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कोरोनाकाल में अनाथ हुई बेटियों से मिले पूर्व CM, मदद का दिलाया भरोसा - माता-पिता खो चुके बेटियों से मिले त्रिवेंद्र

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में कोरोनाकाल में अनाथ हो चुकी तीन बेटियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इन तीनों बच्चियों का हौसला बढ़ाया.

trivendra singh rawat
त्रिवेंद्र सिंह रावत
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Published : Jun 24, 2021, 10:58 PM IST

हल्द्वानीः कोरोना महामारी में कई लोग अपनों को खो चुके हैं. कई बच्चे ऐसे भी हैं जिनके सिर से इस दौरान माता-पिता का साया उठ गया है. हल्द्वानी में ऐसे ही दो परिवारों की तीन बेटियों से आज पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इन बच्चों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने हल्द्वानी में कोरोनाकाल में अपने माता-पिता और दादा को खोने वाले दो परिवारों के बच्चों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. यह बच्चे कल के भविष्य हैं और इन बच्चों के चेहरे पर हमेशा मुस्कान लाने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है.

ये भी पढ़ेंः वात्सल्य योजना के आवेदन की प्रक्रिया शुरू, जुलाई से मिलेगी आर्थिक मदद

लामाचौड़ में दो बेटियों के सिर से उठा माता-पिता का साया

गौर हो कि हल्द्वानी के लामाचौड़ के रहने वाली दो बेटियों का कोरोनाकाल में उनके माता-पिता के साथ-साथ उनके दादा का भी साया उठ गया था. दोनों बेटियों के पिता इंद्रजीत सिंह, माता अनीता सिंह के अलावा उनके दादा का कोरोना से निधन हो गया था. ऐसे में परिवार में दोनों बेटियां अकेली हो गईं हैं. इसके साथ ही उनके सामने भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है. छोटी बहन बिंद्रा सिंह कक्षा 9 में पढ़ती है, जबकि, उसकी बड़ी बहन एक इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करती है.

दिव्या जोशी ने खोए माता और पिता

वहीं, दूसरी बच्ची हल्द्वानी के कुसुम खेड़ा निवासी दिव्या जोशी है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने दिव्या जोशी से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया. दिव्या जोशी के पिता सुरेश जोशी, माता गीता जोशी के अलावा उसके दादा का भी निधन कोरोना के चलते हुआ है. ऐसे में पूर्व सीएम के इन बच्चों के घर पहुंचने से बच्चों को भी हौसला मिला है.

अनाथ बच्चों के लिए सरकार ने शुरू किया वात्सल्य योजना

बता दें कि सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए वात्सल्य योजना (mukhyamantri vatsalya yojana uttarakhand) शुरू की है. इस योजना के तहत वे सभी बच्चे लाभांवित हो सकेंगे, जिनकी आयु 21 वर्ष या इससे कम है. वहीं, इस योजना के तहत उन सभी बच्चों को सरकार की ओर से 3000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जिन्होंने मार्च 2020 से मार्च 2022 के बीच अपने माता या पिता को खो दिया है.

हल्द्वानीः कोरोना महामारी में कई लोग अपनों को खो चुके हैं. कई बच्चे ऐसे भी हैं जिनके सिर से इस दौरान माता-पिता का साया उठ गया है. हल्द्वानी में ऐसे ही दो परिवारों की तीन बेटियों से आज पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इन बच्चों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने हल्द्वानी में कोरोनाकाल में अपने माता-पिता और दादा को खोने वाले दो परिवारों के बच्चों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. यह बच्चे कल के भविष्य हैं और इन बच्चों के चेहरे पर हमेशा मुस्कान लाने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है.

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लामाचौड़ में दो बेटियों के सिर से उठा माता-पिता का साया

गौर हो कि हल्द्वानी के लामाचौड़ के रहने वाली दो बेटियों का कोरोनाकाल में उनके माता-पिता के साथ-साथ उनके दादा का भी साया उठ गया था. दोनों बेटियों के पिता इंद्रजीत सिंह, माता अनीता सिंह के अलावा उनके दादा का कोरोना से निधन हो गया था. ऐसे में परिवार में दोनों बेटियां अकेली हो गईं हैं. इसके साथ ही उनके सामने भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है. छोटी बहन बिंद्रा सिंह कक्षा 9 में पढ़ती है, जबकि, उसकी बड़ी बहन एक इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करती है.

दिव्या जोशी ने खोए माता और पिता

वहीं, दूसरी बच्ची हल्द्वानी के कुसुम खेड़ा निवासी दिव्या जोशी है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने दिव्या जोशी से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया. दिव्या जोशी के पिता सुरेश जोशी, माता गीता जोशी के अलावा उसके दादा का भी निधन कोरोना के चलते हुआ है. ऐसे में पूर्व सीएम के इन बच्चों के घर पहुंचने से बच्चों को भी हौसला मिला है.

अनाथ बच्चों के लिए सरकार ने शुरू किया वात्सल्य योजना

बता दें कि सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए वात्सल्य योजना (mukhyamantri vatsalya yojana uttarakhand) शुरू की है. इस योजना के तहत वे सभी बच्चे लाभांवित हो सकेंगे, जिनकी आयु 21 वर्ष या इससे कम है. वहीं, इस योजना के तहत उन सभी बच्चों को सरकार की ओर से 3000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जिन्होंने मार्च 2020 से मार्च 2022 के बीच अपने माता या पिता को खो दिया है.

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