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यादों में 'नारायण': एक साल पहले 'विकास पुरुष' ने दुनिया को कहा था अलविदा

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी आज पहली पुण्यतिथि और 95वां जन्मदिन है. जनता में अपनी अलग छवि रखने वाले एनडी तिवारी का देश और उत्तराखंड के विकास में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

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Published : Oct 18, 2019, 2:16 PM IST

नारायण दत्त तिवारी

हल्द्वानीः उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी का आज 95वां जन्मदिन के साथ ही आज उनकी पहली पुण्यतिथि भी है. 18 अक्टूबर 2018 को कांग्रेसी कार्यकर्ता और उनके समर्थक उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे, तभी लोगों को मनहूस खबर लगी कि नारायण दत्त तिवारी इस दुनिया से अलविदा हो गए. फिर क्या पूरे उत्तराखंड सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

आज एनडी तिवारी की पहली पुण्यतिथि.

94 वर्षीय नारायण दत्त तिवारी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे .18 अक्टूबर 2018 को उनके समर्थक उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे तभी एनडी तिवारी का अस्पताल में निधन हो गया, जिसके बाद 20 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर उत्तराखंड के हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित सर्किट लाया गया.

सैकड़ों वाहनों के काफिले साथ पंतनगर एयरपोर्ट से हल्द्वानी के सर्किट हाउस में एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर पहुंचा. इस दौरान लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनको याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी और 21 अक्टूबर को रानी बाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. एनडी तिवारी के अंतिम संस्कार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के कई अन्य दलों के नेता भी पहुंचे थे.

जिस सर्किट हाउस का निर्माण करवाया, वहीं अंतिम संस्कार का गवाह बना
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम नारायण तिवारी को यह पता नहीं था कि जिस सर्किट हाउस का उन्होंने शिलान्यास किया था वही उनके अंतिम संस्कार का गवाह बनेगा. काठगोदाम सर्किट हाउस उनका जीवन का अंतिम यादगार बना.

14 साल पूर्व तिवारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए इस सर्किट हाउस को बनवाया था. उनके पार्थिव शरीर को अंतिम बार इस सर्किट हाउस में रखा गया था. नारायण दत्त तिवारी का उत्तराखंड और जन्मभूमि नैनीताल जिले से उनका लगाव इस बात से दर्शाता है कि सक्रिय राजनीति से हटने के बावजूद वे कई बार इस सर्किट हाउस में रहने के लिए आते थे.

कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बताया था पिता तुल्य
अंतिम विदाई में पहुंचे कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य उस समय काफी भावुक हो गए थे. उन्होंने बताया कि एनडी तिवारी उनके पिता तुल्य थे और उनके राजनीतिक गुरु भी थे. एनडी तिवारी के बदौलत ही आज वे इस मुकाम पर हैं. उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान टिकट दिलाने में एनडी तिवारी का विशेष योगदान रहता था और एनडी तिवारी को विकास को कभी नहीं भुलाया जा सकता है.

जब 500 रुपए लेकर घर से भागे थे एनडी
हल्द्वानी से नारायण दत्त तिवारी का काफी पुराना रिश्ता रहा है. बचपन से लेकर राजनीति की शुरुआत करने तक एनडी की कई यादें जुड़ी रहीं हैं. नारायण दत्त तिवारी के साथ लंबे समय से राजनीति में सहयोगी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गापाल ने बताया था कि एनडी तिवारी 12वीं पास करने के बाद 500 रुपए लेकर घर से भाग आए थे. 3 साल बाद उनके पिता पूर्णानंद तिवारी को पता चला कि उनका पुत्र इलाहाबाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ आनंद भवन में रहकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रहा है.

