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Uttarakhand High Court: गलत तरीके से वाहन सीज मामले पर HC सख्त, 5 लाख मुआवजा वसूलने के आदेश

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Published : Jan 14, 2023, 8:46 PM IST

गलत तरीके से वाहन सीज करने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रूख (Hearing in High Court in vehicle seizure case) अपनाया है. कोर्ट ने तत्कालीन उप जिलाधिकारी से 5 लाख मुआवजा राशि वसूलने के आदेश दिए हैं. मामला पिथौरागढ़ के थल थानाक्षेत्र का है.

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गलत तरीके से वाहन सीज मामले पर HC सख्त

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने थल पिथौरागढ़ निवासी एक व्यक्ति का वाहन गलत नीयत से सीज करने पर डीडीहाट के तत्कालीन उप जिलाधिकारी से पांच लाख की मुआवजा राशि वसूलने के निर्देश जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को दिए हैं. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय मिश्रा की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार थल निवासी धरम सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 2015 में उनके वाहन नंबर यूके एसटी ए-1140 को ओवरलोडिंग के जुर्म में थल थानाध्यक्ष ने सीज कर दिया. साथ ही मामले में आपराधिक मुकदमा शुरू कर दिया, जबकि उनका वाहन ओवरलोड नहीं था. लंबे समय बाद भी वाहन मुक्त नहीं किया गया, जबकि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 451 और 457 के संयुक्त पठन से पता चलता है कि मजिस्ट्रेट के पास एक अंतरिम आदेश पारित करने या वाहन को छोड़ने का ही अधिकार है, जब भी कोई जांच एजेंसी किसी वाहन को जब्त करती है, तो इसकी सूचना प्राधिकरण को दी जानी चाहिए.

पढ़ें- Joshimath sinking: भू-धंसाव के कारणों का पता लगाने में जुटी वैज्ञानिकों की टीम

इस मामले में मजिस्ट्रेट ने खुद वाहन को जब्त कर लिया है और किसी भी सक्षम न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई चालान दायर नहीं किया गया. नतीजतन, जब्ती की तारीख से आज तक वाहन थाने में निष्क्रिय और अनुपयोगी पड़ा रहा, जो कि सुंदरलाल अंबालाल देसाई के मामले सुप्रीम कोर्ट में संपत्ति के निपटान के साथ-साथ आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में कानून और सामग्री के प्रावधानों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों का स्पष्ट उल्लंघन है.
पढ़ें- Joshimath Sinking: ISRO-NRSC की रिपोर्ट वेबसाइट से 'गायब', कांग्रेस ने उठाए सवाल

हाईकोर्ट ने इस मामले को देखते हुए वाहन को तुरंत याचिकाकर्ता को मुक्त करने एवं जब्त की अवधि से तक की अवधि के लिए कोई भी कर याचिकाकर्ता से वसूल न करने और याचिकाकर्ता को 5 लाख का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी यह राशि तत्कालीन डीडीहाट के उप जिलाधिकारी पिथौरागढ़ से 30 दिनों की अवधि के भीतर वसूल करेंगे.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने थल पिथौरागढ़ निवासी एक व्यक्ति का वाहन गलत नीयत से सीज करने पर डीडीहाट के तत्कालीन उप जिलाधिकारी से पांच लाख की मुआवजा राशि वसूलने के निर्देश जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को दिए हैं. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय मिश्रा की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार थल निवासी धरम सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 2015 में उनके वाहन नंबर यूके एसटी ए-1140 को ओवरलोडिंग के जुर्म में थल थानाध्यक्ष ने सीज कर दिया. साथ ही मामले में आपराधिक मुकदमा शुरू कर दिया, जबकि उनका वाहन ओवरलोड नहीं था. लंबे समय बाद भी वाहन मुक्त नहीं किया गया, जबकि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 451 और 457 के संयुक्त पठन से पता चलता है कि मजिस्ट्रेट के पास एक अंतरिम आदेश पारित करने या वाहन को छोड़ने का ही अधिकार है, जब भी कोई जांच एजेंसी किसी वाहन को जब्त करती है, तो इसकी सूचना प्राधिकरण को दी जानी चाहिए.

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इस मामले में मजिस्ट्रेट ने खुद वाहन को जब्त कर लिया है और किसी भी सक्षम न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई चालान दायर नहीं किया गया. नतीजतन, जब्ती की तारीख से आज तक वाहन थाने में निष्क्रिय और अनुपयोगी पड़ा रहा, जो कि सुंदरलाल अंबालाल देसाई के मामले सुप्रीम कोर्ट में संपत्ति के निपटान के साथ-साथ आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में कानून और सामग्री के प्रावधानों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों का स्पष्ट उल्लंघन है.
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हाईकोर्ट ने इस मामले को देखते हुए वाहन को तुरंत याचिकाकर्ता को मुक्त करने एवं जब्त की अवधि से तक की अवधि के लिए कोई भी कर याचिकाकर्ता से वसूल न करने और याचिकाकर्ता को 5 लाख का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी यह राशि तत्कालीन डीडीहाट के उप जिलाधिकारी पिथौरागढ़ से 30 दिनों की अवधि के भीतर वसूल करेंगे.

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