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HC में हुई दून विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, जानें क्या हुआ

उत्तराखंड हाईकोर्ट में दून विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद नियुक्ति को सही ठहराते हुए याचिका निरस्त कर दी है.

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Published : Nov 15, 2022, 5:27 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दून विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर संचार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने असिस्टेंट प्रोफेसर संचार की नियुक्ति को वैध मानते हुए याचिकाकर्ता शांति प्रसाद भट्ट की याचिका को निरस्त (Shanti Prasad Bhatt petition dismissed) कर दिया है.

मामले के मुताबिक, देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट (Shanti Prasad Bhatt) ने याचिका दायर कर कहा है कि डॉ राजेश कुमार की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर संचार के पद पर 2010 में दून विश्वविद्यालय में हुई थी. डॉक्टर कुमार इस पद के लिए यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यता धारण नहीं करते हैं. दून विश्वविद्यालय ने इन्हें यूजीसी के नियमों के विरुद्ध जाकर नियुक्ति दी है. इसलिए इनकी नियुक्ति की रद्द की जाए.
ये भी पढ़ेंः HC का फर्जी आदेश बनाने का मामला, कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के खिलाफ CBI जांच के आदेश

डॉक्टर राजेश कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि डॉक्टर की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के तहत हुई है. वे इस पद पर नियुक्त होने के लिए सभी योग्यता रखते हैं. विश्वविद्यालय ने भी इसकी जांच के लिए पूर्व में तीन सदस्यी विषय विशेष कमेटी गठित की थी. कमेटी ने भी इन्हें इस पद हेतु योग्य माना और ये इस पद हेतु सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को विषय विशेष कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और याचिका को निरस्त किया जाए.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दून विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर संचार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने असिस्टेंट प्रोफेसर संचार की नियुक्ति को वैध मानते हुए याचिकाकर्ता शांति प्रसाद भट्ट की याचिका को निरस्त (Shanti Prasad Bhatt petition dismissed) कर दिया है.

मामले के मुताबिक, देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट (Shanti Prasad Bhatt) ने याचिका दायर कर कहा है कि डॉ राजेश कुमार की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर संचार के पद पर 2010 में दून विश्वविद्यालय में हुई थी. डॉक्टर कुमार इस पद के लिए यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यता धारण नहीं करते हैं. दून विश्वविद्यालय ने इन्हें यूजीसी के नियमों के विरुद्ध जाकर नियुक्ति दी है. इसलिए इनकी नियुक्ति की रद्द की जाए.
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डॉक्टर राजेश कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि डॉक्टर की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के तहत हुई है. वे इस पद पर नियुक्त होने के लिए सभी योग्यता रखते हैं. विश्वविद्यालय ने भी इसकी जांच के लिए पूर्व में तीन सदस्यी विषय विशेष कमेटी गठित की थी. कमेटी ने भी इन्हें इस पद हेतु योग्य माना और ये इस पद हेतु सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को विषय विशेष कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और याचिका को निरस्त किया जाए.

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