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'मिस्टर कुमाऊं' को मजबूरियों ने बनाया मैकेनिक, बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप से चमके थे शफीक अहमद

सरकार की उपेक्षा के कारण मिस्टर कुमाऊं रहे शफीक अहमद आज फुटपाथ किनारे वेल्डिंग करने को मजबूर हैं. शफीक करीब 25 साल से बॉडी बिल्डिंग कर रहे हैं और अब तक एक दर्जन से ज्यादा खिताब अपने नाम कर चुके हैं. आज उन्हें सरकार से मदद की जरूरत है.

bodybuilder safiq ahmed
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Published : Sep 14, 2021, 7:50 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 4:33 PM IST

हल्द्वानी: परिस्थितियां इंसान से कुछ भी करवा सकती हैं. कभी मिस्टर कुमाऊं और मिस्टर नैनीताल रह चुके मो. शफीक अहमद आज फुटपाथ पर वेल्डिंग की दुकान चलाने को मजबूर हैं. महंगाई के इस दौर में शफीक अहमद के सामने अपनी और परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी है. ऐसी विकट परिस्थितियों में शफीक रोजाना 500 रुपये कमाकर अपनी रोजी चला रहे हैं. ऐसे में शफीक को सरकार से मदद की दरकार है.

मो. शफीक अहमद ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपना दर्द बयां किया है. वो कहते हैं इस महंगाई के दौर में उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो खुद की डाइट देखें या फिर अपने परिवार को संभालें. क्योंकि उनकी खुद की रोज की डाइट करीब 500 रुपये की पड़ती है. शफीक के परिवार में कुल 5 लोग हैं. मां पिछले 10 साल से बीमार हैं. ऐसे में उनके ऊपर मां के इलाज की जिम्मेदारी तो है ही, साथ ही बेटे की पढ़ाई का खर्च भी है. यही कारण है कि शफीक ने करीब दो साल से प्रैक्टिस भी छोड़ रखी है.

मिस्टर कुमाऊं को मजबूरियों ने बनाया मैकेनिक.

शफीक की पत्नी नगमा भी इस परेशानी से जूझ रही हैं. नगमा ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका परिवार इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मुश्किल से परिवार का गुजारा हो रहा है. सरकार के किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल रही है.

शफीक का कहना है कि इतनी बड़ी-बड़ी प्रतियोगिता जीतने के बावजूद सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया, जिस कारण बीते दो साल से उनके सामने भारी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. फुटपाथ पर वेल्डिंग की दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण करने को मजबूर हैं. शफीक का कहना है कि काबिलियत होने के बावजूद अगर आपके साथ कोई गॉड फादर का हाथ नहीं होता है तो मुकाम पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है.

पढ़ें- मसूरी में महिला ने व्यापारी पर लगाया नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ का आरोप, भड़का व्यापारी संघ

मो. शफीक अहमद के खिताब: शफीक साल 1996 से बॉडी बिल्डिंग कर रहे हैं. इन 25 सालों में उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा टाइटल हासिल किए. शफीक ने सबसे पहले साल 1998 में मिस्टर कुमाऊं का टाइटल अपने नाम किया था. उनसे बाद शफीक ने 1999 मिस्टर हल्द्वानी, साल 2005 में इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन द्वारा आयोजित 44वीं सीनियर नेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था. साल 2005 में आयोजित की गई मिस्टर कुमाऊं एवं मिस्टर गदरपुर बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में पहला स्थान हासिल किया था.

शफीक अहमद ने साल 2009 मिस्टर नैनीताल का खिताब अपने नाम किया. इसके साथ ही साल 2013 में चेन्नई में आयोजित इंडियन बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फेडरेशन में हिस्सा लिया. साल 2014 में उत्तराखंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप जीती. इसके बाद साल 2016 में इंडियन बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फेडरेशन की 56वीं सीनियर नेशनल बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप का खिलाब में भी हिस्सा लिया. साल 2016 में फिर शफीक फिर मिस्टर कुमाऊं बने.

हल्द्वानी: परिस्थितियां इंसान से कुछ भी करवा सकती हैं. कभी मिस्टर कुमाऊं और मिस्टर नैनीताल रह चुके मो. शफीक अहमद आज फुटपाथ पर वेल्डिंग की दुकान चलाने को मजबूर हैं. महंगाई के इस दौर में शफीक अहमद के सामने अपनी और परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी है. ऐसी विकट परिस्थितियों में शफीक रोजाना 500 रुपये कमाकर अपनी रोजी चला रहे हैं. ऐसे में शफीक को सरकार से मदद की दरकार है.

मो. शफीक अहमद ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपना दर्द बयां किया है. वो कहते हैं इस महंगाई के दौर में उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो खुद की डाइट देखें या फिर अपने परिवार को संभालें. क्योंकि उनकी खुद की रोज की डाइट करीब 500 रुपये की पड़ती है. शफीक के परिवार में कुल 5 लोग हैं. मां पिछले 10 साल से बीमार हैं. ऐसे में उनके ऊपर मां के इलाज की जिम्मेदारी तो है ही, साथ ही बेटे की पढ़ाई का खर्च भी है. यही कारण है कि शफीक ने करीब दो साल से प्रैक्टिस भी छोड़ रखी है.

मिस्टर कुमाऊं को मजबूरियों ने बनाया मैकेनिक.

शफीक की पत्नी नगमा भी इस परेशानी से जूझ रही हैं. नगमा ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका परिवार इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मुश्किल से परिवार का गुजारा हो रहा है. सरकार के किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल रही है.

शफीक का कहना है कि इतनी बड़ी-बड़ी प्रतियोगिता जीतने के बावजूद सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया, जिस कारण बीते दो साल से उनके सामने भारी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. फुटपाथ पर वेल्डिंग की दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण करने को मजबूर हैं. शफीक का कहना है कि काबिलियत होने के बावजूद अगर आपके साथ कोई गॉड फादर का हाथ नहीं होता है तो मुकाम पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है.

पढ़ें- मसूरी में महिला ने व्यापारी पर लगाया नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ का आरोप, भड़का व्यापारी संघ

मो. शफीक अहमद के खिताब: शफीक साल 1996 से बॉडी बिल्डिंग कर रहे हैं. इन 25 सालों में उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा टाइटल हासिल किए. शफीक ने सबसे पहले साल 1998 में मिस्टर कुमाऊं का टाइटल अपने नाम किया था. उनसे बाद शफीक ने 1999 मिस्टर हल्द्वानी, साल 2005 में इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन द्वारा आयोजित 44वीं सीनियर नेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था. साल 2005 में आयोजित की गई मिस्टर कुमाऊं एवं मिस्टर गदरपुर बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में पहला स्थान हासिल किया था.

शफीक अहमद ने साल 2009 मिस्टर नैनीताल का खिताब अपने नाम किया. इसके साथ ही साल 2013 में चेन्नई में आयोजित इंडियन बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फेडरेशन में हिस्सा लिया. साल 2014 में उत्तराखंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप जीती. इसके बाद साल 2016 में इंडियन बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फेडरेशन की 56वीं सीनियर नेशनल बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप का खिलाब में भी हिस्सा लिया. साल 2016 में फिर शफीक फिर मिस्टर कुमाऊं बने.

Last Updated : Sep 17, 2021, 4:33 PM IST
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