ETV Bharat / state

इंटर कॉलेजों के प्रवक्ताओं के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट ने वेतन रिकवरी का शासनादेश किया निरस्त

Salary recovery order canceled नैनीताल हाईकोर्ट में आज प्रवक्ता और सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के वेतन से रिकवरी करने संबंधित मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने वेतन रिकवरी करने से संबधित शासनादेश को निरस्त कर दिया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 12, 2024, 4:02 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रवक्ता और सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के वेतन से रिकवरी करने के शिक्षा विभाग के 6 सितंबर 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई. मामले के अनुसार इंटर कॉलेजों के प्रवक्ता रमेश पैन्यूली , विनोद पैन्यूली, धीरेन्द्र मिश्रा, सुशील तिवारी और अन्य प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिक्षा विभाग द्वारा जारी रिकवरी आदेशों को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार उन्हें उत्तराखंड सरकारी सेवक वेतन नियमावली 2016 के नियम 13 के अंतर्गत एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट के साथ चयन वेतनमान एवं पदोन्नति वेतनमान वर्ष 2016 से प्रदान किए गए. बाद में सरकार द्वारा वर्ष 2019 में एक शासनादेश जारी किया गया, जिसमें चयन वेतनमान एवं पदोन्नति वेतनमान देने पर एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया. इसी शासनादेश के आधार पर प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड से अतिरिक्त भुगतान की गई राशि को वसूलने के लिये शिक्षा विभाग द्वारा रिकवरी के आदेश जारी किए गए थे.

ये भी पढ़ें: जिला जज धनंजय चतुर्वेदी बहाल, HC ने सस्पेंशन ऑर्डर और चार्जशीट की रद्द, जानें कोर्ट रूम में क्या हुआ

याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया कि उन्हें चयन/पदोन्नति वेतनमान 2016 की वेतन नियमावली के तहत दिया गया है. सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जारी शासनादेश वेतन नियमावली 2016 को अतिक्रमित नहीं कर सकता. लिहाजा सरकार द्वारा जारी शासनादेश विधि के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ललित सामंत द्वारा कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड के मामले में अवधारित किया है कि अगर किसी कर्मचारी की सेवा शर्तें नियमावली से आच्छादित की गई हैं, तो सरकार द्वारा कोई शासनादेश जारी कर नियमावली के खिलाफ नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता. अगर सरकार ऐसा करती है तो यह विधि के खिलाफ होगा. उच्च न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आलोक में याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं स्वीकार करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा जारी रिकवरी आदेशों को निरस्त कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें: मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति मामले में HC ने अतिक्रमणकारियों की याचिका को किया खारिज, दिए ये आदेश

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रवक्ता और सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के वेतन से रिकवरी करने के शिक्षा विभाग के 6 सितंबर 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई. मामले के अनुसार इंटर कॉलेजों के प्रवक्ता रमेश पैन्यूली , विनोद पैन्यूली, धीरेन्द्र मिश्रा, सुशील तिवारी और अन्य प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिक्षा विभाग द्वारा जारी रिकवरी आदेशों को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार उन्हें उत्तराखंड सरकारी सेवक वेतन नियमावली 2016 के नियम 13 के अंतर्गत एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट के साथ चयन वेतनमान एवं पदोन्नति वेतनमान वर्ष 2016 से प्रदान किए गए. बाद में सरकार द्वारा वर्ष 2019 में एक शासनादेश जारी किया गया, जिसमें चयन वेतनमान एवं पदोन्नति वेतनमान देने पर एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया. इसी शासनादेश के आधार पर प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड से अतिरिक्त भुगतान की गई राशि को वसूलने के लिये शिक्षा विभाग द्वारा रिकवरी के आदेश जारी किए गए थे.

ये भी पढ़ें: जिला जज धनंजय चतुर्वेदी बहाल, HC ने सस्पेंशन ऑर्डर और चार्जशीट की रद्द, जानें कोर्ट रूम में क्या हुआ

याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया कि उन्हें चयन/पदोन्नति वेतनमान 2016 की वेतन नियमावली के तहत दिया गया है. सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जारी शासनादेश वेतन नियमावली 2016 को अतिक्रमित नहीं कर सकता. लिहाजा सरकार द्वारा जारी शासनादेश विधि के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ललित सामंत द्वारा कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड के मामले में अवधारित किया है कि अगर किसी कर्मचारी की सेवा शर्तें नियमावली से आच्छादित की गई हैं, तो सरकार द्वारा कोई शासनादेश जारी कर नियमावली के खिलाफ नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता. अगर सरकार ऐसा करती है तो यह विधि के खिलाफ होगा. उच्च न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आलोक में याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं स्वीकार करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा जारी रिकवरी आदेशों को निरस्त कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें: मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति मामले में HC ने अतिक्रमणकारियों की याचिका को किया खारिज, दिए ये आदेश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.