हल्द्वानी: ड्रैगन फ्रूट की खेती कई देशों में की जाती है. ड्रैगन फ्रूट की खेती अब धीरे-धीरे भारत के अन्य राज्यों में भी शुरू हो गई है. ऐसे में अब उत्तराखंड के किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर अपना रुझान कर रहे हैं. नैनीताल जनपद के हल्द्वानी ब्लॉक के मोटाहल्दू स्थित प्रगतिशील किसान कृष्णा सिंह लटवाल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अन्य किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जिससे पहाड़ के किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके.
क्या कह रहे प्रगतिशील किसान: किसान कृष्णा सिंह लटवाल ने बताया कि अभी तक वह पारंपरिक धान, गेहूं की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन उन्होंने पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती को शुरू किया है. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की है, जहां उन्होंने पहली बार करीब 2 बीघे में करीब 400 से अधिक ड्रैगन के पौधे लगाए हैं. जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक हैं. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के पौधे उनके खेत में पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं और जल्द ही उसमें फल आने वाले हैं. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं, जिससे किसान अन्य पारंपरिक खेती से 6 से 8 गुना अधिक लाभ कमा सकें.
उद्यान विभाग कर रहा प्रोत्साहित: उद्यान विभाग अधिकारी हल्द्वानी भुवन चंद्र कर्नाटक के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट नैनीताल जिले के किसानों के लिए बेहतर खेती साबित हो सकती है. इसके लिए उद्यान विभाग किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 37500 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान भी दे रहा है. जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सके. उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती में पहाड़ों पर जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन ड्रैगन पौधे को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, क्योंकि यह एक कैक्टस प्रजाति की तरह पौधा होता है. जिसके चलते जंगली जानवर भी नहीं छूते हैं. यहां तक की बंजर जमीन पर भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा सकती है.
ज्यादा पानी की नहीं होती आवश्यकता: इस खेती की विशेषता यह है कि पौधे को पानी कम मात्रा में मिलने पर भी भरपूर खेती कर सकते हैं. इसके लिए सामान्य रूप से 5 डिग्री से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान की आवश्यकता होती है. इस पौधे में खासकर जून जुलाई के महीने में भरपूर मात्रा में फल आते हैं.प्रगतिशील किसान कृष्ण सिंह लटवाल ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसानों को लकड़ी या क्रंकीट के पिलरों की जरूरत होती है. इन पिलरों से पौधों को विकसित करने में मदद मिलती है, इसका पौधा कैक्टस की तरह नुकीला होता है. जिस वजह से इस पौधे को जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं, जिसकी खेती आसानी भी है.
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जानिए क्या है ड्रैगन फ्रूट: थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका और इजराइल जैसे देशों में यह फूट काफी लोकप्रिय है लेकिन अब भारत में भी इस फल की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. भारत में इसे कमलम नाम (ड्रैगन फ्रूट) के नाम से जाना जाता है.ड्रैगन फ्रूट स्वादिष्ट और महंगा बिकने वाला फल है. इसका वानस्पतिक नाम हायलोसेरिस अंडटस है. कैक्टेसिया फैमली से संबंध रखने वाले पौधे पर गुलाबी रंग के स्वादिष्ट फल लगते हैं. स्वादिष्ट होने की वजह से इसे सुपर फूड भी कहा जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है. यह फल इम्युनिटी बूस्टर, डायबिटीज को कम करने के साथ कोलेस्ट्रॉल के लिए भी लाभदायक है. जो बाजार में करीब ₹200 प्रति किलो के रेट बिकता है.