड (आईएमपीसीएल) को केंद्र सरकार द्वारा निजी हाथों में देने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में पहुंच गया है. मामले में सख्त रुख अपनाते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि फैक्ट्री को निजी हाथों में देने से पहले केंद्रीय आयुष मंत्रालय समेत उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा उठाई आपत्तियों पर विचार करते हुए अंतिम निर्णय लें.
वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि जब तक राज्य सरकार और केंद्रीय आयुष मंत्रालय की आपत्तियों का अंतिम निस्तारण नहीं होगा तब तक फैक्ट्रियों को निजी हाथों में न दिया जाए.बता दें कि रामनगर निवासी नीरज तिवारी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा रामनगर ( मोहान ) की इंडियन मेडिसन फार्मास्यूटिकल कंपनी लिमिटेड (आईएमपीसीएल) निजी हाथों में देने का फैसला किया गया है, जो गलत है.
इस फार्मास्यूटिकल कंपनी से उत्तराखंड के करीब 500 गांव के लोग प्रभावित होंगे, क्योंकि आयुर्वेदिक और यूनानी दवा बनाने के लिए ग्रामीण जड़ी बूटी (कच्चा माल) प्रदान करते हैं, वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस कदम से हजारों लोग बेरोजगार होंगे और अब तक जो आयुर्वेदिक और यूनानी दवा देश में सस्ते दामों पर मिलती थी अब उसकी कीमत करीब 4 गुना बढ़ जाएगी.
याचिकाकर्ता का कहना है कि केंद्र सरकार के इस आदेश का विरोध राज्य सरकार समेत केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय भी कर रहा है, क्योंकि इस फैक्ट्री से करीब 37 करोड़ सालाना का मुनाफा होता है और यह कंपनी साल में 100 करोड़ का टर्नओवर भी देती है, अगर सरकार इस कंपनी को निजी हाथों में देगी तो क्षेत्र के लोग बेरोजगार होंगे और इसका उत्तराखंड पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. लिहाजा कंपनी का निजीकरण होने से रोका जाए.