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टिहरी स्कूल वैन हादसा: 10 बच्चों की मौत पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब

टिहरी में हुए स्कूल वैन हादसे में कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में बगैर मानकों को पूरा किये अवैध स्कूल चलाए जा रहे हैं. जिन पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है.

नैनीताल हाईवे
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Published : Sep 3, 2019, 11:18 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 11:49 PM IST

नैनीताल: टिहरी में सड़क हादसे में 10 बच्चों की मौत का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. बच्चों की मौत को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एंजल इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल को भी नोटिस जारी कर दिया है.

बता दें कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें याचिकाकर्ता का कहना है कि बैन के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से यह हादसा हुआ है. जिस समय हादसा हुआ उस समय बैन को ड्राइवर को नाबालिग लड़का चला रहा था. साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा मारे गए बच्चे के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है.

गोपाल के वर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

पढे़ं- भगतदा को हरदा ने महामहिम बनने पर इस तरह दी बधाई, बताया- उत्तराखंड का खिचड़ी बाबा

याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी, जिसको शिक्षा विभाग द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए जा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. याचिकाकर्ता की शिकायत है कि सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का सर्वे भी नहीं किया जा रहा है. साथ ही परिवहन विभाग ओवरलोडिंग के मामले पर भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है.

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को बच्चों को स्कूल ले जा रही बैन खाई में गिर गई थी. इसमें 22 लोग सवार थे. जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे. जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई थी. जबकि, 10 गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

नैनीताल: टिहरी में सड़क हादसे में 10 बच्चों की मौत का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. बच्चों की मौत को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एंजल इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल को भी नोटिस जारी कर दिया है.

बता दें कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें याचिकाकर्ता का कहना है कि बैन के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से यह हादसा हुआ है. जिस समय हादसा हुआ उस समय बैन को ड्राइवर को नाबालिग लड़का चला रहा था. साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा मारे गए बच्चे के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है.

गोपाल के वर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

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याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी, जिसको शिक्षा विभाग द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए जा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. याचिकाकर्ता की शिकायत है कि सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का सर्वे भी नहीं किया जा रहा है. साथ ही परिवहन विभाग ओवरलोडिंग के मामले पर भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है.

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को बच्चों को स्कूल ले जा रही बैन खाई में गिर गई थी. इसमें 22 लोग सवार थे. जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे. जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई थी. जबकि, 10 गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

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टिहरी में स्कूल वैन के खाई में गिरने से हुई बच्चों की मौत का मामला पहुंचा नैनीताल हाई कोर्ट।

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टिहरी गढ़वाल के जाखनी धार में एंजेल पब्लिक इंटरनेशनल स्कूल की वैन खाई में गिरकर हुई बच्चों की मौत का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है,बच्चों की मौत को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं साथ ही कोर्ट ने एंजल इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल को नोटिस जारी करा है।




Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 5 अगस्त 2019 को बच्चो को स्कूल ले जा रही जीप खाई में जा गिरी, इस जिप में 22 लोग सवार थे, जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे और खाई में गाड़ी गिरने के दौरान 10 बच्चों की मौत हो गई जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि जीप के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से यह हादसा हुआ क्योंकि जिस समय हादसा हुआ उस समय जीप को ड्राइवर का नाबालिक लड़का चला रहा था, साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा मारे गए बच्चे के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है।


Conclusion:साथ ही याचिका में कहा गया है कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में बगैर मानकों के पूरा करें बगैर मान्यता के अवैध स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिन पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है वहीं कार्यवाही के नाम पर केवल बार-बार नोटिस दिए जा रहे हैं लेकिन दबाव के चलते कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की जा रही है,
वही याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी जिसको शिक्षा विभाग के द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए जा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई घटना के बाद भी सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, साथ ही सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का सर्वे भी नहीं किया जा रहा है कि उत्तराखंड में कितने स्कूल बगैर मान्यता के चल रहे हैं,,, वहीं याचिकाकर्ता ने परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली और सवाल करते हुए कहां है कि प्रदेश में बड़े बड़े हादसे हो रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग ओवरलोडिंग के मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

बाईट- गोपाल के वर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Sep 3, 2019, 11:49 PM IST
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