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Overloading of Mining Materials: हाईकोर्ट ने शासनादेश पर लगाई रोक, सरकार से मांगा जवाब

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Published : Feb 27, 2023, 5:16 PM IST

खनन से भरे ट्रकों के ओवर लोडिंग मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस मामले में सरकार से भी जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने ओवर लोडिंग को लेकर सरकार के शासनादेश पर भी रोक लगा दी है.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले में ट्रकों में मानक से अधिक माइनिंग सामग्री ले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य के ओवर लोडिंग 30 जनवरी 2023 के शासनादेश पर रोक लगा दी है.

राज्य सरकार से 19 जुलाई से पहले जवाब मांगा: इसके अलावा कोर्ट ने आरटीओ को आदेश दिए हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों, केंद्र सरकार की ओवर लोडिंग नियमावली और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन कराया जाए. कोर्ट ने जिला अधिकारी, आरटीओ, सचिव खनन और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 19 जुलाई से पहले जवाब जवाब पेश करने को कहा है.
पढ़ें- Illegal Mining: सीएम धामी ने डीजीपी अशोक कुमार को किया तलब, अवैध खनन पर जताई नाराजगी

ये है ओवर लोडिंग का पूरा मामला: मामले के अनुसार देहरादून निवासी गगन परासर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि खनन में लगे वाहनों के लिए जिला खनन समिति द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक अपर लिमिट तय की गई थी. इस लिमिट के अनुसार 108 कुंतल तक ही खनन समाग्री वाहनों में लोड की जा सकती है. लेकिन सरकार ने 30 जनवरी 2023 को शासनादेश जारी कर 108 कुंतल से अधिक खनन सामग्री ले जाने की छूट दे दी. साथ में ओवर लोडिंग करने पर उन्हें रॉयल्टी देने को भी कहा गया. जबकि पहले ओवर लोडिंग करने वाले वाहनों को दूसरे दिन आने पर पाबंदी थी.

खनन वाले ट्रकों की ओवर लोडिंग पर रोक की मांग: याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर ओवर लोडिंग को बढ़ावा दिया है. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने ओवर लोडिंग पर साल 2005 में पूर्ण रूप से पाबंदी लगा रखी है. ट्रकों के ओवर लोडिंग की वजह से हाईवे व गांव की सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं.
पढ़ें- Illegal Mining: सिपाही पर ट्रैक्टर चढ़ाने का मामला, थाना प्रभारी पर गिरी गाज, एक आरोपी गिरफ्तार

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले में ट्रकों में मानक से अधिक माइनिंग सामग्री ले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य के ओवर लोडिंग 30 जनवरी 2023 के शासनादेश पर रोक लगा दी है.

राज्य सरकार से 19 जुलाई से पहले जवाब मांगा: इसके अलावा कोर्ट ने आरटीओ को आदेश दिए हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों, केंद्र सरकार की ओवर लोडिंग नियमावली और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन कराया जाए. कोर्ट ने जिला अधिकारी, आरटीओ, सचिव खनन और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 19 जुलाई से पहले जवाब जवाब पेश करने को कहा है.
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ये है ओवर लोडिंग का पूरा मामला: मामले के अनुसार देहरादून निवासी गगन परासर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि खनन में लगे वाहनों के लिए जिला खनन समिति द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक अपर लिमिट तय की गई थी. इस लिमिट के अनुसार 108 कुंतल तक ही खनन समाग्री वाहनों में लोड की जा सकती है. लेकिन सरकार ने 30 जनवरी 2023 को शासनादेश जारी कर 108 कुंतल से अधिक खनन सामग्री ले जाने की छूट दे दी. साथ में ओवर लोडिंग करने पर उन्हें रॉयल्टी देने को भी कहा गया. जबकि पहले ओवर लोडिंग करने वाले वाहनों को दूसरे दिन आने पर पाबंदी थी.

खनन वाले ट्रकों की ओवर लोडिंग पर रोक की मांग: याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर ओवर लोडिंग को बढ़ावा दिया है. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने ओवर लोडिंग पर साल 2005 में पूर्ण रूप से पाबंदी लगा रखी है. ट्रकों के ओवर लोडिंग की वजह से हाईवे व गांव की सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं.
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