यह भी पढ़ेंः जोशीमठ में प्रस्तावित हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध जारी, 46 दिनों से चल रहा है आंदोलन

बाद में तिवारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष बने. पहली बार नैनीताल जिले में चुनाव लड़ने पर हल्द्वानी और लाल कुआं के लोगों से काफी सहयोग मिला. गन्ना बावड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां के गन्ना किसानों ने तिवारी को उस समय 9,000 रुपए गन्ने की पर्ची देकर उनके चुनाव में सहयोग किया था.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम एनडी तिवारी रखे जाने की उठी थी मांग
एनडी तिवारी के पुत्र रोहित शेखर जो इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने अपने पिता के सम्मान के लिए यहां की सरकार से भी लड़ाई लड़ी. रोहित शेखर ने जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम अपने पिता एनडी तिवारी के नाम पर रखने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि अगर जौलीग्रांट एयरपोर्ट को एनडी तिवारी नाम दिया जाए तो उनका सम्मान होगा.

फिलहाल, एनडी तिवारी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें आज भी उत्तराखंड के लोगों के जेहन में हैं. एनडी तिवारी के उत्तराखंड और देश के लिए किए गए विकास और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. इसीलिए एनडी तिवारी इतने सौभाग्यशाली रहे कि उनका जन्मदिन और मृत्यु एक ही दिन हुआ.

हल्द्वानीः उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी का आज 95वां जन्मदिन के साथ ही आज उनकी पहली पुण्यतिथि भी है. 18 अक्टूबर 2018 को कांग्रेसी कार्यकर्ता और उनके समर्थक उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे, तभी लोगों को मनहूस खबर लगी कि नारायण दत्त तिवारी इस दुनिया से अलविदा हो गए. फिर क्या पूरे उत्तराखंड सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

आज एनडी तिवारी की पहली पुण्यतिथि.

94 वर्षीय नारायण दत्त तिवारी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे .18 अक्टूबर 2018 को उनके समर्थक उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे तभी एनडी तिवारी का अस्पताल में निधन हो गया, जिसके बाद 20 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर उत्तराखंड के हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित सर्किट लाया गया.

सैकड़ों वाहनों के काफिले साथ पंतनगर एयरपोर्ट से हल्द्वानी के सर्किट हाउस में एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर पहुंचा. इस दौरान लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनको याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी और 21 अक्टूबर को रानी बाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. एनडी तिवारी के अंतिम संस्कार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के कई अन्य दलों के नेता भी पहुंचे थे.

जिस सर्किट हाउस का निर्माण करवाया, वहीं अंतिम संस्कार का गवाह बना
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम नारायण तिवारी को यह पता नहीं था कि जिस सर्किट हाउस का उन्होंने शिलान्यास किया था वही उनके अंतिम संस्कार का गवाह बनेगा. काठगोदाम सर्किट हाउस उनका जीवन का अंतिम यादगार बना.

14 साल पूर्व तिवारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए इस सर्किट हाउस को बनवाया था. उनके पार्थिव शरीर को अंतिम बार इस सर्किट हाउस में रखा गया था. नारायण दत्त तिवारी का उत्तराखंड और जन्मभूमि नैनीताल जिले से उनका लगाव इस बात से दर्शाता है कि सक्रिय राजनीति से हटने के बावजूद वे कई बार इस सर्किट हाउस में रहने के लिए आते थे.

कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बताया था पिता तुल्य
अंतिम विदाई में पहुंचे कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य उस समय काफी भावुक हो गए थे. उन्होंने बताया कि एनडी तिवारी उनके पिता तुल्य थे और उनके राजनीतिक गुरु भी थे. एनडी तिवारी के बदौलत ही आज वे इस मुकाम पर हैं. उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान टिकट दिलाने में एनडी तिवारी का विशेष योगदान रहता था और एनडी तिवारी को विकास को कभी नहीं भुलाया जा सकता है.

