नैनीताल: जसपुर के 19 गांवों को ग्रामसभा से हटाकर राजस्व गांव में शामिल करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी का जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर जिले के जसपुर तहसील के 19 राजस्व गांवों करनपुर, हरियावाला, शाहगंज, क़िलावती, दुर्गापुर, नवलपुर, गढ़ीनेगी, भरतपुर, गिरघई मुंशी, बाबर खेड़ा एवं माजरा श्याम नगर, लालपुर, कुण्डा, गनेशपुर, केसरीपुर, बकसौरा, टीला, बैंतवाला, बगवाड़ा, पस्तोरा समते अन्य गांव को काशीपुर तहसील में शामिल करने के मामले पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिक की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
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कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस वजह से इन गांवों को दूसरी तहसील में शामिल किया गया है. बता दें कि जसपुर निवासी सद्दाम हुसैन व अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि क्षेत्र की जनता को सुविधा देने के उद्देश्य से 2004 में काशीपुर तहसील से करीब 101 गांवों को हटाकर जसपुर तहसील बनाई गई.
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मगर, 12 मई 2019 को राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर 19 गांवों को फिर से काशीपुर तहसील में शामिल कर दिया गया. इसके लिए जनप्रतिनिधियों या जनता से कोई अनापत्ति नहीं की गई. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा सिर्फ राजनीतिक कारणों से यह निर्णय लिया गया है. सरकार के इस निर्णय की वजह से लोगों को अपने प्रमाण-पत्र बदलने होंगे. जिसमें समय व पैसे दोनों खर्च होगा. राज्य सरकार द्वारा जारी इस आदेश और नोटिफिकेशन को तत्काल निरस्त किया जाये.