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सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी करने का मामला, HC ने सरकार से मांगा जवाब

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Published : May 18, 2020, 10:20 PM IST

Updated : May 19, 2020, 2:39 PM IST

हाईकोर्ट ने सरकार से एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 के तहत हुए काम की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Nainital High Court
HC ने सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड के सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य सचिव और सचिव शहरी विकास को नोटिस जारी करते हुए विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी पर HC ने सरकार से मांगा जवाब.

हाईकोर्ट ने सरकार से एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 के तहत हुए काम और सरकार द्वारा किए गए चालान की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय वित्त मंत्री की घोषणाओं से उत्तराखंड के इन सेक्टर्स पर पड़ेगा असर

अधिवक्ता अभिजीत नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर रोक लगाने के लिए एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 बनाया था.

जिसमें राज्य के सभी 13 जिलों के शहरी और स्थानीय निकायों को शामिल कर उनकी जवाबदेही तय की थी. लेकिन आज तक करीब 39 निकायों द्वारा एक भी चालान नहीं किया गया है. मौजूदा सकंट को देखते हुए सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए. हाईकोर्ट अब 26 मई को इस मामले की सुनवाई करेगा.

नैनीताल: उत्तराखंड के सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य सचिव और सचिव शहरी विकास को नोटिस जारी करते हुए विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी पर HC ने सरकार से मांगा जवाब.

हाईकोर्ट ने सरकार से एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 के तहत हुए काम और सरकार द्वारा किए गए चालान की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है.

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अधिवक्ता अभिजीत नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर रोक लगाने के लिए एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 बनाया था.

जिसमें राज्य के सभी 13 जिलों के शहरी और स्थानीय निकायों को शामिल कर उनकी जवाबदेही तय की थी. लेकिन आज तक करीब 39 निकायों द्वारा एक भी चालान नहीं किया गया है. मौजूदा सकंट को देखते हुए सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए. हाईकोर्ट अब 26 मई को इस मामले की सुनवाई करेगा.

Last Updated : May 19, 2020, 2:39 PM IST
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