ETV Bharat / state

उत्तराखंड के जंगलों से होगी यूकेलिप्टस की विदाई, जानिए क्या है वजह

उत्तराखंड में यूकेलिप्टस की वजह से अन्य वनस्पतियों को भारी नुकसान हो रहा है, जिससे पर्यावरण असंतुलित हो रहा है. इसलिए वन विभाग यूकेलिप्टस को हटाने जा रहा है.

author img

By

Published : Dec 12, 2019, 10:53 AM IST

Updated : Dec 12, 2019, 4:35 PM IST

uttarakhand forests
uttarakhand forests

हल्द्वानी: जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त करने और भूगर्भ जल स्तर घटाने वाले यूकेलिप्टस के पेड़ों को अब जंगलों से हटाने का काम किया जा रहा है. यूकेलिप्टस के पेड़ों की जगह वन विभाग गोरा नीम यानी (मिलिया डुबिया) का पेड़ लगाने जा रहा है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में इस समय मिलिया डुबिया के पौधों की कई प्रजातियों का रिसर्च भी चल रहा है. हल्द्वानी वन विभाग चार जगहों पर मिलिया डुबिया का पौधारोपण भी किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं.

जंगलों से हटेगा यूकेलिप्टस.

यूकेलिप्टस का पेड़ उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों और कृषि क्षेत्र के आस-पास उपलब्ध है. माना जाता है कि यूकेलिप्टस का पेड़ भूगर्भ जल स्तर को काफी तेजी से घटा रहा है. इसकी पत्तियां एसिड की तरह काम करती हैं, जो जमीन पर गिरकर खेती की उर्वरा शक्ति को कम भी कर रहीं हैं. लिहाजा, यूकेलिप्टस का पेड़ कृषि क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है. ऐसे में वन विभाग यूकेलिप्टस की जगह अब मिलिया डुबिया के पेड़ लगाने का कार्य कर रहा है.

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस के पेड़ों से हो रहे नुकसान के बाद अब विभाग इन पेड़ों को हटाने का काम करने जा रहा है. इसके तहत पंतनगर, लालकुआं, पीपल पड़ाव और टांडा रेंज के कुछ जंगलों में मिलिया डुबिया का पेड़ लगाया जा रहा है. मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस एक ऐसी प्रजाति है, जिसके पेड़ के नीचे कोई दूसरी वनस्पति नहीं आती है. साथ ही जिस खेत में यूकेलिप्टस के पत्ते गिरते हैं. वह मिट्टी में मिलकर खेत की उर्वरा शक्ति को कम कर देती है.

पढ़ें- पतंजलि के आचार्यकुलम की प्रवेश प्रक्रिया अब ऑनलाइन, देशभर में बनाए गए केंद्र

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में मिलिया डुबिया का पौधा बड़े पैमाने पर है लेकिन पंजाब-हरियाणा में इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. दूसरी बात यह है कि यूकेलिप्टस और पॉपुलर की लकड़ी का प्रयोग प्लाई बनाने में किया जाता है. ऐसे में ठीक उसी तरह मिलिया डुबिया की लकड़ी का प्रयोग भी प्लाई और अन्य घरेलू सामान के बनाने में किया जाएगा. यही नहीं मिलिया डुबिया का पौधा वन जीवों के भोजन के लिए भी बड़ा मददगार साबित हो सकता है.

हल्द्वानी: जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त करने और भूगर्भ जल स्तर घटाने वाले यूकेलिप्टस के पेड़ों को अब जंगलों से हटाने का काम किया जा रहा है. यूकेलिप्टस के पेड़ों की जगह वन विभाग गोरा नीम यानी (मिलिया डुबिया) का पेड़ लगाने जा रहा है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में इस समय मिलिया डुबिया के पौधों की कई प्रजातियों का रिसर्च भी चल रहा है. हल्द्वानी वन विभाग चार जगहों पर मिलिया डुबिया का पौधारोपण भी किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं.

जंगलों से हटेगा यूकेलिप्टस.

यूकेलिप्टस का पेड़ उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों और कृषि क्षेत्र के आस-पास उपलब्ध है. माना जाता है कि यूकेलिप्टस का पेड़ भूगर्भ जल स्तर को काफी तेजी से घटा रहा है. इसकी पत्तियां एसिड की तरह काम करती हैं, जो जमीन पर गिरकर खेती की उर्वरा शक्ति को कम भी कर रहीं हैं. लिहाजा, यूकेलिप्टस का पेड़ कृषि क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है. ऐसे में वन विभाग यूकेलिप्टस की जगह अब मिलिया डुबिया के पेड़ लगाने का कार्य कर रहा है.

