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नाशपाती उत्पादन से काश्तकारों ने मोड़ा मुंह, नहीं मिल रहे वाजिब दाम

प्रदेश के पर्वतीय जैविक उत्पादों की धाक पूरे देश में रहती है. जिसकी शुद्धता की कसौटी ही उसे खास बनाती है. जहां एक ओर जैविक और ऑर्गेनिक खेती की स्वीकार्यता पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है, वहीं काश्तकारों (Haldwani Pear Production) को नाशपाती के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे काश्तकारों को आर्थिकी की चिंता (haldwani farmer trouble) सता रही है और उनका नाशपाती उत्पादन से मोहभंग हो रहा है.

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नाशपाती के नहीं मिल रहे दाम.
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Published : Jul 18, 2022, 12:04 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 1:33 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ों पर भरपूर मात्रा में पैदा होने वाली नाशपाती का उत्पादन (Haldwani Pear Production) अब धीरे-धीरे कम हो रहा है. नैनीताल जनपद के पहाड़ के काश्तकारों को फल के वाजिब दाम नहीं मिलने के चलते नाशपाती के उत्पादन से अब किसान मुंह मोड़ रहे हैं. इसका नतीजा है कि अब नाशपाती धीरे-धीरे पहाड़ों से विलुप्त हो रही है. मंडियों में नाशपाती के वाजिब दाम नहीं मिलने के चलते अब पहाड़ के काश्तकार (haldwani farmer trouble) नाशपाती की पैदावार नहीं कर रहे हैं. इस बार उत्पादन कम होने के बावजूद भी काश्तकारों को नाशपाती के दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे काश्तकारों को आर्थिकी की चिंता सता रही है.

नहीं मिल रहे नाशपाती के दाम: काश्तकारों की मानें तो कई सालों से नाशपाती का रेट ₹400 से ₹500 प्रति पेटी है. इसके चलते उनको काफी नुकसान हो रहा है. यहां तक कि उनका किराया भाड़ा और फसल की लागत का भी पैसा नहीं मिल पा रहा है. नैनीताल जनपद के रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, ओखलकांडा सहित कई क्षेत्र कभी नाशपाती फल के लिए जाने जाते थे. यहां की नाशपाती की डिमांड राज्य की कई बाहरी मंडियों में खूब हुआ करती है. लेकिन अब यहां के काश्तकार नाशपाती की पैदावार से मुंह मोड़ रहे हैं.

नाशपाती उत्पादन से काश्तकारों ने मोड़ा मुंह.

पढ़ें-उत्तराखंडी सेब उत्पादकों को नहीं मिल रहे उचित दाम, 10 साल पुराने रेट पर बेचने को मजबूर

काश्तकारों की व्यथा: काश्तकारों का कहना है कि हल्द्वानी मंडी में पिछले दशकों से नाशपाती के रेट में कोई इजाफा नहीं हुआ है. ₹400 से लेकर ₹500 प्रति पेटी नाशपाती बिक रही है. प्रति पेटी घोड़े से ढुलान, मंडियों तक पहुंचाए जाने का किराया और कमीशन काटकर ₹200 प्रति पेटी भी उनको नहीं मिल पाता है, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकार अगर नाशपाती के फल का समर्थन मूल्य घोषित करती तो उनको फायदा होता.

पढ़ें-देहरादून में हुआ International Apple Festival का आगाज, देखें VIDEO

क्या कह रहे अधिकारी: जिला उद्यान अधिकारी नरेंद्र कुमार का कहना है कि पहाड़ के नाशपाती काश्तकार अपने ए और बी ग्रेड के नाशपाती को ओपन मंडियों में भेज सकते हैं. लेकिन सरकार द्वारा सी ग्रेड की नाशपाती खरीदने की व्यवस्था की गई है. जहां प्रोसेसिंग कंपनी द्वारा नाशपाती को ₹6 प्रति किलो के रेट से खरीदा जाता है. उन्होंने बताया कि मंडियों और काश्तकारों के बीच नाशपाती खरीद को लेकर समस्या होती है. काश्तकार अपने स्तर से नाशपाती को मंडियों तक बेचने का काम करते हैं.

नाशपाती के फायदे: नाशपाती खाने के कई फायदे हैं, नाशपाती में फाइबर का खजाना होता है. नाशपाती में एंटी ऑक्सीडेंट और विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनती है और नाशपाती से शरीर को विभिन्न रोगों से से लड़ने की ताकत मिलती है. फाइबर की वजह से पाचन तंत्र मजबूत बनता है. इसमें मिलने वाला पैक्ट‍िन नामक तत्व कब्ज के लिए रामबाण उपाय है. नाशपाती में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.अगर कोई एनीमिया से पीड़ित हो तो उसे प्रचुर मात्रा मात्रा में नाशपाती का सेवन करना चाहिए. वहीं हड्ड‍ियों से जुड़ी कोई भी समस्या के लिए नाशपाती का सेवन फायदेमंद होता है. इसमें बोरॉन नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है जो कैल्शियम लेवल को बनाए रखने में कारगर होता है.

हल्द्वानी: पहाड़ों पर भरपूर मात्रा में पैदा होने वाली नाशपाती का उत्पादन (Haldwani Pear Production) अब धीरे-धीरे कम हो रहा है. नैनीताल जनपद के पहाड़ के काश्तकारों को फल के वाजिब दाम नहीं मिलने के चलते नाशपाती के उत्पादन से अब किसान मुंह मोड़ रहे हैं. इसका नतीजा है कि अब नाशपाती धीरे-धीरे पहाड़ों से विलुप्त हो रही है. मंडियों में नाशपाती के वाजिब दाम नहीं मिलने के चलते अब पहाड़ के काश्तकार (haldwani farmer trouble) नाशपाती की पैदावार नहीं कर रहे हैं. इस बार उत्पादन कम होने के बावजूद भी काश्तकारों को नाशपाती के दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे काश्तकारों को आर्थिकी की चिंता सता रही है.

नहीं मिल रहे नाशपाती के दाम: काश्तकारों की मानें तो कई सालों से नाशपाती का रेट ₹400 से ₹500 प्रति पेटी है. इसके चलते उनको काफी नुकसान हो रहा है. यहां तक कि उनका किराया भाड़ा और फसल की लागत का भी पैसा नहीं मिल पा रहा है. नैनीताल जनपद के रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, ओखलकांडा सहित कई क्षेत्र कभी नाशपाती फल के लिए जाने जाते थे. यहां की नाशपाती की डिमांड राज्य की कई बाहरी मंडियों में खूब हुआ करती है. लेकिन अब यहां के काश्तकार नाशपाती की पैदावार से मुंह मोड़ रहे हैं.

नाशपाती उत्पादन से काश्तकारों ने मोड़ा मुंह.

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काश्तकारों की व्यथा: काश्तकारों का कहना है कि हल्द्वानी मंडी में पिछले दशकों से नाशपाती के रेट में कोई इजाफा नहीं हुआ है. ₹400 से लेकर ₹500 प्रति पेटी नाशपाती बिक रही है. प्रति पेटी घोड़े से ढुलान, मंडियों तक पहुंचाए जाने का किराया और कमीशन काटकर ₹200 प्रति पेटी भी उनको नहीं मिल पाता है, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकार अगर नाशपाती के फल का समर्थन मूल्य घोषित करती तो उनको फायदा होता.

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क्या कह रहे अधिकारी: जिला उद्यान अधिकारी नरेंद्र कुमार का कहना है कि पहाड़ के नाशपाती काश्तकार अपने ए और बी ग्रेड के नाशपाती को ओपन मंडियों में भेज सकते हैं. लेकिन सरकार द्वारा सी ग्रेड की नाशपाती खरीदने की व्यवस्था की गई है. जहां प्रोसेसिंग कंपनी द्वारा नाशपाती को ₹6 प्रति किलो के रेट से खरीदा जाता है. उन्होंने बताया कि मंडियों और काश्तकारों के बीच नाशपाती खरीद को लेकर समस्या होती है. काश्तकार अपने स्तर से नाशपाती को मंडियों तक बेचने का काम करते हैं.

नाशपाती के फायदे: नाशपाती खाने के कई फायदे हैं, नाशपाती में फाइबर का खजाना होता है. नाशपाती में एंटी ऑक्सीडेंट और विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनती है और नाशपाती से शरीर को विभिन्न रोगों से से लड़ने की ताकत मिलती है. फाइबर की वजह से पाचन तंत्र मजबूत बनता है. इसमें मिलने वाला पैक्ट‍िन नामक तत्व कब्ज के लिए रामबाण उपाय है. नाशपाती में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.अगर कोई एनीमिया से पीड़ित हो तो उसे प्रचुर मात्रा मात्रा में नाशपाती का सेवन करना चाहिए. वहीं हड्ड‍ियों से जुड़ी कोई भी समस्या के लिए नाशपाती का सेवन फायदेमंद होता है. इसमें बोरॉन नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है जो कैल्शियम लेवल को बनाए रखने में कारगर होता है.

Last Updated : Aug 1, 2022, 1:33 PM IST
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