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हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब - नैनीताल

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने रोडवेज यूनियन की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने कर्मचारियों के बकाया वेतन मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में हाई कोर्ट सख्त
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Published : Oct 14, 2019, 9:42 PM IST

नैनीताल: हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन की ओर से डाली गई याचिका में बताया गया था कि प्रदेश में डग्गामार, ई-रिक्शा और अवैध बसों का संचालन हो रहा है. जिससे निगम को घाटा हो रहा है. लेकिन सरकार इस ओर कोई काम नहीं कर रही है. इसके अलावा लंबित वेतन के नाम पर राज्य सरकार ने निगम के लिए बकाया 21 करोड़ रुपए के बजाए सिर्फ 17 करोड़ जारी किए.

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में हाई कोर्ट सख्त

एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट में डाली गई याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार की तरफ से कर्मचारियों के अगस्त माह का वेतन, ईपीएफ व अन्य देय का भुगतान भी नहीं किया गया है. जबकि उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक ने सरकार को हिल लॉस और अन्य भुगतान के लिए 85 करोड़ रुपए का बिल भेजा था, जिस पर सरकार ने विचार तक नहीं किया.

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याचिका में ये भी कहा गया है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो सरासर गलत है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है. इसके अलावा सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, न ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं. पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया गया. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

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सरकार और निगम कर्मियों के बीच कई बार समझौता

कर्मचारी यूनियन का ये भी कहना है कि सरकार और निगम का कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को 700 करोड़ रुपए देना है. इस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन राज्य सरकार यूपी से बकाया लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. इन सभी दिक्कतों का असर ये है कि उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है, न ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था कर पा रहा है. जबकि कोर्ट बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दे चुका है. मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने सरकार और उत्तराखंड परिवहन निगम को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन की ओर से डाली गई याचिका में बताया गया था कि प्रदेश में डग्गामार, ई-रिक्शा और अवैध बसों का संचालन हो रहा है. जिससे निगम को घाटा हो रहा है. लेकिन सरकार इस ओर कोई काम नहीं कर रही है. इसके अलावा लंबित वेतन के नाम पर राज्य सरकार ने निगम के लिए बकाया 21 करोड़ रुपए के बजाए सिर्फ 17 करोड़ जारी किए.

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल मामले में हाई कोर्ट सख्त

एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट में डाली गई याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार की तरफ से कर्मचारियों के अगस्त माह का वेतन, ईपीएफ व अन्य देय का भुगतान भी नहीं किया गया है. जबकि उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक ने सरकार को हिल लॉस और अन्य भुगतान के लिए 85 करोड़ रुपए का बिल भेजा था, जिस पर सरकार ने विचार तक नहीं किया.

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याचिका में ये भी कहा गया है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो सरासर गलत है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है. इसके अलावा सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, न ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं. पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया गया. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

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सरकार और निगम कर्मियों के बीच कई बार समझौता

कर्मचारी यूनियन का ये भी कहना है कि सरकार और निगम का कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को 700 करोड़ रुपए देना है. इस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन राज्य सरकार यूपी से बकाया लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. इन सभी दिक्कतों का असर ये है कि उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है, न ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था कर पा रहा है. जबकि कोर्ट बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दे चुका है. मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने सरकार और उत्तराखंड परिवहन निगम को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के मामले में राज्य सरकार से सोमवार तक जवाब पेश करने के दिए आदेश।

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आज मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उत्तराखंड में डग्गामार ई व अवैध बसों का संचालन हो रहा है जिससे निगम को घाटा हो रहा है और इन द गामारी और अवैध बस संचालन को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई काम नहीं किए गए हैं जिससे विशेष रुप से निगम की आय पर प्रभाव पड़ा है, वहीं राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि यह राज्य सरकार द्वारा परिवहन निगम के कर्मचारियों के वेतन के लिए 17 करोड रुपए जारी कर दिए गए हैं,
जिसके बाद कर्मचारी एसोसिएशन की तरफ से बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा उनको केवल 17 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं जबकि कर्मचारियों की 1 माह का वेतन करीब 21 करोड रूपया है, और सरकार की तरफ से कर्मचारियों के अगस्त माह का वेतन, ईपीएफ व अन्य देय का भुगतान भी नहीं किया गया है, वहीं उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के प्रबंध निर्देशक द्वारा सरकार को हिल लॉस व अन्य देव के भुगतान के लिए 85 करोड़ का बिल भेजा था, जिस पर सरकार ने विचार नहीं किया।
वहीं रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन का कहना है कि अगर सरकार हर महीने हिल लॉस का भुगतान करती तो ऐसी स्थिति नहीं आएगी।




Body:आपको बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है, सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है और सरकार व परिवहन निगम ना तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, ना ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं और उनको पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया है, वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का अब तक भुगतान नहीं किया गया है।


Conclusion:कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार ओर निगम का उनके साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है लेकिन उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है,
वही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 देना है जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,, और उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ लेने के लिए ना तो राज्य सरकार कोई प्रयास कर रही है,,,
और उत्तराखण्ड सरकार भी उनका का पैसा नही दे रही है जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है ना ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था कर पा रहा है, जबकि पूर्व में कोर्ट ने बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दिए थे।
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने सरकार और उत्तराखंड परिवहन निगम को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एम सी पंत,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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