नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भवन एवं अन्य सन्निर्माण कल्याण बोर्ड उत्तराखंड में भ्रष्टाचार करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि मामले में जांच पूरी हुई या नहीं. अगर पूरी हो गई है तो उसकी रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश की जाए. मामले की सुनवाई हेतु शुक्रवार 3 सितंबर की तिथि नियत की गई है. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई.
सुनवाई के दौरान बोर्ड के चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने खुद को पक्षकार बनाए जाने हेतु कोर्ट को एक प्रार्थना पत्र दिया. पत्र के जरिए चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने 20 करोड़ के गबन की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करवाने की कोर्ट से अपील की.
पत्र के मुताबिक, सत्याल ने कहा कि वे बोर्ड के चेयरमैन हैं, उनको पक्षकार नहीं बनाया गया. जबकि वे पूरे घोटाले से वाकिब हैं. कोर्ट को उनका पक्ष सुनना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बोर्ड के सदस्यों ने कोटद्वार में ईएसटी हॉस्पिटल बनाने के लिए बिना सरकार और कैबिनेट मंजूरी के ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दे दिया. कंपनी को 20 करोड़ रुपये भी अग्रिम भुगतान कर दिए. जबकि, हकीकत यह है कि अभी तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नहीं किया गया है और न ही सरकार की कोई अनुमति ली गई है. बिना सरकार की अनुमति लिए 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान नहीं किया जा सकता है.
पत्र के मुताबिक, सरकार ने 9 दिसंबर 2020 को मामले के जांच हेतु एक कमेटी गठित की. साथ में कमेटी से यह कहा गया कि कंपनी से 20 करोड़ रुपया वसूलकर इसको संबंधित खाते में जमा करवाएं. इस जांच कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट 23 मार्च 2021 को सौंप दी. जांच में 20 करोड़ रुपये का गबन होना पाया गया. चेयरमैन का कहना है कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? इसे सार्वजनिक किया जाए.
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मामले के मुताबिक, काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने हेतु विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था. लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गईं. जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया और बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया. जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई.
उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई जिसमें बड़े बड़े सफेदपोश नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए. लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया, जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है और अपने लोगों को बचाया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष रूप से कराई जाए.