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हल्द्वानी: CPU को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, 7 साल में की 5 करोड़ से ज्यादा की वसूली

सीपीयू को लेकर एक बार फिर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. आरटीआई से जानकारी मिली है कि सीपीयू का जब से गठन हुआ है, तब से लेकर अबतक सीपीयू ने 2 लाख 76 हजार 336 चालान कर 5 करोड़ 56 लाख 70 हजार 400 रुपये का जुर्माना वसूला है. यह जानकारी हल्द्वानी कोतवाली के प्रभारी लोक सूचना अधिकारी हरेंद्र चौधरी ने दी है.

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हल्द्वानी
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Published : Apr 2, 2022, 1:42 PM IST

Updated : Apr 2, 2022, 5:47 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड पुलिस द्वारा यातायात के नियमों का पालन कराने के लिए सिटी पेट्रोल यूनिट यानी (सीपीयू) की स्थापना की गई, जिससे कि ट्रैफिक नियमों का लोगों से सही से पालन कराया जा सके. सीपीयू ने यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर लोगों के खिलाफ चालान की कार्रवाई करते हुए सरकार के खजाने में करोड़ों के राजस्व का इजाफा किया है. इसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ है.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि सीपीयू ने साल 2015 से लेकर 2022 तक भारी भरकम चालान और जुर्माने की कार्रवाई की है. सीपीयू ने इन सात सालों में 2 लाख 76 हजार 336 चालान कर 5 करोड़ 56 लाख 70 हजार 400 रुपये का जुर्माना वसूला है. यह जानकारी हल्द्वानी कोतवाली के प्रभारी लोक सूचनाधिकारी हरेंद्र चौधरी ने दी है.

हरेंद्र चौधरी ने बताया है कि सीपीयू को 12 जून 2015 को जिम्मेदारी मिली थी, तब से 28 फरवरी 2022 तक कुल 2,76,336 चालान किये, जिसमें छोटे वाहनों के 2,64,450 और बड़े वाहनों के 11,886 चालान हुए हैं. सूचना में बताया गया है कि 2,76,336 दोपहिया वाहनों से कुल संयोजन शुल्क ₹5,56,70,400 (5 करोड़, 56 लाख 70 हजार 400) वसूला गया, जिसे नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आंकिक शाखा कार्यालय में जमा किया गया.
पढ़ें- ...तो क्या अवैध है CPU? आरटीआई के तहत मिली चौंकाने वाली जानकारी

सूचना का अधिकार से मिली जानकारी

वाहनचालान
दोपहिया 1,85,121
चार पहिया 48,548
ट्रक 9,909
बस 331
ट्रैक्टर-ट्राली 1,646
टेम्पो 30,781

सूचना में ये भी बताया गया है कि हल्द्वानी में सीपीयू के पास वर्तमान में 9 बुलेट मोटर साइकिल और एक बुलेरो जीप है. आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि सीपीयू पुलिस द्वारा जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है, उसमें यह नहीं बताया गया है कि सीपीयू के लिए शासन से कितना बजट जारी किया गया है. सीपीयू के वाहनों में कितना पेट्रोल और रख-रखाव में खर्चा हुआ है. इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है. पुलिस को इसकी भी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए थी.

सीपीयू के गठन पर सवाल: पिछले साल 18 नवंबर को ईटीवी भारत ने एक खबर पब्लिश की थी, जिसमें सीपीयू के गठन पर सवाल उठाए थे. दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश नेगी ने दावा किया था कि उन्होंने सूचना के अधिकार से जो जानकारी पुलिस मुख्यालय से मांगी थी, उसमें यह बताया गया है कि सीपीयू (CPU) गठन को लेकर अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस विभाग में सीपीयू अवैध रूप से पिछले 7 वर्षों से सड़कों पर चालान, जुर्माना वसूलने का काम कर रही है.
पढ़ें- सीएम धामी ने मां पूर्णागिरि धाम के किए दर्शन, प्रदेशवासियों को नवरात्रि की दी बधाई

आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी का कहना था कि जब सीपीयू को लेकर कोई शासनादेश जारी ही नहीं हुआ, तो सीपीयू चालान, जुर्माना वसूली की श्रेणी में कैसे आ सकती है ? अधिवक्ता विकेश नेगी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का भी दावा किया था.

