हल्द्वानी: शिक्षा दान महादान जैसी बात अब नहीं रही, क्योंकि शिक्षा का पूरी तरह व्यवसायीकरण हो गया है. आए दिन नए-नए निजी विद्यालय खुल रहे हैं. अंग्रेजी माध्यम और गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूलों में लूट-खसोट जारी है. हल्द्वानी में निजी स्कूलों ने एडमिशन, ट्यूशन सहित शुल्क में 20 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की है, जिसको लेकर अभिभावकों में रोष है.
अभिभावक संघर्ष समिति के अध्यक्ष मदन मोहन जोशी का कहना है कि निजी स्कूल मनमानी पर उतर गए हैं. जिससे अभिभावकों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. 2 साल बाद स्कूल खुले हैं, ऐसे में स्कूलों में मनमानी करते हुए प्रवेश शुल्क, वार्षिक शुल्क, ट्यूशन फीस, बस के किराए के साथ-साथ स्कूल की अन्य एक्टिविटी के नाम पर अभिभावकों से अच्छी खासी रकम वसूली जा रही है.
स्कूल प्रशासन के दबाव में अभिभावक फीस देने को मजबूर हैं, मगर सरकार इन निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए किसी तरह का कोई नियम नहीं लागू कर रही है. इसके चलते अभिभावक परेशान हैं. अभिभावकों की मानें तो प्राइवेट स्कूल वार्षिक शुल्क के नाम पर ₹5000 से लेकर ₹8000 तक वसूल रहे हैं. वहीं, प्रवेश शुल्क के नाम पर स्कूल 10 हजार से अधिक की रकम वसूल रहे हैं. बस के किराए में ₹200 से लेकर ₹400 की वृद्धि की गई है. जबकि ट्यूशन फीस में ₹500 से लेकर ₹1500 तक की वृद्धि की है.
मुख्य शिक्षा अधिकारी कुंवर सिंह रावत का कहना है कि कोविड-19 से महामारी के चलते स्कूल 2 साल बंद रहे. जिसके चलते स्कूलों द्वारा फीस में कोई वृद्धि नहीं की गई थी. साथ ही महंगाई भी बढ़ गई है. जिसके चलते स्कूल प्रबंधकों द्वारा फीस में वृद्धि की गई है. अगर कोई अभिभावक फीस संबंधी कोई शिकायत करता है तो उसकी जांच की जाएगी. लेकिन फीस वृद्धि के चलते किसी भी बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी.