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पौड़ी में शिक्षा अधिकारियों के कथित स्टिंग प्रकरण में HC ने CS से मांगा जवाब, जानें पूरा मामला

Alleged sting of Pauri education officials पौड़ी में शिक्षा अधिकारियों के कथित स्टिंग प्रकरण में हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को तलब किया है. कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को 3 सप्ताह का समय दिया है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2023, 5:09 PM IST

Updated : Oct 3, 2023, 7:03 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पौड़ी जिले के शिक्षा अधिकारियों का सितंबर 2018 में हुए स्टिंग प्रकरण की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच करके तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करें. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जो अधिकारी इसमें शामिल हैं, उनके ऊपर क्या कार्रवाई हुई? मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.

मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पूर्व के आदेश पर अभी तक जांच की क्या स्थिति है. जिसपर सरकार की तरफ से कहा गया कि जांच चल रही है. कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2022 में इस मामले पर मुकदमा दर्ज हो चुका है और दो साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन अभी तक जांच पूरी क्यों नहीं हो पाई है?
ये भी पढ़ेंः शिक्षा विभाग ने कई नियुक्तियों पर लगाई रोक, गड़बड़ी की आशंकाओं के बीच उठाया बड़ा कदम

मामले के मुताबिक, पौड़ी निवासी पुष्कर सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सितंबर 2018 में पौड़ी के तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों का कथित स्टिंग जिसमें वे एक कॉलेज में अपने संबंधी की नियुक्ति करने व घूस लेने की वार्ता कर रहे हैं, का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. साथ ही कुछ अखबारों ने भी इसे प्रकाशित किया था.

इस मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों से प्रार्थना पत्र भेजकर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण यह जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका में तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत, हरे राम यादव, प्रबंधक उच्च माध्यमिक विद्यालय कोटगढ़ पौड़ी, मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पटल सहायक अनिल नेगी सहित सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पौड़ी जिले के शिक्षा अधिकारियों का सितंबर 2018 में हुए स्टिंग प्रकरण की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच करके तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करें. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जो अधिकारी इसमें शामिल हैं, उनके ऊपर क्या कार्रवाई हुई? मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.

मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पूर्व के आदेश पर अभी तक जांच की क्या स्थिति है. जिसपर सरकार की तरफ से कहा गया कि जांच चल रही है. कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2022 में इस मामले पर मुकदमा दर्ज हो चुका है और दो साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन अभी तक जांच पूरी क्यों नहीं हो पाई है?
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मामले के मुताबिक, पौड़ी निवासी पुष्कर सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सितंबर 2018 में पौड़ी के तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों का कथित स्टिंग जिसमें वे एक कॉलेज में अपने संबंधी की नियुक्ति करने व घूस लेने की वार्ता कर रहे हैं, का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. साथ ही कुछ अखबारों ने भी इसे प्रकाशित किया था.

इस मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों से प्रार्थना पत्र भेजकर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण यह जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका में तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत, हरे राम यादव, प्रबंधक उच्च माध्यमिक विद्यालय कोटगढ़ पौड़ी, मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पटल सहायक अनिल नेगी सहित सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है.

Last Updated : Oct 3, 2023, 7:03 PM IST

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