भ्रम की स्थिति: आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने इस बात का भी खुलासा किया था कि पुलिस द्वारा काटे गए चालान को परिवहन विभाग के पास जमा कराया जाता है, जबकि पुलिस का कहना है कि यह राजकोष में जमा कराया जाता है. ऐसे में सूचना को लेकर भ्रम की स्थिति भी है. पुलिस एक्ट में इस सीपीयू की वर्दी का कहीं कोई जिक्र नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि यह पुलिस एक्ट के बाहर काम करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीपीयू को मिलने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाने वाला बजट किस निधि से आ रहा है. इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई.

क्या है CPU पुलिस: सीपीयू यानी सिटी पेट्रोलिंग पुलिस. बता दें, अप्रैल 2014 में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू द्वारा पुलिस विभाग में सिटी पेट्रोल यूनिट सीपीयू का गठन किया गया था. जब इसका गठन किया गया था तो इसकी जिम्मेदारी शहर भर में ट्रैफिक को नियंत्रित करना था. सबसे पहले इसे राजधानी देहरादून में उतारा गया था. इसके बाद भी ट्रैफिक के हालात तो नहीं सुधरे लेकिन इनके कंधों पर और जिम्मेदारी दे दी गई, जैसे- अपराध नियंत्रण, महिलाओं से छेड़खानी को रोकना, चेन स्नैचिंग पर लगाम, बिना नंबर प्लेट वाहन या संदिग्ध वाहनों की चेकिंग, अवैध असलहों की चेकिंग और नाकेबंदी में चेकिंग. सीपीयू ने 'नो पार्किंग' में पार्क किये गए वाहनों के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाना शुरू किया.

आखिर विवादों में क्यों है सीपीयू: कांग्रेस सरकार में बनी इस पुलिस का विवादों में नाता रहा है. हरीश रावत सरकार में काशीपुर, रुड़की, हरिद्वार में विवाद हुआ. इसके बाद कई जगहों से इन्हें हटाया गया. वहीं, अलग से सभी व्यवस्था होने के बाद भी स्ट्रीट क्राइम कम नहीं हुआ. इसको लेकर भी पुलिस के बड़े अधिकारी सीपीयू को समय समय पर फटकार लगाते रहे हैं. इतना ही नहीं, जनता से अच्छे व्यवहार करने की ट्रेनिंग भी पुलिस को मिलती रही है.

27 जुलाई, 2020: रुद्रपुर के रम्पुरा क्षेत्र में चेकिंग के दौरान सीपीयू पुलिस कर्मी पर आरोप लगा कि अपना आपा खोकर उसने बाइक सवार दो युवकों से मारपीट की और मामूली कहासुनी के बाद सीपीयू कर्मी ने बाइक सवार युवक के माथे पर उसी की बाइक की चाबी घोंप दी. हल्ला मचने पर भीड़ जुटी तो सीपीयू कर्मी मौके से भाग गए. आक्रोशित लोगों ने इसके बाद पुलिस पर पथराव भी कर दिया था. हालांकि, मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने तीन सीपीयू कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.

24 मई 2019: रुद्रपुर में पार्षद पति ने सीपीयू पर उनके पिकअप वाहन के ड्राइवर से मारपीट करने का आरोप लगाया था. हालांकि, तब सीपीयू दारोगा राजेश बिष्ट ने दावा किया था कि उनके पास मारपीट का वीडियो है, जिसे वह जांच में शामिल करवाएंगे. इससे पहले 29 मार्च 2019 को भी रुद्रपुर के डीडी चौक पर एक ट्रक के नो एंट्री में घुसने को लेकर ट्रक चालक का सीपीयू से विवाद हुआ था.

