हल्द्वानी: कुमाऊं के किसानों का टमाटर की खेती से मोह भंग हो रहा है. किसान अब पारंपरिक खेती छोड़ रहे हैं. हल्द्वानी, गौलापार, चोरगलिया, कोटाबाग के टमाटर किसान टमाटर की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. यहां के टमाटर की पहचान कभी पाकिस्तान तक थी लेकिन अब यहां टमाटर का उत्पादन साल-दर-साल गिर रहा है. आलम ये है कि कभी जो किसान ढाई सौ बीघे में टमाटर की खेती करता था अब वो ढाई बीघे तक सिमट कर रह गया है. किसानों का टमाटर की खेती से मोह भंग आखिर क्यों हो रहा है, आइए विस्तार से जानते हैं.
खासकर हल्द्वानी और आसपास के किसानों की आय का मुख्य जरिया टमाटर की खेती थी. इसका मुख्य कारण है कि यहां का मौसम तो टमाटर के खेती के लिए अनुकूल है ही, साथ ही यहां की मिट्टी और पानी की उपलब्धता भी किसानों के लिए काफी आसान होती है. इसलिए किसानों के लिए टमाटर की खेती करना काफी आसान होता है. साथ ही अगर किसान को मंडी भाव अच्छा मिल गया तो अच्छा खासा लाभ होता है.
साल-दर-साल गिर रहा टमाटर का उत्पादन
बीते कुछ सालों की बात करें तो यहां के किसानों का टमाटर की खेती से मोह भंग हो रहा है. इसका मुख्य कारण है टमाटर का उत्पादन साल-दर-साल गिर रहा है, लेकिन सरकार इन टमाटर उत्पादकों की सुध नहीं ले रही है. एक समय था जब कुमाऊं के टमाटर की पहचान दिल्ली और पाकिस्तान तक थी, लेकिन कई कारणों के चलते यहां का टमाटर अब हल्द्वानी और आसपास की मंडियों तक ही सीमित रह गया है.
पढ़ें- 'झुलसा' रोग से टमाटर की खेती हुई बर्बाद, काश्तकारों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट
टमाटर की खेती में लगने वाले रोग किसान को कर रहे परेशान
हल्द्वानी मंडी के मुताबिक, 5 साल पहले जहां टमाटर का उत्पादन दो से तीन लाख कुंतल हुआ करता था, वो घटकर अब 50 हजार कुंतल पर आ गया है. इसका कारण है बारिश का कम होना और जबरदस्त पाला पड़ना. इससे टमाटर की फसल को अच्छा खासा नुकसान होता है. अगर टमाटर की खेती किसी भी रोग की चपेट में आ जाती है, तो फिर अच्छे किस्म का टमाटर मंडी तक नहीं पहुंच पाता है.
हल्द्वानी के किसान जगदीश चंद्र जोशी बताते हैं कि रात में पड़ने वाला पाला टमाटर की खेती के लिए काल साबित हो रहा है. पाले की वजह से टमाटर की पौध पीली पड़ रही हैं. कुमाऊं के तराई इलाके में पैदा होने वाला टमाटर अपने खट्टेपन की वजह से पाकिस्तान में काफी पसंद किया जाता है, लेकिन इस बार टमाटर काला रोग, झुलसा और सफेदा की चपेट में गया है. इसलिए इसका एक्सपोर्ट भी रुक चुका है. घरेलू मंडियों में जाने वाले टमाटर की क्वालिटी पर भी इसका असर पड़ा है.
हल्द्वानी के किसानों का टमाटर की खेती से मोह भंग होने का कारण यह भी है कि किसानों को बाजारों में अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं. साथ ही जंगली जानवरों और टमाटर में होने वाली बीमारी से यहां किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. इसके चलते किसान अब टमाटर की खेती छोड़ पारंपरिक खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं.
हल्द्वानी मंडी रिकॉर्ड के अनुसार (मंडी थोक के रेट)
साल | आवक (कुंतल) | कीमत ₹ में | औसत रेट (किलो) |
2015-16 | 1,74,830 | ₹22,27,35,000/- | ₹13 से ₹14 |
2016-17 | 2,20,861 | ₹1,30,43,04,000/- | ₹5 से ₹6 |
2017-18 | 1,65,582 | 1,49,81,25,000/- | ₹9 से ₹10 |
2018-19 | 1,55,639 | 1,31,30,97,00/- | ₹8 से ₹9 |
2019-20 | 86,837 | 8,99,39,300/- | ₹10 से ₹11 |
2020-21 | 52,526 | 8,40,78,300/- | ₹15 से ₹16 (अबतक) |
किसानों को टमाटर की खेती के लिए प्रोत्साहन जरूरी- टमाटर व्यवसायी
हल्द्वानी मंडी के टमाटर व्यवसायी जीवन सिंह कार्की के मुताबिक यहां के किसानों को टमाटर की खेती के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है. टमाटर की खरीद के लिए किसी सरकार द्वारा ठोस नीति भी नहीं बनाई गई है, जिसके चलते किसान अपने उत्पाद को ठीक से नहीं बेच पा रहे हैं. ऐसे में किसान अब टमाटर की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं जो उत्पादन गिरने का मुख्य कारण है.
पढ़ें- 5 रुपये किलो बिक रहा टमाटर, किसानों को लागत निकालने के भी पड़े लाले
पारंपरिक खेती की ओर लौट रहे किसान- भुवन चंद्र गोस्वामी
वहीं, हल्द्वानी मंडी के मंडी निरीक्षक भुवन चंद्र गोस्वामी का कहना है कि हल्द्वानी मंडी में बाहर की मंडियों से भारी मात्रा में टमाटर पहुंच रहे हैं, इसके अलावा यहां के किसानों के टमाटर में कई तरह के रोग लगने के चलते खेती नहीं कर रहे हैं, जिससे टमाटर का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. अब किसान अपनी पारंपरिक खेती की ओर लौट रहे हैं.
एक ही स्थान पर टमाटर की खेती करने से घटती है पैदावार- उद्यान अधिकारी
हल्द्वानी की उद्यान अधिकारी दीप्ति बिष्ट ने बताया कि कई सालों से लगातार हल्द्वानी गौलापार, चोरगलिया, कोटाबाग क्षेत्र में टमाटर की पैदावार घट रही है. इसके साथ ही यहां के किसानों ने टमाटर की खेती करना कम कर दिया है. इसका मुख्य कारण है कि अगर एक ही खेत में बार-बार टमाटर की खेती लगाई जाती है, तो टमाटर की पौध में कई बीमारियां पनपने का खतरा रहता है. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को टमाटर की पैदावार बढ़ानी है तो एक ही स्थान पर बार-बार टमाटर की खेती न करें.