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गंगा में खनन मामले पर उत्तराखंड HC में सुनवाई, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से मांगा जवाब

हरिद्वार गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर मातृ सदन की ओर से दायर याचिका को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा. बता दें कि पूर्व में ही कोर्ट ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को इस मामले में पक्षकार बनाया था.

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Published : Aug 16, 2022, 4:47 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने हरिद्वार के रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में खनन (Mining in Ganga river between Raiwala to Bhogpur in Haridwar) को लेकर मातृ सदन की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL filed by Matri Sadan) पर सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा. पूर्व में ही कोर्ट ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को इस मामले में पक्षकार बनाया था.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में हरिद्वार मातृ सदन ने गंगा नदी में खनन के खिलाफ याचिका (petition against mining in ganga river) दायर किया था. याचिका में बताया कि हरिद्वार में गंगा नदी (Haridwar Ganga River) में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है. जिससे गंगा नदी के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (National Mission for Clean Ganga) को पलीता लगा रहे हैं.

हरिद्वार मातृ सदन (Haridwar Matri Sadan) ने कोर्ट से गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की. ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके. अब खनन कुंभ क्षेत्र में भी किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसी बोर्ड गठित किया है. जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना और उसके अस्तित्व को बनाए रखना है.

उन्होंने कहा एनएमसी द्वारा राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नहीं किया जाए. उसके बावजूद सरकार द्वारा यहां खनन कार्य करवाया जा रहा है. यूएन ने भी भारत सरकार को गंगा को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे को लेकर पूछा था. उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने हरिद्वार के रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में खनन (Mining in Ganga river between Raiwala to Bhogpur in Haridwar) को लेकर मातृ सदन की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL filed by Matri Sadan) पर सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा. पूर्व में ही कोर्ट ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को इस मामले में पक्षकार बनाया था.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में हरिद्वार मातृ सदन ने गंगा नदी में खनन के खिलाफ याचिका (petition against mining in ganga river) दायर किया था. याचिका में बताया कि हरिद्वार में गंगा नदी (Haridwar Ganga River) में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है. जिससे गंगा नदी के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (National Mission for Clean Ganga) को पलीता लगा रहे हैं.

हरिद्वार मातृ सदन (Haridwar Matri Sadan) ने कोर्ट से गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की. ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके. अब खनन कुंभ क्षेत्र में भी किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसी बोर्ड गठित किया है. जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना और उसके अस्तित्व को बनाए रखना है.

उन्होंने कहा एनएमसी द्वारा राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नहीं किया जाए. उसके बावजूद सरकार द्वारा यहां खनन कार्य करवाया जा रहा है. यूएन ने भी भारत सरकार को गंगा को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे को लेकर पूछा था. उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है.

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