25 जून 2017: रुड़की में टॉकीज के पास सीपीयू जवान और टूरिस्ट के बीच विवाद हो गया था. टूरिस्ट गाड़ी हाईवे पर खड़ी थी जिसको लेकर दोनों एक-दूसरे से भिड़ गए. कार चालक ने सीपीयू के जवान का गला पकड़ा था.

हल्द्वानी: उत्तराखंड पुलिस द्वारा यातायात के नियमों का पालन कराने के लिए सिटी पेट्रोल यूनिट यानी (सीपीयू) की स्थापना की गई, जिससे कि ट्रैफिक नियमों का लोगों से सही से पालन कराया जा सके. सीपीयू ने यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर लोगों के खिलाफ चालान की कार्रवाई करते हुए सरकार के खजाने में करोड़ों के राजस्व का इजाफा किया है. इसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ है.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि सीपीयू ने साल 2015 से लेकर 2022 तक भारी भरकम चालान और जुर्माने की कार्रवाई की है. सीपीयू ने इन सात सालों में 2 लाख 76 हजार 336 चालान कर 5 करोड़ 56 लाख 70 हजार 400 रुपये का जुर्माना वसूला है. यह जानकारी हल्द्वानी कोतवाली के प्रभारी लोक सूचनाधिकारी हरेंद्र चौधरी ने दी है.

हरेंद्र चौधरी ने बताया है कि सीपीयू को 12 जून 2015 को जिम्मेदारी मिली थी, तब से 28 फरवरी 2022 तक कुल 2,76,336 चालान किये, जिसमें छोटे वाहनों के 2,64,450 और बड़े वाहनों के 11,886 चालान हुए हैं. सूचना में बताया गया है कि 2,76,336 दोपहिया वाहनों से कुल संयोजन शुल्क ₹5,56,70,400 (5 करोड़, 56 लाख 70 हजार 400) वसूला गया, जिसे नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आंकिक शाखा कार्यालय में जमा किया गया.
पढ़ें- ...तो क्या अवैध है CPU? आरटीआई के तहत मिली चौंकाने वाली जानकारी

सूचना का अधिकार से मिली जानकारी

वाहनचालान
दोपहिया 1,85,121
चार पहिया 48,548
ट्रक 9,909
बस 331
ट्रैक्टर-ट्राली 1,646
टेम्पो 30,781

सूचना में ये भी बताया गया है कि हल्द्वानी में सीपीयू के पास वर्तमान में 9 बुलेट मोटर साइकिल और एक बुलेरो जीप है. आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि सीपीयू पुलिस द्वारा जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है, उसमें यह नहीं बताया गया है कि सीपीयू के लिए शासन से कितना बजट जारी किया गया है. सीपीयू के वाहनों में कितना पेट्रोल और रख-रखाव में खर्चा हुआ है. इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है. पुलिस को इसकी भी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए थी.

सीपीयू के गठन पर सवाल: पिछले साल 18 नवंबर को ईटीवी भारत ने एक खबर पब्लिश की थी, जिसमें सीपीयू के गठन पर सवाल उठाए थे. दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश नेगी ने दावा किया था कि उन्होंने सूचना के अधिकार से जो जानकारी पुलिस मुख्यालय से मांगी थी, उसमें यह बताया गया है कि सीपीयू (CPU) गठन को लेकर अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस विभाग में सीपीयू अवैध रूप से पिछले 7 वर्षों से सड़कों पर चालान, जुर्माना वसूलने का काम कर रही है.
पढ़ें- सीएम धामी ने मां पूर्णागिरि धाम के किए दर्शन, प्रदेशवासियों को नवरात्रि की दी बधाई

आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी का कहना था कि जब सीपीयू को लेकर कोई शासनादेश जारी ही नहीं हुआ, तो सीपीयू चालान, जुर्माना वसूली की श्रेणी में कैसे आ सकती है ? अधिवक्ता विकेश नेगी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का भी दावा किया था.

