नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court Nainital) ने आज तीन अलग-अलग दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें स्वामी चिदानंद मुनि (Swami Chidanand Muni) की स्वर्गाश्रम में 148 नाली विवादित भूमि (Swargashram land dispute case) राज्य सरकार को हस्तांतरित किए जाने, राजाजी नेशनल पार्क के कुनाऊ गांव में अवैध निर्माण करने और ऋषिकेश के वीरपुर खुर्द में वन विभाग की 35 बीघा भूमि पर कब्जा करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 7 मार्च की तारीख तय की है.
गौर हो कि, मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. हाई कोर्ट के अधिवक्ता हरिद्वार निवासी विवेक शुक्ला ने तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि, मुनि चिदानंद स्वामी की 148 नाली विवादित भूमि जिसकी कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये है, जिस पर स्वर्गाश्रम बनाया गया है, वह भूमि किसी साहू राम नारायण दास के नाम दर्ज है. जिसे वो संत सुखदेव स्वामी को देना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उस जमीन को दान में न लेकर उसका एक ट्रस्ट बना दिया.
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साल 1972-73 में मुनि चिदानंद ने इस जमीन को अपने नाम कराकर उस पर आश्रम बना दिया. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस भूमि को सरकार को हस्तांतरित कर जनता हित के लिए उपयोग में लाया जाए. दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि मुनि चिदानंद ने वीरपुर खुर्द ऋषिकेश में फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा किया हुआ है.
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याचिका में कहा गया है कि, स्वामी चिदानंद की पहुंच ऊंचे लोगों के साथ होने के कारण अभी तक भूमि वन विभाग ने खाली नहीं करायी है. तीसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि राजाजी नेशनल पार्क के कुनाऊ गांव में भी भूमि अतिक्रमण करके निर्माण कार्य किया जा रहा है.