नैनीताल: जिला न्यायालय नैनीताल से फांसी की सजा पाए डिगर सिंह (Digar Singh Death Sentence Case) की अपील पर नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के समस्त रिकॉर्ड तलब किये हैं. इसके साथ ही अगली सुनवाई की तिथि 27 दिसंबर को तय की है.
हल्द्वानी के गौलापार उदयपुर में 7 अक्टूबर, 2019 को हुई जोमती देवी की हत्या के आरोप में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने दोषी को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई थी और 10 हजार रुपये का जुर्माने लगाया था. वहीं, आईपीसी की धारा 307 के तहत आजीवन कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई गई थी. अर्थदंड अदा न करने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है. निचली अलादत के फैसले को डिगर सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती (Review Petition in Nainital Highcourt) दी है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद निचली अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि आरोपी के परिवार की आर्थिक सहायता आईपीसी के प्रावधानों के तहत की जाए. साथ ही निचली अदालत ने अपने आदेश की पुष्टि के लिए आदेश उच्च न्यायालय भेज दिया है.
क्या है मामला: फांसी की सजा पाए दोषी के पिता शोभन सिंह ने 7 अक्टूबर, 2019 को चोरगलिया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि उनके बेटे डीगर सिंह का उनकी पत्नी जोमती देवी के साथ मामूली विवाद हो गया था. इसी विवाद के चलते डिगर सिंह ने आक्रोश में आकर धारदार हथियार से वार कर अपनी मां का गला धड़ से अलग कर नृशंस हत्या कर दी (Digar Singh Mercilessly Killed His Mother). झगड़े में बीच-बचाव कर रहे पड़ोसी इंद्रजीत सिंह व अन्य पर भी कुल्हाड़ी से हमला कर उन्हें भी बुरी तरह से घायल कर दिया था.
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गवाहों ने कोर्ट को बताई सच्चाई: निचली अदालत में जिरह के दौरान सरकारी गवाह ने कोर्ट को बताया था कि सुबह साढ़े 8 से 9 बजे के बीच आरोपी ने मां के एक हाथ से बाल पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी गर्दन काट दी. आरोपी ने हत्या और हमले में कुल्हाड़ी और दराती का इस्तेमाल किया. शोर मचाने के बाद बहू और पड़ोसी वहां पहुंच गए. इसके बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.
इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के तरफ से मृतका के पति, बहू समेत 12 लोगों को बतौर गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया, जिनकी गवाही के आधार पर प्रथम अपर सत्र न्यायधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने बीती 22 नवंबर को आरोपी को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. उसके बाद 24 नवंबर को सजा का ऐलान किया गया था.