ETV Bharat / state

वन अनुसंधान केंद्र खूबसूरत पेंटिंग से लोगों को कर रहा पर्यावरण के प्रति जागरूक - बायोडायवर्सिटी पार्क हल्द्वानी

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है. ऐसे में वन अनुसंधान केंद्र ने प्रदेश में पहला अभिनव प्रयोग करते हुए अनुसंधान केंद्र के भवन को प्राकृतिक रंगों से रंगा कर जंगलों, वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन का संदेश देने का काम कर रहा है.

forest-research-center
वन अनुसंधान केंद्र.
author img

By

Published : Mar 2, 2021, 10:44 AM IST

Updated : Mar 2, 2021, 1:16 PM IST

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियों के लिए हमेशा से जाना जाता रहा है. कई विलुप्त हो चुकी दुर्लभ वनस्पतियों के अलावा दुर्लभ जड़ी बूटियों के संरक्षण का काम भी किया जा रहा है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है. ऐसे में वन अनुसंधान केंद्र ने प्रदेश में पहला अभिनव प्रयोग करते हुए अनुसंधान केंद्र के भवन को प्राकृतिक रंगों से रंगा कर जंगलों, वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन का संदेश देने का काम कर रहा है. जिससे कि अनुसंधान केंद्र में भ्रमण करने वाले लोग और छात्र जैव विविधता को लेकर जागरूक हो सकें.

forest-research-center
उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क.
forest-research-center
अनुसंधान केंद्र द्वारा बनाई गई पेंटिंग.
forest-research-center
वन अनुसंधान केंद्र का अभिनव प्रयोग.
वन अनुसंधान केंद्र खूबसूरत पेंटिंग से लोगों को कर रहा पर्यावरण के प्रति जागरूक.
मुख्य वन संरक्षक और निदेशक अनुसंधान केंद्र संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश में पहला ऐसा प्रयोग किया गया है जहां अनुसंधान केंद्र के भवन को प्राकृतिक रंगों के माध्यम से वन्य जीव और उनके जीवन को दर्शाया गया है. जैसे कि वन और वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन किया जा सकें. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रंगों के जरिए उत्तराखंड में पाए जाने वाली वनस्पतियों वन्यजीवों और पक्षियों को भी दर्शाया गया है. जिससे कि लोगों में जैव विविधता के संरक्षण का संदेश दिया जा सकें.

पढ़ें: हरिद्वार: रोडवेज वर्कशॉप में बस ने पकड़ी आग, फायर ब्रिगेड ने पाया काबू

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रंगों के माध्यम से अनुसंधान केंद्र को जंगल का रूप दिया गया है. जिसमें स्थानीय कलाकारों की टीम काम कर रही है. टीम के 15 सदस्यों द्वारा बेहतरीन कलाकारी को प्रदर्शित करने का मौका भी मिला है. कला आर्ट स्टूडियो के लीडर संदीप पंवार ने बताया कि अनुसंधान केंद्र के दीवार पर लगाए गए प्राकृतिक रंग काफी टिकाऊ हैं और 10 से 15 साल तक इसी तरह से रंग निखरते रहेंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयोग से जहां स्थानीय कलाकारों को मौका मिल रहा है तो वहीं सरकार को भी चाहिए कि अपनी सरकारी भवनों को इसी तरह से प्राकृतिक रंग में रंगा जाए. जिससे लोगों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूक किया जा सकें.

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियों के लिए हमेशा से जाना जाता रहा है. कई विलुप्त हो चुकी दुर्लभ वनस्पतियों के अलावा दुर्लभ जड़ी बूटियों के संरक्षण का काम भी किया जा रहा है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है. ऐसे में वन अनुसंधान केंद्र ने प्रदेश में पहला अभिनव प्रयोग करते हुए अनुसंधान केंद्र के भवन को प्राकृतिक रंगों से रंगा कर जंगलों, वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन का संदेश देने का काम कर रहा है. जिससे कि अनुसंधान केंद्र में भ्रमण करने वाले लोग और छात्र जैव विविधता को लेकर जागरूक हो सकें.

forest-research-center
उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क.
forest-research-center
अनुसंधान केंद्र द्वारा बनाई गई पेंटिंग.
forest-research-center
वन अनुसंधान केंद्र का अभिनव प्रयोग.
वन अनुसंधान केंद्र खूबसूरत पेंटिंग से लोगों को कर रहा पर्यावरण के प्रति जागरूक.
मुख्य वन संरक्षक और निदेशक अनुसंधान केंद्र संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश में पहला ऐसा प्रयोग किया गया है जहां अनुसंधान केंद्र के भवन को प्राकृतिक रंगों के माध्यम से वन्य जीव और उनके जीवन को दर्शाया गया है. जैसे कि वन और वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन किया जा सकें. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रंगों के जरिए उत्तराखंड में पाए जाने वाली वनस्पतियों वन्यजीवों और पक्षियों को भी दर्शाया गया है. जिससे कि लोगों में जैव विविधता के संरक्षण का संदेश दिया जा सकें.

पढ़ें: हरिद्वार: रोडवेज वर्कशॉप में बस ने पकड़ी आग, फायर ब्रिगेड ने पाया काबू

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रंगों के माध्यम से अनुसंधान केंद्र को जंगल का रूप दिया गया है. जिसमें स्थानीय कलाकारों की टीम काम कर रही है. टीम के 15 सदस्यों द्वारा बेहतरीन कलाकारी को प्रदर्शित करने का मौका भी मिला है. कला आर्ट स्टूडियो के लीडर संदीप पंवार ने बताया कि अनुसंधान केंद्र के दीवार पर लगाए गए प्राकृतिक रंग काफी टिकाऊ हैं और 10 से 15 साल तक इसी तरह से रंग निखरते रहेंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयोग से जहां स्थानीय कलाकारों को मौका मिल रहा है तो वहीं सरकार को भी चाहिए कि अपनी सरकारी भवनों को इसी तरह से प्राकृतिक रंग में रंगा जाए. जिससे लोगों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूक किया जा सकें.

Last Updated : Mar 2, 2021, 1:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.