हल्द्वानी: उत्तराखंड अनुसंधान केंद्र ने जैव विविधता के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अनुसंधान केंद्र ने हल्द्वानी में एफटीआई (Forest Training Institute) परिसर में करीब 4 एकड़ में पाम गार्डन का स्थापना की है, जिसमें उत्तराखंड सहित कई प्रदेशों के पाम प्रजाति के पौधे लगाए गए हैं. बताया जा रहा है कि ये सिर्फ उत्तराखंड का पहला बल्कि और उत्तर भारत का एकमात्र पाम गार्डन है.
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पाम गार्डन की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य पौधों की प्रजातियों को संरक्षण कर लोगों को जागरूक करना है. उन्होंने बताया कि 3 साल की अवधि में यह पार्क तैयार किया गया है. इस केंद्र की सीएएमपी योजना के तहत करीब 16 लाख की राशि से तैयार किया गया है.
उन्होंने बताया कि पार्क में ताड़ की लगभग 20 वो प्रजातियां लगाई गई है, जो संकटग्रस्त और खतरे में हैं. उन्होंने बताया कि गार्डन के अंदर उत्तराखंड के करीब 50 पाम प्रजाति के पौधों को अलग-अलग जगहों से लाकर संरक्षित करने का काम किया गया है. इसके अलावा अन्य राज्यों के भी 50 प्रजाति को यहां स्थापित किया गया है.
पढ़ें- 'मन की बात' कार्यक्रम में PM मोदी ने की अक्षत रावत की तारीफ, कहा- देशवासियों को इन पर गर्व है
बता दें, उत्तराखंड के पहला पामेटम गार्डन में ताड़ की लगभग १०० विभिन्न प्रजातियां हैं. केवल ताड़ है जो शून्य से नीचे के तापमान में जीवित रह सकता है और उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड द्वारा खतरे के रूप में घोषित किया गया है.
इन प्रजातियों का संरक्षण: पाम गार्डन में मैटालिक, सिंकटोक, जामिया, चाइनीज, सुपारी, यूरोपियन फैन, टिंगल, ग्रीन विचिया, बोतल, फोस्ट, ब्रोम, सिकटोप, फॉक्सटेल, वाइल्ड सागो, कारपेंटरिया, टैनेरा, कोकोनट, रेडनेक, गोल्डन केन, हाइडिकी, स्पिंडल, खासी, लेडी, जोमिया, नोलिना, टकील, वासिंगटोनिया, सागो, सागो कल्टीवेटेड, सोपामेटो, बुश, डेट और क्वीन लैंड आदि प्रजाति यहां तैयार हो चुकी है.