भ्रम की स्थिति: आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने इस बात का भी खुलासा किया था कि पुलिस द्वारा काटे गए चालान को परिवहन विभाग के पास जमा कराया जाता है, जबकि पुलिस का कहना है कि यह राजकोष में जमा कराया जाता है. ऐसे में सूचना को लेकर भ्रम की स्थिति भी है. पुलिस एक्ट में इस सीपीयू की वर्दी का कहीं कोई जिक्र नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि यह पुलिस एक्ट के बाहर काम करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीपीयू को मिलने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाने वाला बजट किस निधि से आ रहा है. इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई.

क्या है CPU पुलिस: सीपीयू यानी सिटी पेट्रोलिंग पुलिस. बता दें, अप्रैल 2014 में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू द्वारा पुलिस विभाग में सिटी पेट्रोल यूनिट सीपीयू का गठन किया गया था. जब इसका गठन किया गया था तो इसकी जिम्मेदारी शहर भर में ट्रैफिक को नियंत्रित करना था. सबसे पहले इसे राजधानी देहरादून में उतारा गया था. इसके बाद भी ट्रैफिक के हालात तो नहीं सुधरे लेकिन इनके कंधों पर और जिम्मेदारी दे दी गई, जैसे- अपराध नियंत्रण, महिलाओं से छेड़खानी को रोकना, चेन स्नैचिंग पर लगाम, बिना नंबर प्लेट वाहन या संदिग्ध वाहनों की चेकिंग, अवैध असलहों की चेकिंग और नाकेबंदी में चेकिंग. सीपीयू ने 'नो पार्किंग' में पार्क किये गए वाहनों के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाना शुरू किया.

आखिर विवादों में क्यों है सीपीयू: कांग्रेस सरकार में बनी इस पुलिस का विवादों में नाता रहा है. हरीश रावत सरकार में काशीपुर, रुड़की, हरिद्वार में विवाद हुआ. इसके बाद कई जगहों से इन्हें हटाया गया. वहीं, अलग से सभी व्यवस्था होने के बाद भी स्ट्रीट क्राइम कम नहीं हुआ. इसको लेकर भी पुलिस के बड़े अधिकारी सीपीयू को समय समय पर फटकार लगाते रहे हैं. इतना ही नहीं, जनता से अच्छे व्यवहार करने की ट्रेनिंग भी पुलिस को मिलती रही है.

27 जुलाई, 2020: रुद्रपुर के रम्पुरा क्षेत्र में चेकिंग के दौरान सीपीयू पुलिस कर्मी पर आरोप लगा कि अपना आपा खोकर उसने बाइक सवार दो युवकों से मारपीट की और मामूली कहासुनी के बाद सीपीयू कर्मी ने बाइक सवार युवक के माथे पर उसी की बाइक की चाबी घोंप दी. हल्ला मचने पर भीड़ जुटी तो सीपीयू कर्मी मौके से भाग गए. आक्रोशित लोगों ने इसके बाद पुलिस पर पथराव भी कर दिया था. हालांकि, मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने तीन सीपीयू कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.

24 मई 2019: रुद्रपुर में पार्षद पति ने सीपीयू पर उनके पिकअप वाहन के ड्राइवर से मारपीट करने का आरोप लगाया था. हालांकि, तब सीपीयू दारोगा राजेश बिष्ट ने दावा किया था कि उनके पास मारपीट का वीडियो है, जिसे वह जांच में शामिल करवाएंगे. इससे पहले 29 मार्च 2019 को भी रुद्रपुर के डीडी चौक पर एक ट्रक के नो एंट्री में घुसने को लेकर ट्रक चालक का सीपीयू से विवाद हुआ था.

25 जून 2017: रुड़की में टॉकीज के पास सीपीयू जवान और टूरिस्ट के बीच विवाद हो गया था. टूरिस्ट गाड़ी हाईवे पर खड़ी थी जिसको लेकर दोनों एक-दूसरे से भिड़ गए. कार चालक ने सीपीयू के जवान का गला पकड़ा था.

Last Updated : Apr 2, 2022, 5:47 PM IST
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