नैनीतालः हाई कोर्ट ने प्रदूषण फैला रहीं फैक्ट्रियां को नोटिस देने के बावजूद बंद न होने पर सख्त रवैया अपनाया है. साथ ही कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व स्थानीय प्रशासन द्वारा सहयोग न करने पर नाराजगी व्यक्त की है.
कोर्ट ने कहा कि अभी तक प्रदूषण फैला रहीं फैक्ट्रियां क्यों बंद नहीं हुई हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस सम्बन्ध में सोमवार तक शपथपत्र पेश करें. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.
सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में प्रदेश की सभी फैक्ट्रियों की लिस्ट पेश की और कोर्ट को बताया कि उन्होंने प्रदूषण फैला रहीं कंपनियों को बंद करने के नोटिस जारी किये थे, लेकिन प्रशासन, पुलिस व बिजली विभाग द्वारा इनको बंद कराने के लिए सहयोग नहीं किया जा रहा है.
जिसके कारण फैक्ट्रियों को बंद कराने में दिक्कतें आ रही हैं. पूर्व में सरकार की तरफ से मौखिक रूप से खंडपीठ को अवगत कराया गया था कि प्रदूषण बोर्ड द्वारा अभी तक मानकों को पूरा न करने वाली लगभग 130 फैक्ट्रियों को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया गया था.
पूर्व में कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड से प्रदेश की सभी फैक्ट्रियों की लिस्ट मांगी थी, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश की 30 से 35 फैक्ट्रियां ऐसी हैं जो केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण के मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वे इस पर कार्रवाई करें.
आपको बता दें कि उधम सिंह नगर निवासी हिमांशु चंदोला ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर में लगभग 27-28 इंडस्ट्रीज ऐसी हैं, जिनके द्वारा वायु व जल प्रदूषण किया जा रहा है.
जिससे कई लोगों की हेपेटाइटिस से मौत भी हो गई है. याचिका में कहा कि वहां की कृषि भूमि कृषि लायक भी नहीं रह गई है.
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वहां का सारा पानी खेतों व नदियों में बहाया जा रहा है जिससे वहां की नदी भी दूषित हो रहा है.