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस के पेड़ों से हो रहे नुकसान के बाद अब विभाग इन पेड़ों को हटाने का काम करने जा रहा है. इसके तहत पंतनगर, लालकुआं, पीपल पड़ाव और टांडा रेंज के कुछ जंगलों में मिलिया डुबिया का पेड़ लगाया जा रहा है. मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस एक ऐसी प्रजाति है, जिसके पेड़ के नीचे कोई दूसरी वनस्पति नहीं आती है. साथ ही जिस खेत में यूकेलिप्टस के पत्ते गिरते हैं. वह मिट्टी में मिलकर खेत की उर्वरा शक्ति को कम कर देती है.

पढ़ें- पतंजलि के आचार्यकुलम की प्रवेश प्रक्रिया अब ऑनलाइन, देशभर में बनाए गए केंद्र

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में मिलिया डुबिया का पौधा बड़े पैमाने पर है लेकिन पंजाब-हरियाणा में इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. दूसरी बात यह है कि यूकेलिप्टस और पॉपुलर की लकड़ी का प्रयोग प्लाई बनाने में किया जाता है. ऐसे में ठीक उसी तरह मिलिया डुबिया की लकड़ी का प्रयोग भी प्लाई और अन्य घरेलू सामान के बनाने में किया जाएगा. यही नहीं मिलिया डुबिया का पौधा वन जीवों के भोजन के लिए भी बड़ा मददगार साबित हो सकता है.

Intro:sammry- जंगलों से हटेगा यूकेलिप्टस का पेड़,, यूकेलिप्टस जमुना की उर्वरा शक्ति और जमीनों की जलस्तर कम करने का कर रहा है काम।( खबर मेल से उठाएं)


एंकर- जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त और जल स्रोतों का जलस्तर घटाने वाले यूकेलिप्टस के पेड़ो को अब जंगलों से हटाने का काम किया जा रहा है । अब यूकेलिप्टस के पेड़ की जगह वन विभाग गोरा नीम यानी (मिलिया डुबिया)का पेड़ लगाने जा रहा है। हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में इस समय मिलिया डुबिया के पौधों की कई प्रजातियों का रिसर्च भी चल रहा है ।हल्द्वानी वन विभाग चार जगहों पर मिलिया डुबिया का पौधारोपण भी कर रहा है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।


Body:यूकेलिप्टस का पेड़ उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों और कृषि क्षेत्र के आस पास उपलब्ध है माना जाता है कि इक्लिप्टिक का पेड़ जल स्रोतों के जलस्तर को काफी तेजी से घटा रहा है साथी इसकी पत्तियां एसिड की तरह काम करती है जो जमीन पर गिरकर खेती की उर्वरा शक्ति को कम भी कर रही हैं लिहाजा यूकेलिप्टस का पेड़ कृषि क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है ऐसे में वन विभाग यूकेलिप्टस के पेड़ का जगह पर अब मिलिया डुबिया का पेड़ लगाने का काम कर रहा है। हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस के पेड़ों से हो रहे नुकसान के बाद अब विभाग इन पेड़ों को हटाने का काम करने जा रहा है ।इसके तहत पंतनगर ,लालकुआं, पीपल पड़ाव, और टांडा रेंज के कुछ जंगल में मिलिया डुबिया का पेड़ लगाया जा रहा है।

मदन बिष्ट ने बताया कि यूकेलिप्टस एक ऐसी प्रजाति है जिसके पेड़ के नीचे कोई दूसरी वनस्पति नहीं आती है साथ ही जिस खेत में यूकेलिप्टस के पत्ते गिरते हैं वह मिट्टी में मिलकर खेत की उर्वरा शक्ति को कम कर देती है लिहाजा , यूकेलिप्टस, पापुलर पौधों के जगह पर अब मिलिया डुबिया का पौधों को रोपा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में मिलिया डुबिया का पौधा बड़े पैमाने पर है। लेकिन पंजाब हरियाणा में इसकी बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। दूसरी बात यह है कि यूकेलिप्टस और पॉपुलर की लकडी का प्रयोग प्लाईवुड को बनाने में काम आता है ठीक उसी तरह मिलिया डुबिया की लकडी भी प्लाईवुड और अन्य घरेलू सामानों के बनाने में काम आएगा। यही नहीं मिलिया डुबिया का पौधा वन जीवो के भोजन के लिए भी बड़ा मददगार साबित हो सकता है।

बाइट -मदन बिष्ट वन क्षेत्राधिकारी वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी


Conclusion:उत्तराखंड में यूकेलिप्टस और पॉपुलर की वजह से अन्य वनस्पतियों को भारी नुकसान हो रहा है जिसके चलते पर्यावरण असंतुलित हो रहे हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर अब यूकेलिप्टस को हटाने का काम जारी है और मिलिया डुबिया को जंगलों में रोपित कर शोध किए जा रहे हैं। जिससे आने वाले दिनों में एग्रोफोरेस्ट्री के लिहाज से बेहतर परिणाम सामने आएंगे।

बाइट -मदन बिष्ट वन क्षेत्राधिकारी वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी
Last Updated : Dec 12, 2019, 4:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.