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देवस्थानम बोर्ड मामले में गुरुवार को भी जारी रहेगी हाईकोर्ट में सुनवाई - देवस्थानम बोर्ड

देवस्थानम बोर्ड मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में कल भी सुनवाई जारी रहेगी. आज याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी और राज्य सरकार ने अपने अपने पक्ष रखे.

nainital high court
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Published : Jul 1, 2020, 9:37 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 10:41 PM IST

नैनीताल : बदरी केदारनाथ मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड के तहत शामिल करने के मामले पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में एक बार फिर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी सहित रूलर लिटिगेशन संस्था ने अपने-अपने पक्ष रखे.

मामले के दौरान राज्य सरकार के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि जिन मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के तहत लाया गया है, उन सभी मंदिरों में एक रजिस्टर मेंटेन किया गया है. जिसमें मंदिर में दिए जाने वाले दान के पैसे, सोना-चांदी के रखरखाव का रिकॉर्ड रखा जा रहा है. यही कारण है कि मंदिर के तीर्थ पुरोहित इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि, एक्ट के बनने के बाद से मंदिर में हो रहे चढ़ावे के पैसे व अन्य सोना-चांदी पर पुजारियों का अधिकार नहीं रह गया है, जिस वजह से अब पुजारी इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं.

देवस्थानम बोर्ड मामले में गुरुवार को भी जारी रहेगी हाईकोर्ट में सुनवाई
बता दें, राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड सरकार द्वारा बदरी केदारनाथ मंदिरों समेत 51 अन्य मंदिरों के संचालन के लिए देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है, जो पूर्ण रूप से असंवैधानिक है. याचिका में कहा गया है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत करीब 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है.

पढ़ें- कोरोनिल पर घमासानः बीजेपी बोली-रामदेव कर रहे अच्छा काम, कांग्रेस ने कहा- दर्ज हो मुकदमा

वहीं, सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के खिलाफ देहरादून की रूलर लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड के तहत लाना बिल्कुल सही है. सरकार के फैसले से किसी भी आस्था को नुकसान नहीं पहुंचता. लिहाजा सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका को खारिज किया जाए.

नैनीताल : बदरी केदारनाथ मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड के तहत शामिल करने के मामले पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में एक बार फिर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी सहित रूलर लिटिगेशन संस्था ने अपने-अपने पक्ष रखे.

मामले के दौरान राज्य सरकार के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि जिन मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के तहत लाया गया है, उन सभी मंदिरों में एक रजिस्टर मेंटेन किया गया है. जिसमें मंदिर में दिए जाने वाले दान के पैसे, सोना-चांदी के रखरखाव का रिकॉर्ड रखा जा रहा है. यही कारण है कि मंदिर के तीर्थ पुरोहित इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि, एक्ट के बनने के बाद से मंदिर में हो रहे चढ़ावे के पैसे व अन्य सोना-चांदी पर पुजारियों का अधिकार नहीं रह गया है, जिस वजह से अब पुजारी इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं.

देवस्थानम बोर्ड मामले में गुरुवार को भी जारी रहेगी हाईकोर्ट में सुनवाई
बता दें, राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड सरकार द्वारा बदरी केदारनाथ मंदिरों समेत 51 अन्य मंदिरों के संचालन के लिए देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है, जो पूर्ण रूप से असंवैधानिक है. याचिका में कहा गया है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत करीब 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है.

पढ़ें- कोरोनिल पर घमासानः बीजेपी बोली-रामदेव कर रहे अच्छा काम, कांग्रेस ने कहा- दर्ज हो मुकदमा

वहीं, सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के खिलाफ देहरादून की रूलर लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड के तहत लाना बिल्कुल सही है. सरकार के फैसले से किसी भी आस्था को नुकसान नहीं पहुंचता. लिहाजा सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका को खारिज किया जाए.

Last Updated : Jul 1, 2020, 10:41 PM IST
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