नैनीताल: दून विश्वविद्यालय के कुलपति डीके नौटियाल को बड़ा झटका लगा है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए कुलपति की नियुक्ति को निरस्त कर दिया, साथ ही शासन को निर्देश दिया है कि डीके नौटियाल को पद से तत्काल हटाया जाए और नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए.
बता दें कि देहरादून निवासी यज्ञ भूषण शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि दून विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्यरत प्रोफेसर डीके नौटियाल की नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति की गई है और कुलपति के पास इस पद के लिए कोई शैक्षिक योग्यता नहीं है, और कुलपति पद के लिए शासन द्वारा निर्धारित योग्यता भी डीके नौटियाल क्वालिफिकेशन पूरी नहीं करते हैं, और डीके नौटियाल द्वारा कुलपति के पद को हासिल करने के लिए कई गलत दस्तावेज भी पेश किए गए हैं, कई तथ्यों को छुपाया है.
वहीं, सूचना के अधिकार के माध्यम से पता चला कि डीके नौटियाल कभी प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति नहीं रहे, वह केवल सीएसआईआर में कार्यरत रहे हैं, जहां कोई भी शैक्षणिक कार्य नहीं किया जाता.
वहीं इससे पहले डीके नौटियाल ने हाई कोर्ट में शपथपत्र पेश कर कहा था कि वह प्रोफेसर हैं और राज्य सरकार द्वारा यूजीसी रेगुलेशन को कुलपति के पद हेतु अधिकृत नहीं किया गया है, इसलिए यूजीसी रेगुलेशन बाध्यकारी नहीं है. यूजीसी रेगुलेशन ने भी शैक्षणिक कार्य के लिये शिक्षकों के लिए निर्धारण प्रक्रिया राज्य सरकार से अंकित है जिसे कुलपति के पद के लिये लागू नहीं किया जा सकता.
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आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने दून विश्वविद्यालय के कुलपति को पद से तत्काल हटाने के आदेश दिए साथ ही कुलपति के पद चयन समिति में यूजीसी रेगुलेशन के उल्लंघन की बात मानी और कुलपति के चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया.