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Potato seed crisis: कुमाऊं में किसानों को नहीं मिल रहा सब्सिडी युक्त आलू बीज, किसान परेशान

उत्तराखंड में आलू की बुआई शुरू हो गई है, लेकिन सरकार अभी तक किसानों को सब्सिडी युक्त आलू बीज उपलब्ध नहीं करा पाई है. मजबूरी में किसान आलू बीज के लिए मंडी का रुख कर रहे हैं. ऐसे में किसान 70 से 80 रुपए प्रति किलो का आलू बीज खरीदने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि अगर समय से आलू बीज उपलब्ध नहीं हुआ तो आने वाले समय में कुमाऊं में आलू का संकट खड़ा हो जाएगा.

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Published : Jan 29, 2023, 2:22 PM IST

कुमाऊं में आलू बीज को लेकर किसान परेशान.

हल्द्वानी: पहाड़ों पर इन दिनों आलू बुआई का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन पहाड़ के किसानों को हिमाचल का सब्सिडी युक्त आलू का बीज अब तक नहीं मिल सका है. आलम ये है कि रामगढ़, धारी और ओलखकांडा के किसानों को या तो खुद के स्रोत से आलू बीज मंगाना पड़ रहा है या फिर मंडी आढ़तियों की मदद से. सरकार है कि न तो बीज ही समय पर उपलब्ध करा पा रही है और न ही किसानों की 50 फीसद की अनुदान की मांग पूरी कर पा रही है. नतीजा है कि किसान महंगे दामों पर बाजारों से बीज खरीदने को मजबूर हैं.

किसानों की कमर तोड़ रहा आजू बीज: किसानों की मानें तो ₹70 से लेकर ₹80 प्रति किलो आलू का बीज मिल रहा है, जिससे पहाड़ के किसान आलू नहीं लगा पा रहा है. पहले सरकार किसानों को 50% सब्सिडी पर हिमाचल की आलू की बीज उपलब्ध कराती थी लेकिन पिछले 2 सालों से किसानों को बीज नहीं मिलने के चलते किसान परेशान हैं.

कुमाऊं में हर साल आलू बीज की जरूरत: कुमाऊं में हर साल करीब 10 हजार क्विंटल आलू के बीज की जरूरत पड़ती है. नैनीताल जिले के धारी में 30 से 35 ग्राम सभाओं में आलू की खेती होती है. ओखलकांडा में दो से तीन तो रामगढ़ में आधा दर्जन ग्राम सभाएं आलू की खेती पर निर्भर है. जहां मैदानी क्षेत्र के आलू खत्म हो जाने के बाद यहां के आलू की डिमांड उत्तराखंड के अलावा कई अन्य मंडियों में की जाती है.

पहाड़ के किसानों एक दौर था जब रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, धारी, सतबूंगा में सरकारी आलू बीज उत्पादन केंद्र से बीज लेकर जाते थे लेकिन अब यह बीज फार्म भी बंद हो चुके हैं. काश्तकारों का कहना है कि उनकी डिमांड के अनुसार उनको अब बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. सरकार द्वारा केवल 25, 30 कुंतल बीज उपलब्ध कराकर केवल खानापूर्ति कर रही है, जबकि उनके पास आलू के बीज की खपत 10 हजार कुंतल से अधिक है.
ये भी पढ़ें- Heavy Rain Alert in Uttarakhand: उत्तराखंड में भारी बारिश के आसार, येलो अलर्ट जारी

कुमाऊं की सबसे बड़ी सब्जी मंडी हल्द्वानी के सब्जी फल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश जोशी का कहना है कि पहाड़ के आलू किसानों को बीज नहीं मिलने के चलते किसान परेशान हैं. मजबूरन किसान महंगे दामों में बाजारों से बीज खरीद रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों को बीज उपलब्ध नहीं करा पा रही है, जिससे भविष्य में पहाड़ के आलू पर संकट खड़ा हो सकता है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि मंडी यह हॉर्टिकल्चर विभाग के माध्यम से जल्द से जल्द इन किसानों को हिमाचल का आलू बीज उपलब्ध कराया जाए, जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.

वहीं, किसानों का कहना है कि हॉर्टिकल्चर विभाग उत्तराखंड के मुनस्यारी का बीज दे रहा है, जिसकी क्वालिटी ठीक नहीं है. किसानों को भरपूर मात्रा में बीज भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. जिला उद्यान अधिकारी नैनीताल आरके सिंह ने बताया कि किसानों के लिए मुनस्यारी के आलू बीज सब्सिडी के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जहां करीब 900 कुंतल बीज किसानों को सब्सिडी के माध्यम से वितरित किए गए हैं. किसानों की डिमांड के अनुसार बीज मंगाए जाने का काम चल रहा है.

कुमाऊं में आलू बीज को लेकर किसान परेशान.

हल्द्वानी: पहाड़ों पर इन दिनों आलू बुआई का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन पहाड़ के किसानों को हिमाचल का सब्सिडी युक्त आलू का बीज अब तक नहीं मिल सका है. आलम ये है कि रामगढ़, धारी और ओलखकांडा के किसानों को या तो खुद के स्रोत से आलू बीज मंगाना पड़ रहा है या फिर मंडी आढ़तियों की मदद से. सरकार है कि न तो बीज ही समय पर उपलब्ध करा पा रही है और न ही किसानों की 50 फीसद की अनुदान की मांग पूरी कर पा रही है. नतीजा है कि किसान महंगे दामों पर बाजारों से बीज खरीदने को मजबूर हैं.

किसानों की कमर तोड़ रहा आजू बीज: किसानों की मानें तो ₹70 से लेकर ₹80 प्रति किलो आलू का बीज मिल रहा है, जिससे पहाड़ के किसान आलू नहीं लगा पा रहा है. पहले सरकार किसानों को 50% सब्सिडी पर हिमाचल की आलू की बीज उपलब्ध कराती थी लेकिन पिछले 2 सालों से किसानों को बीज नहीं मिलने के चलते किसान परेशान हैं.

कुमाऊं में हर साल आलू बीज की जरूरत: कुमाऊं में हर साल करीब 10 हजार क्विंटल आलू के बीज की जरूरत पड़ती है. नैनीताल जिले के धारी में 30 से 35 ग्राम सभाओं में आलू की खेती होती है. ओखलकांडा में दो से तीन तो रामगढ़ में आधा दर्जन ग्राम सभाएं आलू की खेती पर निर्भर है. जहां मैदानी क्षेत्र के आलू खत्म हो जाने के बाद यहां के आलू की डिमांड उत्तराखंड के अलावा कई अन्य मंडियों में की जाती है.

पहाड़ के किसानों एक दौर था जब रामगढ़, मुक्तेश्वर, सूफी, धारी, सतबूंगा में सरकारी आलू बीज उत्पादन केंद्र से बीज लेकर जाते थे लेकिन अब यह बीज फार्म भी बंद हो चुके हैं. काश्तकारों का कहना है कि उनकी डिमांड के अनुसार उनको अब बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. सरकार द्वारा केवल 25, 30 कुंतल बीज उपलब्ध कराकर केवल खानापूर्ति कर रही है, जबकि उनके पास आलू के बीज की खपत 10 हजार कुंतल से अधिक है.
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कुमाऊं की सबसे बड़ी सब्जी मंडी हल्द्वानी के सब्जी फल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश जोशी का कहना है कि पहाड़ के आलू किसानों को बीज नहीं मिलने के चलते किसान परेशान हैं. मजबूरन किसान महंगे दामों में बाजारों से बीज खरीद रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों को बीज उपलब्ध नहीं करा पा रही है, जिससे भविष्य में पहाड़ के आलू पर संकट खड़ा हो सकता है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि मंडी यह हॉर्टिकल्चर विभाग के माध्यम से जल्द से जल्द इन किसानों को हिमाचल का आलू बीज उपलब्ध कराया जाए, जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.

वहीं, किसानों का कहना है कि हॉर्टिकल्चर विभाग उत्तराखंड के मुनस्यारी का बीज दे रहा है, जिसकी क्वालिटी ठीक नहीं है. किसानों को भरपूर मात्रा में बीज भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. जिला उद्यान अधिकारी नैनीताल आरके सिंह ने बताया कि किसानों के लिए मुनस्यारी के आलू बीज सब्सिडी के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जहां करीब 900 कुंतल बीज किसानों को सब्सिडी के माध्यम से वितरित किए गए हैं. किसानों की डिमांड के अनुसार बीज मंगाए जाने का काम चल रहा है.

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