नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी में बन रहे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट स्टेडियम के निर्माण में हो रही देरी को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की. आज 21 जून को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.
आज निर्माण एजेंसी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 30 सितंबर तक सम्पूर्ण कार्य पूरा हो जाएगा और 14 अक्टूबर तक स्टेडियम को खेल विभाग को सौंप दिया जाएगा, जिस पर कोर्ट ने कहा कि तय समय के भीतर स्टेडियम को सौंप दें. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि बीते एक साल में यहा कितने खेल हुए हैं, उनकी फोटोग्राफ सहित शपथपत्र एक सप्ताह के भीतर पेश करें.
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पूर्व में कोर्ट ने पेयजल निगम से पूछा था कि वर्तमान में वहां के कार्यों की स्थिति से स्पष्ट कराए, जिसपर आज निगम की तरफ से कहा गया कि अधिकतर कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जो कार्य अधूरे पड़े है, उनको 30 सितंबर तक पूर्ण करके 14 अक्टूबर को स्टेडियम खेल विभाग को सौंप दिया जाएगा.
वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार से भी यह बताने को कहा था कि वहा पर पिछले एक साल में कौन कौन से खेल हुए, कितने लोगों को परिशिक्षण दिया है और कितने परिशिक्षण देने वाले कर्मचारी है, इसका पूरा चार्ट बनाकर पेश करें. इस पर राज्य सरकार ने पूरा चार्ट पेश किया. परन्तु कोर्ट इससे सन्तुष्ट नहीं हुई, जो चार्ट पेश किया उससे यह पता नहीं चल पा रहा कि कौन सा चार्ट किस खेल से सम्बंधित है, जिसपर कोर्ट ने सरकार को फोटो के साथ चार्ट पेश करने को कहा है.जिससे पता चल सके कि बीते वर्ष यहां कौन कौन से खेल हुए. मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त की तिथि नियत की है.
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मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी अमीत खोलिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हल्द्वानी में 200 करोड़ रुपये की लागत से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट स्टेडियम 15.20 हेक्टेयर फारेस्ट की भूमि पर बनाया गया है, जिसका कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है. सरकार द्वारा इसे बनाने के लिए बार बार निर्माण एजेंसियों को बदला जा रहा हैय. अब सरकार ने इस कार्य को पूर्ण करने के लिए उत्तराखंड पेयजल निर्माण को ठेका दिया है, जबकि इस स्टेडियम में 38वें नेशनल गेम होने थे, परन्तु कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण केंद्र सरकार अन्य जगह तलाश रही है.
पूर्व खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा था कि इस इस स्टेडियम में बहुत सी कमियां है, जिन्हें दूर करना आवश्यक है. तभी यहां राज्य या अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन किया जा सकेगा. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि अभी तक इसका निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ, जबकि इसकी निर्माण पूर्ण होने की तिथि निकल चुकी है.
प्रदेश के खिलाड़ियों को कोचिंग करने के लिए अन्य राज्यों की तरफ जाना पड़ रहा है. राज्य के हाथ से 38वें खेल महाकुंभ भी निकल गया है और जनता के पैंसे का द्रुपरयोग हो रहा है. उन्होंने जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की है कि इसका निर्माण कार्य तय समय सीमा में कराया जाय.