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एरीज में संपूर्णानंद टेलीस्कोप का स्वर्ण जयंती समारोह, कई सूक्ष्म और अहम तारों की कर चुका खोज

नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में संपूर्णानंद टेलीस्कोप का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया जा रहा है. इस संपूर्णानंद दूरबीन (ARIS Nainital Telescope) से कई सूक्ष्म और अहम तारों की भी खोज की गई.

Sampurnanand Telescope in Nainital
संपूर्णानंद टेलीस्कोप का स्वर्ण जयंती समारोह
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Published : Oct 18, 2022, 1:11 PM IST

नैनीतालः आकाश गंगा समेत सौर मंडल पर अध्ययन करने वाली संस्था आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में संपूर्णानंद दूरबीन का स्वर्ण जयंती (Golden Jubilee of Sampurnanand Telescope) समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है. दो दिन तक आयोजित होने वाले समारोह में देशभर के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. वहीं, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) गुरमीत सिंह बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.

दरअसल, नैनीताल के आर्यभट्ट शिक्षण संस्थान एरीज (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences Nainital) में 104 सेंटीमीटर व्यास की संपूर्णानंद दूरबीन का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया जा रहा है. एरीज के निदेशक दीपांकर बनर्जी ने समारोह का शुभारंभ किया. इस दौरान पूर्व वैज्ञानिकों ने दूरबीन की स्थापना के दौरान घटित घटनाओं को साझा करते हुए बताया कि दूरबीन का निर्माण साल 1968 और 1969 में शुरू किया गया था, जो 1972 में बनकर कर तैयार हुई.

संपूर्णानंद दूरबीन निर्माण में अहम योगदान देने वाले पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर बसंत बल्लभ ने बताया कि जब इस दूरबीन का निर्माण चल रहा था, उस समय किसी भी व्यक्ति को डोम पद्धति की जानकारी नहीं थी. न ही किसी ने इससे पहले डोम देखा था. इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बप्पू ने दूरबीन का निर्माण कर रहे लोगों को फुटबॉल मंगाकर डोम का आभास कराया. जिसके बाद एरीज में देश की सबसे बड़ी दूरबीन का निर्माण प्रारंभ हुआ.

डॉक्टर सनवाल ने बताया कि उस समय दूरबीन का निर्माण करने तकनीकी सहायकों में सभी लोग आईटीआई से पास थे. उसके बावजूद भी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की मेहनत और लगन के चलते एक बड़ी दूरबीन का निर्माण करने में सफलता मिली. इस दौरान एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे ने बताया कि 104 सेंटीमीटर व्यास की दूरबीन केयर इसमें लगने के बाद करीब 400 से ज्यादा शोध पत्र और 64 पीएचडी वितरित की गई. इस दूरबीन से शनि, यूरेनस के छल्ले खोज गए, जो ब्रह्मांड में हो रहे अध्ययन में मील का पत्थर साबित होगी.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल के एरीज शोध संस्थान में जुटे दुनिया भर के वैज्ञानिक, वायु प्रदूषण पर कर रहे खोज

इस दौरान संपूर्णानंद दूरबीन (ARIS Nainital Telescope) से कई सूक्ष्म और अहम तारों की भी खोज की गई. एरीज के निदेशक डॉ. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर आज उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह पूर्व वैज्ञानिकों, कर्मचारियों समेत वर्तमान में काम कर रहे लोगों को सम्मानित करेंगे.

एक मीटर व्यास की दूरबीन आज भी रिसर्च में बेहद अहमः पुणे रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर सोमक रॉय चौधरी ने कहा कि भले ही आज विश्व भर में बड़े व्यास की दूरबीन स्थापित हो रही है, लेकिन एक मीटर व्यास की दूरबीन की अपनी विशेष महत्वता है. एक मीटर की दूरबीन से कई अहम अध्ययन किए जा रहे हैं. 104 मीटर, 3.6 मीटर और 30 मीटर की दूरबीन से हो रहे अध्ययन में एक मीटर व्यास की दूरबीन का विशेष योगदान है. छोटी दूरबीन से आज भी कई अध्ययन किए जा रहे हैं.

नैनीताल बीडी पांडे अस्पताल का 128वां जन्मदिनः नैनीताल में ब्रिटिश काल के दौरान स्थापित बीडी पांडे अस्पताल (BD Pandey Hospital Nainital) का 128वां स्थापना दिवस यानी जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान दीपक बिष्ट ने बीडी पांडे अस्पताल का सातवीं बार जन्मदिन भी मनाया. इस दौरान अस्पताल की नींव रखने वाले चार्ल्स फ्रोसफेट और बद्री दत्त पांडे को याद किया गया.

दीपक बिष्ट ने बताया कि 17 अक्तूबर 1894 में चार्ल्स फ्रोस्फेट ने बीडी पांडे अस्पताल की नींव रखी. ब्रिटिश काल के दौरान इस अस्पताल में भारतीय लोगों का उपचार किया जाता था, जबकि ब्रिटिश शासकों के उपचार के लिए रैमजे अस्पताल का निर्माण किया गया था. आजादी के बाद साल 1960 में कुमाऊं केसरी बद्रीदत्त पांडे के नाम पर अस्पताल का नाम बीडी पांडे अस्पताल रखा गया.

