नैनीताल: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं के NGO को लाभ पहुंचाने के मामले में दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को शपथपत्र दायर कर जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. वहीं, सरकार ने कोर्ट को बताया कि पूरे मामले में सरकार नहीं, बोर्ड अपना जवाब कोर्ट में पेश करेगा.
बता दें, हल्द्वानी निवासी अमित पांडे ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन साल 2005 में किया गया था, जिसका काम प्रदेश के श्रमिकों के उत्थान व कल्याण के लिए प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों से 2% टैक्स लेना होता है. जिससे श्रमिकों का उत्थान किया जाता है लेकिन उत्तराखंड में 2005 से अब तक श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन नहीं किए गए और न ही श्रमिकों के उत्थान के लिए टैक्स वसूला गया.
बोर्ड की लापरवाही की वजह से प्रदेश के श्रमिकों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका. साल 2005 से अब तक प्रदेश के 6 जिलों में करीब 40 हजार श्रमिकों का ही पंजीकरण कराया गया है, लेकिन इन श्रमिकों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया गया. याचिकाकर्ता का कहना है हरक सिंह रावत की बहू के एनजीओ को बोर्ड के कार्यक्रम आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है, जो बोर्ड के नाम पर अपने एनजीओ का प्रचार कर रही हैं.
वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि कोविड-19 के दौरान इस बजट का प्रयोग श्रमिकों के उत्थान के लिए होना चाहिए था, लेकिन बोर्ड के द्वारा श्रमिकों के लिए किसी भी प्रकार की मदद नहीं दी गई है. श्रमिकों को फायदा दिलाने के स्थान पर एनजीओ को फायदा पहुंचाया जा रहा है. लिहाजा, बोर्ड के चेयरमैन को हटाकर मामले की स्पष्ट जांच की जांए.
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बता दें, पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं समेत केंद्र सरकार, सचिव श्रम को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. सभी लोगों ने अपने जवाब कोर्ट में पेश कर दिए हैं. मामले में अब तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.