हल्द्वानी: तीन जून को पूरे विश्व में विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. साइकिल दिवस मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना और लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है. ऐसे में बाजारों में अब इन साइकिलों की डिमांड फिर से देखी जा रही है. युवाओं में भी साइकिलिंग का क्रेज धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि पुराने दौर से ही साइकिल को बेहतरीन सवारी मानी जाती है. आम हो या खास सभी के परिवहन के लिए सरल किफायती भरोसेमंद और स्वच्छ पर्यावरण के रूप में टिकाऊ संसाधन के रूप में साइकिल की सवारी ही उपयोगी मानी जाती है. लेकिन धीरे-धीरे साइकिल का क्रेज खत्म होते गया और उनके जगह पर बाइकों ने अपनी जगह बना ली. लेकिन अब बदलते दौर में एक बार फिर साइकिलों का दौर शुरू हो गया है. बाजारों में तरह-तरह के नई टेक्नोलॉजी के साथ साइकिल उपलब्ध हैं. ऐसे में अब लोग एक बार फिर साइकिल की ओर आकर्षित होते दिखाई दे रहे हैं. यही नहीं लोगों के बदलते दिनचर्या के चलते अब लोग साइकिल का उपयोग भी कर रहे हैं, जिससे कि उनकी सेहत भी ठीक रहे.
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हल्द्वानी के बड़े साइकिल व्यवसायी सोनू साइकिल के प्रोपराइटर रक्षित अहूजा के अनुसार समय के अनुसार साइकिल कंपनियों ने भी अपने साइकिल उद्योग में परिवर्तन किया है. पहले सिंपल साइकिल के दौर हुआ करता था, लेकिन अब धीरे-धीरे कंपनियों द्वारा साइकिल में कई नई टेक्नोलॉजी लाई है. जिससे कि साइकिल को चलाने में आसानी भी हो रही है. बाजारों में ₹4000 से लेकर ₹25000 तक साइकिल उपलब्ध है. जो चलाने में भी आरामदेह है.
यही नहीं साइकिल में नई टेक्नोलॉजी आने के बाद साइकिल की बिक्री में इजाफा हुआ है, लोग अपने दिनचर्या में साइकिल को भी शामिल कर रहे हैं. ऐसे में अब वह मॉर्निंग वॉक या इवनिंग वॉक की जगह साइकलिंग कर रहे हैं. यहां तक कि कम दूरी के लिए लोग अब साइकिल को यातायात का साधन बना रहे हैं. जिससे कि उनका सेहत भी ठीक रहे और पर्यावरण भी संतुलित रहे.
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यही नहीं स्कूल छात्र-छात्राओं द्वारा अब साइकिल का भी ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है. क्योंकि, पेट्रोल की महंगाई के साथ-साथ लोग अपने बजट पर भी ध्यान दे रहे हैं. जिससे कि प्रदूषण बिना फैले उनका बजट भी बना रहे. जबकि, आम आदमी की सवारी लॉकडाउन के दौरान कई गरीब मजदूरों के लिए उनका परिवहन का साधन भी बनी. लॉकडाउन के दौरान यातायात व्यवस्था बंद थी ऐसे में मजदूर अपने घर वापस लौटने के लिए साइकिल के सहारे सैकड़ों मील का सफर तय कर रहे थे.