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शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाई करने का मामला, HC ने सरकार से मांगा जवाब - शिवालिक एलीफेंट रिजर्व न्यूज

शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाई करने के मामले में बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तीन सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के जवाब मांगा है.

nainital highcourt
नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Mar 17, 2021, 2:03 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 12:36 PM IST

नैनीताल: शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाई करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत रूप से अपना जवाब कोर्ट में पेश करना होगा.

सुनवाई को दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि हाथियों के संरक्षण व सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे हैं. जिसकी विस्तृत रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें. बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को राज्य के करीब 80 पर्यावरण प्रेमियों ने पत्र लिखकर कहा था कि 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइड लाइफ बोर्ड में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को नोटिफाई करने का निर्णय लिया गया है. सरकार के इस निर्णय के बाद हाथियों के जीवन पर संकट खड़ा होगा और एलीफेंट कॉरिडोर पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा. दूसरी ओर सरकार के इस फैसले से राज्य में विकास परियोजना भी प्रभावित हो रही है, लिहाजा राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता.

पढ़ें- शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करेगी उत्तराखंड सरकार, सोशल मीडिया पर विरोध

इसके साथ ही सरकार के इस आदेश के बाद देहरादून निवासी रेनू पॉल ने भी नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि देश में 1993 से प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत 11 एलिफेंट रिजर्व नोटिफाइड किए गए थे. इसमें शिवालिक एलिफेंट रिजर्व प्रमुख था, जो 6 जिलों में फैला हुआ है. इस एलीफेंट रिजर्व को सरकार ने डिनोटिफाइड करने का आदेश जारी किया है. जिस की बैठक तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में 24 नवंबर 2020 को हुई और 24 नवंबर 2020 को ही एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाइड करने का फैसला भी लिया गया. जिसे उसी दिन सार्वजनिक कर दिया गया.

याचिकाकर्ता ने हाथियों पर कई किताबों का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को बताया कि हाथी लॉंग रेंज (long-range) में चलने वाला जानवर है. 6 जिलों में फैले एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने से हाथियों के अस्तित्व पर संकट गहरा जाएगा. लिहाजा राज्य सरकार के इस आदेश पर रोक लगाई जाए.

साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के तीन जजों की खंडपीठ भी हाथियों को संरक्षण के लिए पहले ही अपना एक आदेश सुना चुकी है, इसके बावजूद भी उत्तराखंड में एलिफेंट कॉरिडोर को खत्म किया जा रहा है. जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी और मामले पर राज्य जैव विविधता बोर्ड, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे.

बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य जैव विविधता बोर्ड के सचिव समेत राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए और सभी ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा. जिसके बाद मामले में सख्त रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाई करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत रूप से अपना जवाब कोर्ट में पेश करना होगा.

सुनवाई को दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि हाथियों के संरक्षण व सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे हैं. जिसकी विस्तृत रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें. बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को राज्य के करीब 80 पर्यावरण प्रेमियों ने पत्र लिखकर कहा था कि 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइड लाइफ बोर्ड में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को नोटिफाई करने का निर्णय लिया गया है. सरकार के इस निर्णय के बाद हाथियों के जीवन पर संकट खड़ा होगा और एलीफेंट कॉरिडोर पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा. दूसरी ओर सरकार के इस फैसले से राज्य में विकास परियोजना भी प्रभावित हो रही है, लिहाजा राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता.

पढ़ें- शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करेगी उत्तराखंड सरकार, सोशल मीडिया पर विरोध

इसके साथ ही सरकार के इस आदेश के बाद देहरादून निवासी रेनू पॉल ने भी नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि देश में 1993 से प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत 11 एलिफेंट रिजर्व नोटिफाइड किए गए थे. इसमें शिवालिक एलिफेंट रिजर्व प्रमुख था, जो 6 जिलों में फैला हुआ है. इस एलीफेंट रिजर्व को सरकार ने डिनोटिफाइड करने का आदेश जारी किया है. जिस की बैठक तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में 24 नवंबर 2020 को हुई और 24 नवंबर 2020 को ही एलीफेंट रिजर्व को डिनोटिफाइड करने का फैसला भी लिया गया. जिसे उसी दिन सार्वजनिक कर दिया गया.

याचिकाकर्ता ने हाथियों पर कई किताबों का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को बताया कि हाथी लॉंग रेंज (long-range) में चलने वाला जानवर है. 6 जिलों में फैले एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने से हाथियों के अस्तित्व पर संकट गहरा जाएगा. लिहाजा राज्य सरकार के इस आदेश पर रोक लगाई जाए.

साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के तीन जजों की खंडपीठ भी हाथियों को संरक्षण के लिए पहले ही अपना एक आदेश सुना चुकी है, इसके बावजूद भी उत्तराखंड में एलिफेंट कॉरिडोर को खत्म किया जा रहा है. जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी और मामले पर राज्य जैव विविधता बोर्ड, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे.

बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य जैव विविधता बोर्ड के सचिव समेत राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए और सभी ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा. जिसके बाद मामले में सख्त रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Mar 18, 2021, 12:36 PM IST
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