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फर्जी राशन कार्ड मामला: 4 दुकानों के लाइसेंस रद्द, कोर्ट ने राशन विक्रेताओं से मांगा जवाब

लक्सर निवासी रेनू ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार समेत लक्सर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सस्ते गल्ले के राशन विक्रेता फर्जी राशन कार्ड बनाकर गरीब लोगों को मिलने वाले राशन की कालाबाजारी कर रहे हैं.

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नैनीताल
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Published : Dec 17, 2019, 9:28 PM IST

नैनीताल: हरिद्वार के लक्सर में राशन विक्रेता द्वारा बनाए गये फर्जी राशन कार्ड के मामले में आज डीएम हरिद्वार दीपेंद्र चौधरी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की. जिलाधिकारी ने कोर्ट को बताया कि राशन विक्रेताओं ने गड़बड़ी की है जिसको देखते हुए उनपर कार्रवाई की गई और चार दुकानों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है.

फर्जी राशन कार्ड मामला

वहीं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चारों राशन विक्रेताओं को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- सुनी होगी विक्रम बेताल की कहानी, अब जानिए नैनीताल के नकवा बूबू की रहस्यमयी दास्तां

बता दें कि लक्सर निवासी रेनू ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार समेत लक्सर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सस्ते गल्ले के राशन विक्रेता फर्जी राशन कार्ड बनाकर गरीब लोगों को मिलने वाले राशन की कालाबाजारी कर रहे हैं. इन राशन विक्रेताओं के द्वारा एपीएल और बीपीएल कार्डों की जानकारी भी नहीं रखी गई है और गरीब लोगों को दिए जाने वाले राशन तो गरीबों को न देकर अन्य लोगों को बेचा जा रहा है.

याचिका में कहा गया है कि सरकार करीब 35 किलो राशन गरीब लोगों को देती है लेकिन राशन विक्रेता उपभोक्ताओं केवल 6 किलो राशन ही दे रहा है और बाकी राशन बाजार में औने-पौने दाम पर बेच रहा है. जब याचिकाकर्ता द्वारा आरटीआई से सूचना मांगी गई तो राशन विक्रेता ने यह कहते हुए जानकारी नहीं दी कि उनकी रिकॉर्ड बुक खो गई है. जिसके बाद याचिकाकर्ता रेनू ने मामले की जांच के लिए नैनीताल हाई कोर्ट की शरण ली.

नैनीताल: हरिद्वार के लक्सर में राशन विक्रेता द्वारा बनाए गये फर्जी राशन कार्ड के मामले में आज डीएम हरिद्वार दीपेंद्र चौधरी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की. जिलाधिकारी ने कोर्ट को बताया कि राशन विक्रेताओं ने गड़बड़ी की है जिसको देखते हुए उनपर कार्रवाई की गई और चार दुकानों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है.

फर्जी राशन कार्ड मामला

वहीं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चारों राशन विक्रेताओं को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- सुनी होगी विक्रम बेताल की कहानी, अब जानिए नैनीताल के नकवा बूबू की रहस्यमयी दास्तां

बता दें कि लक्सर निवासी रेनू ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार समेत लक्सर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सस्ते गल्ले के राशन विक्रेता फर्जी राशन कार्ड बनाकर गरीब लोगों को मिलने वाले राशन की कालाबाजारी कर रहे हैं. इन राशन विक्रेताओं के द्वारा एपीएल और बीपीएल कार्डों की जानकारी भी नहीं रखी गई है और गरीब लोगों को दिए जाने वाले राशन तो गरीबों को न देकर अन्य लोगों को बेचा जा रहा है.

याचिका में कहा गया है कि सरकार करीब 35 किलो राशन गरीब लोगों को देती है लेकिन राशन विक्रेता उपभोक्ताओं केवल 6 किलो राशन ही दे रहा है और बाकी राशन बाजार में औने-पौने दाम पर बेच रहा है. जब याचिकाकर्ता द्वारा आरटीआई से सूचना मांगी गई तो राशन विक्रेता ने यह कहते हुए जानकारी नहीं दी कि उनकी रिकॉर्ड बुक खो गई है. जिसके बाद याचिकाकर्ता रेनू ने मामले की जांच के लिए नैनीताल हाई कोर्ट की शरण ली.

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हरिद्वार के लक्सर में फर्जी राशन कार्ड के मामले में डीएम में निरस्त करे 4 दुकानों के लाइसेंस।

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हरिद्वार के लकशर में राशन विक्रेता द्वारा बनाए गए फर्जी राशन कार्ड के मामले में आज डीएम हरिद्वार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करी और कोर्ट को बताएगी दुकानदारों ने अनियमितता की है जिसको देखते हुए उन पर कार्रवाई की गई और चार दुकानों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं, वही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चारों राशन विक्रेताओं को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि लक्सर निवासी रेनू ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार समेत लक्सर उसके आसपास के क्षेत्रों में सस्ते गल्ले के राशन विक्रेताओं द्वारा फर्जी राशन कार्ड बना कर गरीब लोगों को मिलने वाले राशन की कालाबाजारी की जा रही है, और इन राशन विक्रेताओं के द्वारा एपीएल और बीपीएल कार्डों की जानकारी भी नहीं रखी गई है और गरीब लोगों को दिए जाने वाले राशन तो गरीबों को ना देकर अन्य लोगों को बेचा जा रहा है।


Conclusion:वही याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा करीब 35 किलो राशन गरीब लोगों को दिया जाता है लेकिन राशन विक्रेता उपभोक्ताओं को केवल 6 किलो राशन ही दे रहा है और बाकी राशन बाजार में औने पौने दाम पर बेच रहा है, और जब याचिकाकर्ता द्वारा आरटीआई से सूचना मांगी गई तो राशन विक्रेता द्वारा राशन की जानकारी यह कहते हुए नहीं दी गई कि उनके रिकॉर्ड बुक खो गई है,जिसके बाद याचिकाकर्ता रेनू ने मामले की जांच के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली।

बाइट- बिलाल अहमद अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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