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प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर HC में सुनवाई, सरकार ने तैयार की 4,500 पन्नों की रिपोर्ट

प्रदेश के अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को जो रिपोर्ट मांगी थी, उस पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने अपना जवाब दिया. सरकार ने कहा कि साढ़े चार हजार पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसका शपथ पत्र फाइल करना संभव नहीं है.

Uttarakhand High Court
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Published : May 12, 2022, 3:43 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में प्रदेश के अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि साढ़े चार हजार पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसका शपथ पत्र फाइल करना संभव नहीं है.

मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि इसका वेरिफिकेशन कर इसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं. वहीं, अब इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 जून की तिथि नियत की है.
पढ़ें- देहरादून में प्रीमियम ह्वीकल को मिला पावर, IOC ने XP100 फ्यूल लॉन्च किया

मामले के अनुसार टिहरी निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने 2013 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि जनपद टिहरी के अस्पतालों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं बहुत लचर परिस्थितियों में है, जिसको कोर्ट ने गंभीर से लिया. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि प्रदेश के अस्पतालों का सर्वे करें और साथ में यह भी कहा था कि अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध है और कौन-कौन सी मूलभूत सुविधाएं नहीं है, इसकी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को अवगत कराएं. प्रदेश भर में सर्वे के बाद राज्य सरकार ने 4500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में प्रदेश के अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि साढ़े चार हजार पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसका शपथ पत्र फाइल करना संभव नहीं है.

मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि इसका वेरिफिकेशन कर इसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं. वहीं, अब इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 जून की तिथि नियत की है.
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मामले के अनुसार टिहरी निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने 2013 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि जनपद टिहरी के अस्पतालों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं बहुत लचर परिस्थितियों में है, जिसको कोर्ट ने गंभीर से लिया. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि प्रदेश के अस्पतालों का सर्वे करें और साथ में यह भी कहा था कि अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध है और कौन-कौन सी मूलभूत सुविधाएं नहीं है, इसकी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को अवगत कराएं. प्रदेश भर में सर्वे के बाद राज्य सरकार ने 4500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है.

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