हल्द्वानी: लॉकडाउन का असर मुर्गी पालकों पर भी पड़ा है. दाना उपलब्ध नहीं होने के चलते अब मुर्गियां मरने के कगार पर हैं. मुर्गी पालकों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते अब उनको मुर्गी दाना नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते वह अपनी मुर्गियों को दाना नहीं दे पा रहे हैं. जिसके चलते अब मुर्गियां मरने के कगार पर हैं. ऐसे में अगर उनकी मुर्गियां मरती हैं तो इससे उन्हें लाखों का नुकसान तो होगा ही साथ ही महामारी की भी आशंका बन सकती है.
कोरोना वायरस के चलते आजकल चिकन की डिमांड कम हो गई है, लोगों ने इस महामारी के डर से चिकन खाना कम कर दिया है. जिसका सीधा असर मुर्गी पालकों के व्यवसाय पर पड़ रहा है. मुर्गी पालकों का कहना है कि पहले 80 रुपए प्रति किलो बिकने वाला मुर्गा अब 20 रुपए प्रति किलो भी नहीं बिक पा रहा है.
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यही नहीं, उनके सामने सबसे बड़ा संकट मुर्गियों को खिलाने वाले दाने का है, जो उन्हें नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते व्यवसायी अपनी मुर्गियों को दाना नहीं खिला पा रहे हैं. नतीजन मुर्गियां मरने के कगार पर है. मुर्गी पालकों का कहना है कि सरकार को कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कि उनकी मुर्गियों को दाना उपलब्ध हो सके या इन मुर्गियों को डिस्पोज कर उनको मुआवजा दिया जा सके ताकि मुर्गियों के ऐसे ही मरने से महामारी जैसी परिस्थितियां पैदा न हो.