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नैनीताल : सेब की अच्छी पैदावार से खिले किसानों के चेहरे - Apple yield

मई और जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि से भले ही किसानों की आड़ू और पुलम की फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन सेब की बंपर पैदावार से अब वो खुश हो गए हैं. किसानों को उम्मीद है कि सेब उनके सारे नुकसान की भरपाई कर देगा.

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सेब की अच्छी पैदावार से काश्तकारों के खिले चेहरे
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Published : Jul 22, 2020, 1:12 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 1:46 PM IST

नैनीताल : सेब के शौकीनों के लिए इस बार नैनीताल की फ्रूट बेल्ट से अच्छी खबर है. जिले की रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल पट्टी में सेब की बंपर पैदावार हुई है. इससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. पहाड़ के किसान बताते हैं कि इस बार जनवरी-फरवरी में हुई बर्फबारी से सेब की पैदावार अच्छी हुई है.

जिले का रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल क्षेत्र अपने सेब, आड़ू, पुलम सहित पहाड़ी फलों के काफी प्रसिद्ध है. इन क्षेत्रों के फलों की मांग दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता समेत देश की बड़ी मंडियों में होती है. जिससे इन किसानों को काफी फायदा भी होता है. इस वजह से पहाड़ी किसानों का साल भर भरण-पोषण होता है. लेकिन सेब की अच्छी पैदावार के बाद भी ये किसान थोड़े डरे भी हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते उनका सेब कहीं पेड़ों पर ही न सड़ जाए.

ये भी पढ़ें: देवस्थानम बोर्ड पर बोलीं इंदिरा हृदयेश, विपक्ष पुरोहितों के साथ

बता दें कि रामगढ़, मुक्तेश्वर, धानाचूली क्षेत्र के किसान बीते सालों से जैविक खेती कर रहे हैं. इस वजह से यहां के फल बेहद स्वादिष्ट होते हैं. यही कारण है कि इनके फलों की मांग बाजारों में तेजी से बढ़ी है. इस बार मई-जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि से भले ही आड़ू और पुलम कि फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन सेब से उस नुकसान की भरपाई की उम्मीद है.

नैनीताल : सेब के शौकीनों के लिए इस बार नैनीताल की फ्रूट बेल्ट से अच्छी खबर है. जिले की रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल पट्टी में सेब की बंपर पैदावार हुई है. इससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. पहाड़ के किसान बताते हैं कि इस बार जनवरी-फरवरी में हुई बर्फबारी से सेब की पैदावार अच्छी हुई है.

जिले का रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल क्षेत्र अपने सेब, आड़ू, पुलम सहित पहाड़ी फलों के काफी प्रसिद्ध है. इन क्षेत्रों के फलों की मांग दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता समेत देश की बड़ी मंडियों में होती है. जिससे इन किसानों को काफी फायदा भी होता है. इस वजह से पहाड़ी किसानों का साल भर भरण-पोषण होता है. लेकिन सेब की अच्छी पैदावार के बाद भी ये किसान थोड़े डरे भी हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते उनका सेब कहीं पेड़ों पर ही न सड़ जाए.

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बता दें कि रामगढ़, मुक्तेश्वर, धानाचूली क्षेत्र के किसान बीते सालों से जैविक खेती कर रहे हैं. इस वजह से यहां के फल बेहद स्वादिष्ट होते हैं. यही कारण है कि इनके फलों की मांग बाजारों में तेजी से बढ़ी है. इस बार मई-जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि से भले ही आड़ू और पुलम कि फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन सेब से उस नुकसान की भरपाई की उम्मीद है.

Last Updated : Jul 22, 2020, 1:46 PM IST
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