नैनीताल: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी बहु अनुकृति गुसाईं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नैनीताल हाई कोर्ट ने अनुकृति गुसाईं के NGO को फायदा दिलाने समेत मजदूरों के हितों के लिए काम नहीं करने सहित अन्य मामलों पर हरक सिंह रावत, अनुकृति गुसाईं, केंद्र सरकार और सचिव श्रम को नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट ने इस मामले में इन सभी से 2 हफ्ते की भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
हल्द्वानी के रहने वाले अमित पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में 2005 से अबतक श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन नहीं किये गए हैं और न ही श्रमिकों के उत्थान के लिए टैक्स वसूला गया है.
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बोर्ड की लापरवाही की वजह से प्रदेश के श्रमिकों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है. 2005 से अब तक प्रदेश के 6 जिलों में करीब 40 हजार श्रमिकों का ही पंजीकरण कराया गया है. आज तक इन श्रमिकों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया गया. याचिकाकर्ता का कहना था कि हरक सिंह रावत की बहू के एनजीओ को बोर्ड के कार्यक्रम आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है, जो बोर्ड के नाम पर अपने एनजीओ का ही प्रचार कर रहा है.
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याचिकाकर्ता ने कहा कि कोविड-19 के दौरान इस बजट का प्रयोग श्रमिकों के उत्थान के लिए होना चाहिए था, मगर बोर्ड के द्वारा श्रमिकों के लिए किसी भी प्रकार की मदद नहीं दी गई है. श्रमिकों को फायदा दिलाने की जगह एनजीओ को फायदे के लिए चलाया जा रहा है. लिहाजा बोर्ड के चेयरमैन को हटाकर मामले की स्पष्ट जांच की जाए. मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनकी बहू अनुकृति गुसाईं, सचिव श्रम और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिया है.