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कॉर्बेट प्रशासन का नया कारनामा, NTCA की अनुमति के बिना चल रहा था गर्जिया जोन, हुआ बंद - Garjia Zone of Corbett operating without permission from NTCA

कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन के बफर जोन में गर्जिया जोन का निर्माण किया गया था. लेकिन राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण की अनुमति के बिना संचालित करने पर गर्जिया जोन को बंद कर दिया गया है.

garjia zone Closed
गर्जिया जोन बंद
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Published : Aug 13, 2022, 7:13 AM IST

रामनगर: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है और एशिया में बनने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान भी है. उत्तराखंड के रामनगर में स्थित यह पार्क 1318 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और पक्षियों, पौधों और जानवरों की हजारों प्रजातियों का घर है. लेकिन, कॉर्बेट में अधिकारियों की मनमानी का एक और नया मामला सामने आया है. कॉर्बेट में बने गर्जिया जोन को एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की अनुमति के बिना ही शुरू कर दिया गया था.

मामले की जानकारी दो साल बाद पार्क अधिकारियों को मिलने बाद पार्क को तत्काल बंद करने की कार्रवाई की गई है. जोन में 57 नेचर गाईड समेत ज़ोन से जुड़े 300 से अधिक जिप्सी चालक और होटल व्यवसाइयों पर रोजी रोटी का संकट छा गया है. दरअसल, पिछले कुछ समय से कॉर्बेट में अधिकारियों के मनमाने ढंग से कालागढ़ में अवैध कटान और अवैध निर्माण कार्य कराने के मामले सामने आए थे. जिसके बाद तत्कालीन डीएफओ किशनचंद सहित वन विभाग के कई बड़े अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है और इस मामले को लेकर राज्य सरकार की किरकिरी भी खूब हुई है.

बता दें कि, कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन के बफर जोन में गर्जिया जोन का निर्माण किया गया है. इस जोन को सर्पदुली रेंज और बिजरानी रेंज को जोड़कर बनाया गया है. इसमें दो चौड़ रिंगौड़ा और फूलताल हैं, जिनमें वन्यजीवों की हलचल या विचरण को आसानी से देखा जा सकता है.

पढ़ें: वन मंत्री ने गर्जिया पर्यटन जोन का किया लोकार्पण, पर्यटकों को दी नई सौगात

वहीं इस जोन की विशेषता यहां की पहाड़ियां हैं, यह जोन 40 स्क्वायर हेक्टेयर में फैला है, जिसमें हिरन, सांभर, भालू, हाथी, बाघ, तेंदुए आदि विचरण करते हैं. पूरे मामले में पार्क निदेशक डॉ धीरज पांडे ने बताया कि कॉर्बेट में पर्यटन जोन खोलने के लिए एनटीसीए यानी राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण की अनुमति लेनी जरूरी होती है. इसके बिना कॉर्बेट में कोई भी पर्यटन जोन खुल ही नहीं सकता है. लेकिन कागजों में गर्जिया जोन की अनुमति है ही नहीं. ऐसे में जोन में पर्यटन गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई है.

रामनगर: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है और एशिया में बनने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान भी है. उत्तराखंड के रामनगर में स्थित यह पार्क 1318 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और पक्षियों, पौधों और जानवरों की हजारों प्रजातियों का घर है. लेकिन, कॉर्बेट में अधिकारियों की मनमानी का एक और नया मामला सामने आया है. कॉर्बेट में बने गर्जिया जोन को एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की अनुमति के बिना ही शुरू कर दिया गया था.

मामले की जानकारी दो साल बाद पार्क अधिकारियों को मिलने बाद पार्क को तत्काल बंद करने की कार्रवाई की गई है. जोन में 57 नेचर गाईड समेत ज़ोन से जुड़े 300 से अधिक जिप्सी चालक और होटल व्यवसाइयों पर रोजी रोटी का संकट छा गया है. दरअसल, पिछले कुछ समय से कॉर्बेट में अधिकारियों के मनमाने ढंग से कालागढ़ में अवैध कटान और अवैध निर्माण कार्य कराने के मामले सामने आए थे. जिसके बाद तत्कालीन डीएफओ किशनचंद सहित वन विभाग के कई बड़े अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है और इस मामले को लेकर राज्य सरकार की किरकिरी भी खूब हुई है.

बता दें कि, कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन के बफर जोन में गर्जिया जोन का निर्माण किया गया है. इस जोन को सर्पदुली रेंज और बिजरानी रेंज को जोड़कर बनाया गया है. इसमें दो चौड़ रिंगौड़ा और फूलताल हैं, जिनमें वन्यजीवों की हलचल या विचरण को आसानी से देखा जा सकता है.

पढ़ें: वन मंत्री ने गर्जिया पर्यटन जोन का किया लोकार्पण, पर्यटकों को दी नई सौगात

वहीं इस जोन की विशेषता यहां की पहाड़ियां हैं, यह जोन 40 स्क्वायर हेक्टेयर में फैला है, जिसमें हिरन, सांभर, भालू, हाथी, बाघ, तेंदुए आदि विचरण करते हैं. पूरे मामले में पार्क निदेशक डॉ धीरज पांडे ने बताया कि कॉर्बेट में पर्यटन जोन खोलने के लिए एनटीसीए यानी राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण की अनुमति लेनी जरूरी होती है. इसके बिना कॉर्बेट में कोई भी पर्यटन जोन खुल ही नहीं सकता है. लेकिन कागजों में गर्जिया जोन की अनुमति है ही नहीं. ऐसे में जोन में पर्यटन गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई है.

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