जब 500 रुपए लेकर घर से भागे थे एनडी
हल्द्वानी से नारायण दत्त तिवारी का काफी पुराना रिश्ता रहा है. बचपन से लेकर राजनीति की शुरुआत करने तक एनडी की कई यादें जुड़ी रहीं हैं. नारायण दत्त तिवारी के साथ लंबे समय से राजनीति में सहयोगी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गापाल ने बताया था कि एनडी तिवारी 12वीं पास करने के बाद 500 रुपए लेकर घर से भाग आए थे. 3 साल बाद उनके पिता पूर्णानंद तिवारी को पता चला कि उनका पुत्र इलाहाबाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ आनंद भवन में रहकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रहा है.

यह भी पढ़ेंः जोशीमठ में प्रस्तावित हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का विरोध जारी, 46 दिनों से चल रहा है आंदोलन

बाद में तिवारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष बने. पहली बार नैनीताल जिले में चुनाव लड़ने पर हल्द्वानी और लाल कुआं के लोगों से काफी सहयोग मिला. गन्ना बावड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां के गन्ना किसानों ने तिवारी को उस समय 9,000 रुपए गन्ने की पर्ची देकर उनके चुनाव में सहयोग किया था.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम एनडी तिवारी रखे जाने की उठी थी मांग
एनडी तिवारी के पुत्र रोहित शेखर जो इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने अपने पिता के सम्मान के लिए यहां की सरकार से भी लड़ाई लड़ी. रोहित शेखर ने जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम अपने पिता एनडी तिवारी के नाम पर रखने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि अगर जौलीग्रांट एयरपोर्ट को एनडी तिवारी नाम दिया जाए तो उनका सम्मान होगा.

फिलहाल, एनडी तिवारी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें आज भी उत्तराखंड के लोगों के जेहन में हैं. एनडी तिवारी के उत्तराखंड और देश के लिए किए गए विकास और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. इसीलिए एनडी तिवारी इतने सौभाग्यशाली रहे कि उनका जन्मदिन और मृत्यु एक ही दिन हुआ.

Intro:sammry-एनडी तिवारी स्पेशल -आज ही के दिन तिवारी जी की हुई थी जन्म और मृत्यु रानी बाग स्थित चित्र शीलाघाट पर दी गई थी अंतिम विदाई।( विजुअल मेल से उठाएं)

एंकर- उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय पंडित नारायण दत्त तिवारी का आज 95 वे जन्मदिन के साथ आज उनकी पहली पुण्यतिथि भी है। 18 अक्टूबर 2018 को कांग्रेसी कार्यकर्ता और उनके समर्थक उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे तभी लोगों को मनहूस खबर लगी की पंडित नारायण दत्त तिवारी इस दुनिया में अलविदा हो गए। फिर क्या पूरे उत्तराखंड सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट


Body:94 वर्षीय पंडित नारायण दत्त तिवारी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे ।18 अक्टूबर 2018 को उनके समर्थक और कांग्रेसका करता उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे तभी एनडी तिवारी का अस्पताल में निधन हो गया जिसके बाद 20 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर उत्तराखंड के हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस पहुचा सैकड़ों वाहनों के काफिले साथ पंतनगर एयरपोर्ट से हल्द्वानी के सर्किट हाउस में स्वर्गीय पंडित नयाल तिवारी का पार्थिव शरीर पहुंचा इस। दौरान पंडित तिवारी का पार्थिव शरीर जहां जहां से गुजरा लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनको याद किया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया और 21 अक्टूबर को रानी बाग स्थित चित्र सिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

पंडित तिवारी के अंतिम संस्कार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के कई अन्य दलों के राजनेता भी उनके अंतिम यात्रा में पहुंचे थे।

