नैनीताल: चमोली में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सरकोट गांव में मार्ग बनाये के लिए काटे जाने वाले पेड़ों के मामले में हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है. हाईकोर्ट ने अग्रिम आदेशों तक पेड़ काटने पर रोक लगा दी है. साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चीफ इंजीनियर को इस मामले में एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि चमोली के सरकोट गांव के निवासी विनोद कुमार उनियाल ने इस मामले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत चमोली में कुछ गांवों में मोटर मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव पास हुआ था, लेकिन सड़क बनाने के लिए चीफ इंजीनियर ने सड़क का एलाइनमेंट बदल दिया है. जिससे गांव के जल स्रोत पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही इन जल स्रोतों को रिचार्ज करने वाले करीब 1100 पेड़ों को भी विभाग द्वारा काटा जा रहा है. जिससे आने वाले समय में जल स्रोतों पर खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा, सड़क का एलाइनमेंट बदलकर दूसरी जगह से बनाया जाए ताकि जल स्रोत और पेड़ों पर सड़क के बनने से असर न पड़े.
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पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार समेत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारियों को अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद आज प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग के चीफ इंजीनियर ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया. जिसमें कहा गया कि जल स्रोतों के आसपास काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या टाइपिंग मिस्टेक की वजह से गड़बड़ हुई है.
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आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चीफ इंजीनियर को अपना विस्तृत जवाब एक हफ्ते के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई अब 12 जून को होगी.