नैनीतालः आकाश गंगा समेत सौर मंडल पर अध्ययन करने वाली संस्था आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में संपूर्णानंद दूरबीन का स्वर्ण जयंती (Golden Jubilee of Sampurnanand Telescope) समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है. दो दिन तक आयोजित होने वाले समारोह में देशभर के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. वहीं, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) गुरमीत सिंह बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.

दरअसल, नैनीताल के आर्यभट्ट शिक्षण संस्थान एरीज (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences Nainital) में 104 सेंटीमीटर व्यास की संपूर्णानंद दूरबीन का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया जा रहा है. एरीज के निदेशक दीपांकर बनर्जी ने समारोह का शुभारंभ किया. इस दौरान पूर्व वैज्ञानिकों ने दूरबीन की स्थापना के दौरान घटित घटनाओं को साझा करते हुए बताया कि दूरबीन का निर्माण साल 1968 और 1969 में शुरू किया गया था, जो 1972 में बनकर कर तैयार हुई.

संपूर्णानंद दूरबीन निर्माण में अहम योगदान देने वाले पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर बसंत बल्लभ ने बताया कि जब इस दूरबीन का निर्माण चल रहा था, उस समय किसी भी व्यक्ति को डोम पद्धति की जानकारी नहीं थी. न ही किसी ने इससे पहले डोम देखा था. इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बप्पू ने दूरबीन का निर्माण कर रहे लोगों को फुटबॉल मंगाकर डोम का आभास कराया. जिसके बाद एरीज में देश की सबसे बड़ी दूरबीन का निर्माण प्रारंभ हुआ.

डॉक्टर सनवाल ने बताया कि उस समय दूरबीन का निर्माण करने तकनीकी सहायकों में सभी लोग आईटीआई से पास थे. उसके बावजूद भी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की मेहनत और लगन के चलते एक बड़ी दूरबीन का निर्माण करने में सफलता मिली. इस दौरान एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे ने बताया कि 104 सेंटीमीटर व्यास की दूरबीन केयर इसमें लगने के बाद करीब 400 से ज्यादा शोध पत्र और 64 पीएचडी वितरित की गई. इस दूरबीन से शनि, यूरेनस के छल्ले खोज गए, जो ब्रह्मांड में हो रहे अध्ययन में मील का पत्थर साबित होगी.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल के एरीज शोध संस्थान में जुटे दुनिया भर के वैज्ञानिक, वायु प्रदूषण पर कर रहे खोज

इस दौरान संपूर्णानंद दूरबीन (ARIS Nainital Telescope) से कई सूक्ष्म और अहम तारों की भी खोज की गई. एरीज के निदेशक डॉ. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर आज उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह पूर्व वैज्ञानिकों, कर्मचारियों समेत वर्तमान में काम कर रहे लोगों को सम्मानित करेंगे.

एक मीटर व्यास की दूरबीन आज भी रिसर्च में बेहद अहमः पुणे रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर सोमक रॉय चौधरी ने कहा कि भले ही आज विश्व भर में बड़े व्यास की दूरबीन स्थापित हो रही है, लेकिन एक मीटर व्यास की दूरबीन की अपनी विशेष महत्वता है. एक मीटर की दूरबीन से कई अहम अध्ययन किए जा रहे हैं. 104 मीटर, 3.6 मीटर और 30 मीटर की दूरबीन से हो रहे अध्ययन में एक मीटर व्यास की दूरबीन का विशेष योगदान है. छोटी दूरबीन से आज भी कई अध्ययन किए जा रहे हैं.

नैनीताल बीडी पांडे अस्पताल का 128वां जन्मदिनः नैनीताल में ब्रिटिश काल के दौरान स्थापित बीडी पांडे अस्पताल (BD Pandey Hospital Nainital) का 128वां स्थापना दिवस यानी जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान दीपक बिष्ट ने बीडी पांडे अस्पताल का सातवीं बार जन्मदिन भी मनाया. इस दौरान अस्पताल की नींव रखने वाले चार्ल्स फ्रोसफेट और बद्री दत्त पांडे को याद किया गया.

दीपक बिष्ट ने बताया कि 17 अक्तूबर 1894 में चार्ल्स फ्रोस्फेट ने बीडी पांडे अस्पताल की नींव रखी. ब्रिटिश काल के दौरान इस अस्पताल में भारतीय लोगों का उपचार किया जाता था, जबकि ब्रिटिश शासकों के उपचार के लिए रैमजे अस्पताल का निर्माण किया गया था. आजादी के बाद साल 1960 में कुमाऊं केसरी बद्रीदत्त पांडे के नाम पर अस्पताल का नाम बीडी पांडे अस्पताल रखा गया.

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