जिस सर्किट हाउस को पंडित नारायण दत्त तिवारी ने निर्माण करवाया था वही सर्किट हाउस उनके अंतिम संस्कार का गवाह भी बना था।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री पंडित नारायण तिवारी को यह पता नहीं था कि जिस सर्किट हाउस का उन्होंने शिलान्यास किया था वह उनके अंतिम संस्कार के समय काम आएगा और काठगोदाम सर्किट हाउस उनका जीवन का अंतिम यादगार होगा। काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस पंडित तिवारी के अंतिम संस्कार का अंतिम गवाह बना 14 साल पूर्व पंडित नारायण दत्त तिवारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए इस सर्किट हाउस को बनाया था ।तिवारी के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम बार इस सर्किट हाउस में रखा गया था पंडित नारायण दत्त तिवारी का उत्तराखंड की धरती से लगाव और जन्मभूमि गृह क्षेत्र नैनीताल जिले से उनका इस बात को दर्शाता है कि वह सक्रिय राजनीति से अलग हटने के बावजूद कई बार इस सर्किट हाउस में रहने के लिए आते थे और इसी सर्किट हाउस उनकी अंतिम यात्रा का गवाह बना।

एनडी तिवारी के निधन पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बहाये थे आंसू।

कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के आंखों में उसने आंसू आ गया था जब इस पालरिया सर्किट हाउस पहुंच पंडित नारायण दत्त तिवारी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे इस दौरान यशपाल भावुक हो गए और उनके आंखों से आंसू आ गए यशपाल आर्य ने बताया था कि एनडी तिवारी उनके पिता तुल्य थे और उनके राजनीतिक गुरु भी थे एनडी तिवारी के बदौलत ही आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं ।उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान टिकट दिलाने में एनडी तिवारी का विशेष योगदान रहता था और एनडी तिवारी को विकास को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

नारायण दत्त तिवारी जब ₹5 लेकर घर से भागे थे

हल्द्वानी से पंडित नारायण दत्त तिवारी का काफी पुराना रिश्ता रहा है बचपन से लेकर राजनीति की शुरुआत करने तक यहां पंडिता तिवारी की कई यादें जुड़ी रही है। पंडित नारायण दत्त तिवारी के साथ लंबे समय से राजनीतिक में सहयोगी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिचंद्र का पाल ने बताया था कि पंडित आज तिवारी 12 पास करने के बाद ₹500 लेकर घर से भाग आए थे 3 साल बाद उनके पिता पूर्णानंद तिवारी को पता चला कि पंडित नारायण तिवारी इलाहाबाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ आनंद भवन में रहकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यही नहीं पंडित तिवारी जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष रहने के बाद पहली बार नैनीताल जिले में चुनाव लड़े तो हल्द्वानी और लाल कुआं के लोगों से उनकी काफी सहयोग किया। यही नहीं गन्ना बावड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां के गन्ना किसानों ने तिवारी जी को उस समय ₹9000 गन्ने की पर्ची देकर उनके चुनाव में सहयोग किया था।

रोहित शेखर ने एनडी तिवारी के नाम पर देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट के नाम रखने की जताई थी इच्छा।

एनडी तिवारी के पुत्र स्वर्गीय रोहित शेखर इस दुनिया में नहीं है लेकिन उन्होंने अपने पिता एनडी तिवारी के सम्मान के लिए उन्होंने यहां की सरकार से भी लड़ाई लड़ी। रोहित शेखर तिवारी ने जॉली ग्रांट एयरपोर्ट का नाम अपने पिता एनडी तिवारी के नाम पर रखने की मांग की थी। ने कहा था कि पूरा देश एनडी तिवारी को सम्मान करता है ऐसे में प्रदेश सरकार अगर सम्मान के तौर पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट को एनडी तिवारी के नाम से कर दिया जाए तो उनके का सम्मान होगा।




Conclusion:फिलहाल एन डी तिवारी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें आज भी उत्तराखंड के लोगो के जेहन में है। एनडी तिवारी के उत्तराखंड और देश के लिए किए गए विकास और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इसीलिए एनडी तिवारी इतने सौभाग्यशाली रहे कि उनका जन्मदिन और मृत्यु एक ही दिन हुआ।
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