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पहाड़ तक नहीं पहुंच पा रही सरकारी योजनाएं, प्रचार-प्रसार न होने से वंचित हो रहा किसान

पहाड़ के किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रचार प्रसार के अभाव में ये योजनाएं किसानों तक पहुंच ही नहीं रही हैं.

Government schemes are unable to reach the mountain due to lack of publicity
पहाड़ तक नहीं पहुंच पा रही सरकारी योजनाएं
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Published : Jun 1, 2022, 1:18 PM IST

हल्द्वानी: एमबीपीजी कॉलेज में सरकारी योजनाओं का लाभ उत्तराखंड के किसानों तक पहुंचाने के लिए एक स्टॉल लगाया गया है. जहां बड़ी संख्या में किसानों ने पहुंचकर जानकारी हासिल की. इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता, जिसके कारण उन्हें इनका लाभ नहीं मिल पाता है.

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में अभी भी कुछ किसान ऐसे हैं जिन तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है. वे योजनाओं की जानकारियों से वंचित रहते हैं. जिले के कृषि अधिकारी व कर्मचारी इन योजनाओं को लेकर हवा हवाई दावे करते हैं. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

पढ़ें- हजारों किलोमीटर का सफर करने के बाद भी नहीं हो रहे बाबा केदार के दर्शन, रुद्रप्रयाग से लौटाए जा रहे श्रद्धालु

कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की मशीनें भी लगाई गई. जिसमें किसानों ने ट्रैवलर ट्रैक्टर को काफी पंसद किया. अश्विनी कुमार का कहना है कि बहुत ही उपयोगी ट्रैवलर ट्रैक्टर किसानों के लिए बहुत ही कामयाब है. इसकी कंपनी इंदौर में है. यह किसानों के लिए बहुत ही उपयुक्त है. इसकी कीमत 2,40,000 तक है. ये पेट्रोल विडर के नाम से जाना जाता है. इससे महिलाएं भी खेती कर सकती हैं.

पढ़ें- ऋषिकेश में नाबालिग से दुष्कर्म, आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

यह लगभग 1 घंटे में 10 नाली तक खेत की जुताई कर सकता है. किसानों के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है. उसमें प्रदेश सरकार 50 प्रतिशत और केंद्र सरकार की 30 प्रतिशत सब्सिडी कुल मिलाकर 80 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को मुहैया कराई जा रही है. इसकी प्रक्रिया ऑनलाइन है. ऐसे ही तमाम उपकरण हैं जिनसे किसानों को राहत मिल सकती है. मगर इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं होती, जिससे वे इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं.

हल्द्वानी: एमबीपीजी कॉलेज में सरकारी योजनाओं का लाभ उत्तराखंड के किसानों तक पहुंचाने के लिए एक स्टॉल लगाया गया है. जहां बड़ी संख्या में किसानों ने पहुंचकर जानकारी हासिल की. इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता, जिसके कारण उन्हें इनका लाभ नहीं मिल पाता है.

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में अभी भी कुछ किसान ऐसे हैं जिन तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है. वे योजनाओं की जानकारियों से वंचित रहते हैं. जिले के कृषि अधिकारी व कर्मचारी इन योजनाओं को लेकर हवा हवाई दावे करते हैं. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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यह लगभग 1 घंटे में 10 नाली तक खेत की जुताई कर सकता है. किसानों के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है. उसमें प्रदेश सरकार 50 प्रतिशत और केंद्र सरकार की 30 प्रतिशत सब्सिडी कुल मिलाकर 80 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को मुहैया कराई जा रही है. इसकी प्रक्रिया ऑनलाइन है. ऐसे ही तमाम उपकरण हैं जिनसे किसानों को राहत मिल सकती है. मगर इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं होती, जिससे वे इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं.

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