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राजस्व पुलिस व्यवस्था मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार 10 दिन के भीतर मांगी गई प्रगति रिपोर्ट

case of ending the revenue police system in the state उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार को 10 दिन के अंदर प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 17, 2023, 6:13 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार से दस दिन के भीतर प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई एक नवम्बर की तिथि नियत की गई है.

आज सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गई थी. जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती. यही नहीं राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कंप्यूटर ,डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं.

ये भी पढ़ें: कोटद्वार में क्षतिग्रस्त पुलों के मामले पर सख्त हुआ हाईकोर्ट, अवैध खनन पर लगाई रोक, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलना चाहिए. उच्च कोर्ट ने भी इस संबध में सरकार को 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन उस आदेश का पालन सरकार ने नहीं किया है. जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया है कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन नंबर एक जाखन देहरादून वालों ने जनहीत याचिका दायर की है.

ये भी पढ़ें: CAU अनियमितता मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, अधिकारी जवाब तलब

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार से दस दिन के भीतर प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई एक नवम्बर की तिथि नियत की गई है.

आज सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गई थी. जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती. यही नहीं राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कंप्यूटर ,डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं.

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कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलना चाहिए. उच्च कोर्ट ने भी इस संबध में सरकार को 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन उस आदेश का पालन सरकार ने नहीं किया है. जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया है कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन नंबर एक जाखन देहरादून वालों ने जनहीत याचिका दायर की है.

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